संसद में क्यों छुपाए गए बलात्कार के आंकड़े?
ममता मानकर | रायपुर : क्या अपराध को छुपाने से, अपराध की घटनाएं कम हो जाती हैं? कम से कम सरकार तो यही मानती है. सरकार रेप के बढ़ते अपराध पर रोक नहीं लगा पाई तो अब उसने आंकड़ों को ही छुपाना शुरु कर दिया है. विधानसभा में छत्तीसगढ़ सरकार ने बलात्कार के जो आंकड़े बताए, केंद्र सरकार ने संसद में उनमें से आधे से अधिक मामलों को गायब कर दिया.
संसद में पेश आंकड़ों के अनुसार बलात्कार के मामले में छत्तीसगढ़ 2018 में, देश में पांचवें नंबर पर था. जहां 2018 में 18 वर्ष से कम उम्र की बच्चियों से बलात्कार के 1215 मामले दर्ज किए गये थे. और 18 वर्ष से अधिक उम्र की महिलाओं से बलात्कार के 876 मामले. यानी कुल 2091 मामले.
केंद्र सरकार के गृह मंत्रालय ने जो आंकड़े संसद में बताए हैं, उसके अनुसार 2019 में छत्तीसगढ़ में बलात्कार के मामले घट कर आधे से भी कम हो गए.
2018 के 2091 मामलों की तुलना में 2019 में बलात्कार के केवल 1036 मामले पंजीकृत किए गए.
इनमें 18 वर्ष से कम उम्र की बच्चियों की संख्या 1215 की तुलना में घट कर केवल 3 रह गई थी.
लेकिन हकीकत ऐसी नहीं है. संसद में जो कुछ बताया गया, उसमें बलात्कार पीड़ितों के अधिकांश आंकड़े गायब कर दिए गए.
लेकिन सरकार के आंकड़े छुपाने की कहानी को जानने से पहले समझते हैं कुछ आंकड़ों और तथ्यों को.
संसद में आम आदमी पार्टी के सांसद संदीप पाठक के एक सवाल के जवाब में 4 दिसंबर 2024 को पेश किए गए गृह मंत्रालय के आंकड़े बताते हैं कि देश में 2018 में महिलाओं से बलात्कार के 33,356 मामले पंजीकृत किए गए थे.
इनमें 18 वर्ष से कम उम्र की बच्चियों की संख्या 9 हज़ार 3 सौ 12 थी.
बलात्कार में सबसे आगे पांच राज्य
समाजशास्त्री मानते हैं कि देश में बलात्कार के अधिकांश मामले घर, परिवार और गांव की सरहद से बाहर नहीं आ पाते. बदनामी की बाढ़ की आशंका से त्रस्त महिलाएं ही पहले मुंह खोलने में हिचकिचाती हैं. बात घर-परिवार के बीच आ जाए तो भी थानों तक पहुंचने की हिम्मत अधिकांश परिवार नहीं दिखा पाते.
बहरहाल, 2018 के आंकड़ों को देखें को देश में बलात्कार के सर्वाधिक मामले मध्यप्रदेश में पंजीकृत किए गए. मध्य प्रदेश में एक साल में बलात्कार के कुल 5,433 मामले दर्ज किए गए. यानी हर दिन मध्यप्रदेश में बलात्कार के 14 से अधिक मामले दर्ज किए गए.
1 मध्यप्रदेश
बलात्कार के पंजीकृत मामले 2018
18 साल से कम उम्र की बच्चियां-2830
18 साल से अधिक उम्र की महिलाएं-2603
कुल मामले-5433
2018 में देश में बलात्कार के मामले में राजस्थान दूसरे नंबर पर था. राजस्थान में एक साल में बलात्कार के 4 हज़ार 3 सौ 35 मामले दर्ज़ किए गए. यानी हर दिन 11 से अधिक मामले.
2 राजस्थान
बलात्कार के पंजीकृत मामले 2018
18 साल से कम उम्र की बच्चियां-1030
18 साल से अधिक उम्र की महिलाएं-3305
कुल मामले-4335
देश में सर्वाधिक आबादी वाले उत्तर प्रदेश में एक साल में बलात्कार के 3 हज़ार 9 सौ 46 मामले दर्ज किए गए. बलात्कार के मामले में उत्तर प्रदेश देश में तीसरे नंबर पर था. यहां हर दिन बलात्कार के 10 से अधिक मामले दर्ज किए गए.
3 उत्तर प्रदेश
बलात्कार के पंजीकृत मामले 2018
18 साल से कम उम्र की बच्चियां-1353
18 साल से अधिक उम्र की महिलाएं-2593
कुल मामले-3946
देश में बलात्कार के मामले में चौंथे नंबर पर महाराष्ट्र था. जहां साल 2018 में बलात्कार के 2 हज़ार 1 सौ 42 मामले दर्ज किए गए. यहां हर दिन बलात्कार के 5 से अधिक मामले दर्ज किए गए.
4 महाराष्ट्र
बलात्कार के पंजीकृत मामले 2018
18 साल से कम उम्र की बच्चियां-0
18 साल से अधिक उम्र की महिलाएं-2142
कुल मामले-2142
बलात्कार के मामले में देश में पांचवें नबर पर जो राज्य था, उसका नाम है छत्तीसगढ़. यहां भी एक साल में 2 हज़ार 91 मामले दर्ज किए गए. यानी हर दिन बलात्कार के 5 से अधिक मामले दर्ज़ किए गए.
