छत्तीसगढ़ के 31% पानी में फ्लोराइड की मात्रा ज्यादा
रायपुर | संवाददाता : केंद्र सरकार ने कहा है कि छत्तीसगढ़ के पानी के 31 प्रतिशत नमूनों में फ्लोराइड की मात्रा स्वीकृत सघनता से अधिक पाई गई है. पानी के ये नमूने बागबहरा के अलावा गरियाबंद और महासमुंद से लिए गए थे.
गौरतलब है कि पीने के पानी में फ्लोराइड आयनों की अधिक मात्रा से डेंटल फ्लोरोसिस, स्केलेटल फ्लोरोसिस, गठिया, हड्डियों को नुकसान, ऑस्टियोपोरोसिस, मांसपेशियों को नुकसान, थकान, जोड़ों से संबंधित समस्याएं और क्रोनिक समस्याएं हो सकती हैं. चरम स्थितियों में, यह हृदय, धमनियों, गुर्दे, यकृत, अंतःस्रावी ग्रंथियों, न्यूरॉन प्रणाली और जीवित जीव के कई अन्य नाजुक अंगों को प्रतिकूल रूप से नुकसान पहुंचा सकता है.
केंद्रीय भूजल बोर्ड ने पंजाब, हरियाणा, आंध्र प्रदेश, उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, असम और छत्तीसगढ़ के भूजल में यूरेनियम, लेड, आर्सेनिक, फ्लोराइय और पारा के संदूषण के अध्ययन के लिए भारतीय भू वैज्ञानिक सर्वेक्षण के साथ 2022 में एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किया है.
इसके तहत पानी के विभिन्न स्रोत जैसे कुओं की खुदाई, हैंड पंप, ट्यूबवेल और सिंचाई और पेयजल के लिए इस्तेमाल होने वाले सतही जल में इन संदूषण के स्तर का मूल्यांकन किया जा रहा है. इसके अलावा मिट्टी, चट्टानों और मानव जनित अपशिष्टों में इन तत्वों का विश्लेषण भी किया जा रहा है.
जांच का यह सिलसिला पांच सालों तक जारी रहेगा.
जल शक्ति राज्य मंत्री राज भूषण चौधरी के अनुसार छत्तीसगढ़ में जो अध्ययन पूरा हो चुका है, उसके अनुसार बागबहरा क्षेत्र, महासमुंद और गरियाबंद ज़िलों में फ्लोराइड वाले पानी की जांच के दौरान 31 प्रतिशत नमूनों में फ्लोराइड की मात्रा मानक स्तर से अधिक पाई गई है.
इसके अतिरिक्त 25.5 प्रतिशत नमूनों में तय सीमा से अधिक मैगनीज पाया गया. वहीं 12 प्रतिशत नमूने ऐसे थे, जिनमें लोहांश की मात्रा मानक स्तर से कहीं अधिक थी.