ख़बर ख़ासछत्तीसगढ़ताज़ा खबर

प्रमाणित बीज तैयार कर फंस गए किसान, अब बेचने भटक रहे

रायपुर |संवाददाताः प्रमाणित बीज तैयार करने वाले प्रदेश भर के किसान धान बेचने के लिए भटक रहे हैं. इन किसानों का धान ना तो बीज निगम खरीद रहा है ना ही सोसाइटियों में इनका धान लिया जा रहा है. इसके लिए शासन ने अभी तक कोई आदेश जारी नहीं किया है. जिसके चलते प्रदेश भर के लगभग 10 हजार से अधिक पंजीकृत किसान पिछले 24 दिनों से इस दफ्तर से उस दफ्तर चक्कर काट रहे हैं.

इन किसानों का लगभग 90 हजार क्विंटल धान खुले में पड़ा हुआ है. इन दिनों बेमौसम बारिश हो रही है, अब इन किसानों को धान खराब होने का डर सता रहा है.

कलेक्टर, उप पंजीयक से लेकर सहकारी और खाद्य विभाग के अधिकारियों को इस बारे में कुछ भी जानकारी नहीं है.

बीज निगम में पंजीकृत किसान परेशान होकर अपना धान सोसाइटियों में बेचना चाह रहे हैं तो वहां के कर्मचारी खरीदी करने तैयार नहीं हैं.

समितियों के कर्मचारी अपनी मजबूरी बताते हुए उस मैसेज को दिख रहे हैं जिसमें लिखा है कि बीज विकास निगम में पंजीकृत किसानों की धान खरीदी जिस भी केन्द्र में हुई वहां के स्टॉफ के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी. साथ ही एफआईआर भी कराया जाएगा.

बीज निगम करता है प्रमाणित बीजों की खरीदी

ज्ञात हो कि प्रमाणित बीज तैयार करने के लिए किसानों को पहले बीज निगम में रजिस्ट्रेशन कराना पड़ता है.

पंजीयन होने के बाद किसान उसी हिसाब से बीज तैयार करता है. बीज ठीक से तैयार नहीं होने पर उसे अमानक घोषित कर दिया जाता है.

बीज निगम के अलग-अलग अधिकारियों की जांच में बीज खरा उतरता है तब उसे प्रमाणित बीज घोषित किया जाता है.

इसके बाद धान की खरीदी बीज निगम के माध्यम से होती है. लेकिन किसानों को भुगतान सिर्फ 30 प्रतिशत ही किया जाता है.

खरीदी होने के बाद इसी धान का सैंपल जांच के लिए रायपुर भेजा जाता है. वहां से ओके रिपोर्ट मिलने के बाद बाकी भुगतान किया जाता है. वहां कुछ भी कमी मिलने पर पूरा धान वापस कर दिया जाता है. साथ ही किया गया भुगतान भी किसान को वापस करना पड़ता है.

प्रमाणित बीज तैयार करने वाले किसानों को शासन की ओर से 3700 रुपये प्रति क्विंटल भुगतान किया जाता है. जबकि बाकी धान बेचने वाले किसानों को 3100 रुपये प्रति क्विंटल दिया जाता है.

error: Content is protected !!