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धान बेचने टोकन के लिए भटक रहे हैं किसान

रायपुर| संवाददाताः छत्तीसगढ़ में समर्थन मूल्य पर धान खऱीदी की शुरुआत 14 नवंबर से हो गई है. धान खरीदी शुरू हुए सप्ताह होने को है लेकिन खरीदी के लिए टोकन जारी करने के नियम ने किसानों के साथ-साथ कर्मचारियों को भी परेशान कर रखा है.

सरकार द्वारा धान खरीदी केन्द्रों में ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों माध्यम से टोकन जारी कर धान बेचने की सुविधा किसानों को दी गई है, लेकिन अभी से कई खरीदी केन्द्रों में ऑफलाइन टोकन नहीं मिल रहा है.

दुर्ग, रायपुर, राजनांदगांव, जांजगीर-चांपा, बेमेतरा सहित कई जिलों से इसकी शिकायत मिल रही है.

टोकन नहीं मिलने से किसान परेशान हैं. जिन किसानों को टोकन मिल भी रहा है, उन्हें धान बेचने के लिए 10 से 15 दिन बाद का समय मिल रहा है.

इस वजह से किसान चाह कर भी धान लेकर समिति में नहीं जा पा रहे हैं.

दूसरी ओर ऑनलाइन भी टोकन प्राप्त करने में परेशानी आ रही है. ऑनलाइन टोकन एप सुबह 9.30 बजे खलुता है और आधे घंटे के अंदर ही सारे समितियों के टोकन कट जाते हैं.

राजनांदगांव जिले में तो 5 दिसंबर तक ऑनलाइन टोकन जारी हो चुका है.

किसान ऑफलाइन टोकन लेने समितियों जा रहे हैं तो उन्हें टोकन नहीं मिल रहा है.

राजनांदगांव के कई खरीदी केन्द्रों में  किसान बारदाने की कमी से जूझ रहे हैं.

टोकन सिस्टम ठीक करने 24 घंटे का अल्टीमेटम

प्रदेश के कई जिलों में किसानों को टोकन नहीं मिलने की शिकायत को उप पंजीयक ने गंभीरता से लिया है.

उन्होंने सभी समितियों के प्रबंधकों को टोकन सिस्टम में जरूरी सुधार करने की चेतावनी दी है.  साथ ही 24 घंटे के अंदर व्यवस्था में सुधार कर टोकन जारी करने के निर्देश दिए हैं.

उन्होंने किसानों के खाते अपडेट नहीं होने के कारण टोकन नहीं काटने की शिकायत पर जिला सहकारी बैंकों के व्यवस्थापकों को इस मामले को तत्काल निपटारा कर किसानों को टोकन जारी करने निर्देश दिए हैं.

उन्होंने बड़े, मध्यम और छोटे किसानों को 30 अनुपात 70 के हिसाब से टोकन जारी करने कहा है.

डीएपी खाद की किल्लत

इधर धान खरीदी के बीच, रबी फसल और दलहन तिलहन की खेती के लिए प्रदेश में डीएपी खाद की किल्लत हो गई है.

खाद नहीं मिलने से किसान समितियों से मायूस होकर लौट रहे हैं.

किसान अब इस बात से चिंतित हैं कि समय पर उन्हें खाद नहीं मिली तो चना और गेहूं जैसी फसलों की बोनी पिछड़ जाएगी.

बताया गया कि कई सहकारी समितियों में तो डीएपी खाद है ही नहीं.

प्रदेश के लगभग सभी समितियों में लक्ष्य से काफी कम खाद भेजा गया है.

बताया गया कि पिछले साल 15 नवंबर तक प्रदेश के कुल लक्ष्य के 43 फीसदी डीएपी खाद का समितियों में भंडारण हो चुका था, लेकिन इस साल अभी तक कुल लक्ष्य के 24 फीसदी डीएपी खाद की समितियों में भंडारित हो पाया है.

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