राज्यसभा में सरकार पर हिंदी थोपने का आरोप
नई दिल्ली | डेस्क : राज्यसभा में विपक्षी सदस्यों ने सरकार पर हिंदी भाषा में ही शीर्षक वाले नए विधेयक लाकर लोगों पर हिंदी थोपने का आरोप लगाया. विपक्ष ने कहा कि सरकार औपनिवेशिक मानसिकता से ग्रसित है.
गुरुवार को व्यापार में आसानी को बढ़ावा देने और विमानन क्षेत्र में निवेश आकर्षित करने के लिए 90 साल पुराने विमान अधिनियम को बदलने के लिए ‘भारतीय वायुयान विधायक, 2024’ पर चर्चा में भाग लेते हुए, टीएमसी की सांसद सागरिका घोष ने विधेयक के नाम का विरोध किया.
सागरिका घोष ने कहा, “इतने सारे कानूनों के नाम हिंदी में क्यों हैं? यह हिंदी थोपने की तरह है. 2024 में लोगों का जनादेश विविधता, लाभांश और संघीय सिद्धांत के लिए था, लेकिन सरकार कानूनों का ‘हिंदीकरण’ करने पर अड़ी हुई है. यह हिंदी थोपना है.”
सागरिका घोष ने कहा कि भारतीय दंड संहिता को बदलकर भारतीय न्याय संहिता कर दिया गया और भारतीय विमान अधिनियम को बदलकर अब भारतीय वायुयान विधेयक कर दिया गया है. यह ठीक नहीं है.
डीएमके सांसद कनिमोझी एनवीएन सोमू ने भी सागरिका घोष की तर्ज पर सरकार की आलोचना करते हुए कहा, “मैं चाहती हूं कि केंद्र सरकार बिल का शीर्षक बदलकर एयरक्राफ्ट बिल 2024 कर दे. हिंदी न बोलने वाले लोगों पर हिंदी थोपने की कोशिश न करें. मैं केंद्र सरकार से अनुरोध करती हूं कि वह बिल का नाम हिंदी और संस्कृत में रखने से परहेज करे.”
वाईआरएससीपी के एस निरंजन रेड्डी ने भी सरकार से बिल के “नामकरण” पर पुनर्विचार करने को कहा, इसलिए नहीं कि वह ‘हिंदी थोपने’ का विरोध कर रहे हैं, बल्कि इसलिए कि यह संवैधानिक आवश्यकता है कि चूंकि इसे अंग्रेजी में लाया गया है, इसलिए इसका शीर्षक हिंदी में नहीं हो सकता.
रेड्डी ने कहा, “मैं 56 प्रतिशत भारतीय आबादी की ओर से बोलने की कोशिश कर रहा हूं, जिनकी मातृभाषा हिंदी नहीं है.”राज्यसभा में विधेयक पेश किया।