5 छत्तीसगढ़
बलात्कार के पंजीकृत मामले 2018
18 साल से कम उम्र की बच्चियां-1215
18 साल से अधिक उम्र की महिलाएं-876
कुल मामले-2091
और छत्तीसगढ़ में आधे हो गए आंकड़े…
हमारी कहानी इसी छत्तीसगढ़ राज्य की है, जिसका जिक्र हमने इस रिपोर्ट के शुरु में किया था.
जैसा कि हमने उल्लेख किया कि संसद में पेश किए गए जवाब के अनुसार बलात्कार के मामले में छत्तीसगढ़ 2018 में, देश में पांचवें नंबर पर था. जहां 2018 में 18 वर्ष से कम उम्र की बच्चियों से बलात्कार के 1215 मामले दर्ज किए गये थे. और 18 वर्ष से अधिक उम्र की महिलाओं से बलात्कार के 876 मामले. यानी कुल 2091 मामले दर्ज़ किए गए थे.
इनमें से 18 वर्ष से कम उम्र की बच्चियों के मामले अगले साल केवल 3 रह गए.
बच्चियों से बलात्कार के आंकड़े इसी तरह दर्ज होते रहे. 2018 में 1215 के बाद 2019 में केवल 3, 2020 में 13 और 2021 में तो यह आंकड़ा शून्य हो गया. यानी 2021 में छत्तीसगढ़ में किसी भी नाबालिग से बलात्कार की कोई घटना नहीं हुई. 2022 में भी 18 वर्ष से कम आयु की किसी बच्ची के साथ बलात्कार की कोई घटना नहीं हुई.
इन पांच सालों के जो आंकड़े राज्यसभा में पेश किए गए हैं, उसके अनुसार बलात्कार की कुल घटनाओं की संख्या 2018 में 2091, 2019 में 1036, 2020 में 1210, 2021 में 1093 और 2022 में केवल 1246 थी.
केंद्र सरकार ने संसद में राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो यानी एनसीआरबी द्वारा एकत्र किए गए आंकड़ों के हवाले से जो जानकारी संसद में उपलब्ध कराई, उसमें छत्तीसगढ़ के असली आंकड़ों को छुपा दिया गया.
एनसीआरबी में भी अपराध के सारे आंकड़े राज्य सरकार ही उपलब्ध कराती है. राज्य सरकार ने एनसीआरबी को गलत आंकड़े उपलब्ध कराए या एनसीआरबी ने आंकड़ों में गड़बड़ी की, यह कह पाना तो मुश्किल है लेकिन संसद में जो आंकड़े पेश किए गए, वो फर्ज़ी हैं.
हमारे पास ऐसे दर्जनों दस्तावेज़ हैं, जिससे इन आंकड़ों के भ्रामक और फर्ज़ी होने को साबित किया जा सकता है. लेकिन हम पाठकों की सुविधा के लिए केवल एक आंकड़ा प्रस्तुत कर रहे हैं.
यह आंकड़ा छत्तीसगढ़ विधानसभा का है. अलग-अलग सालों के आंकड़ों में उलझने के खतरे को देखते हुए हम केवल एक साल का आंकड़ा प्रस्तुत कर रहे हैं.
21 मार्च 2022 को छत्तीसगढ़ विधानसभा में पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह के एक अतारांकित प्रश्न के जवाब में तब के गृहमंत्री ताम्रध्वज साहू ने जिले वार बलात्कार के मामलों की संख्या प्रस्तुत की है.
हमने इसमें से साल 2021 में दर्ज़ बलात्कार के आंकड़ों को जोड़ने की कोशिश की.
रायपुर-206
बलौदा बाजार-79
गरियाबंद-53
धमतरी-60
महासमुंद-59
दुर्ग-145
बेमेतरा-65
कबीरधाम-69
राजनांदगांव-115
बालोद-87
बिलासपुर-146
जांजगीर-121
कोरबा-100
रायगढ़-141
मुंगेली-40
पेंड्रा-25
सरगुजा-143
सूरजपुर-138
बलरामपुर-160
जशपुर-154
कोरिया-158
जगदलपुर-113
कांकेर-86
कोंडागांव- 59
नारायणपुर-26
दंतेवाड़ा-20
बीजापुर-29
सुकमा-19
रेल-2
=2618
इन सभी जिलों को मिला कर यह आंकड़ा होता है 2618. यानी 2021 में छत्तीसगढ़ में बलात्कार के कुल मामलों की संख्या 2618 थी.
लेकिन संसद में इसी महीने 4 दिसंबर को जो आंकड़ा पेश किया गया है, उसके अनुसार 2021 में छत्तीसगढ़ में बलात्कार के मामलों की संख्या केवल 1093 थी.
संसद में जो आंकड़े बताए गये, उससे कहीं अधिक 1,525 मामले संसद के इस आंकड़े में शामिल ही नहीं है.
ऐसा क्यों किया गया, इन आंकड़ों में फेरबदल से किसको राजनीतिक या सामाजिक लाभ मिलेगा, कहना मुश्किल है. आंकड़े और तथ्य, इस समस्या से, इस अपराध से निपटने में मदद करते हैं, इसके लिए नीतियां और योजनाएं बनाने में आपको सहूलियत होती है. लेकिन अगर आंकड़े ही गड़बड़ होंगे तो नीतियों का क्या हाल होगा, समझना मुश्किल नहीं है.