ख़बर ख़ासछत्तीसगढ़ताज़ा खबर

छत्तीसगढ़ में मस्ज़िदों को निर्देश देने पर अब हुर्रियत हुआ नाराज़

रायपुर | संवाददाता: छत्तीसगढ़ के मस्ज़िदों में धार्मिक उपदेश की वक्फ बोर्ड से अनुमति लेने के मामले में अब कश्मीर की आल पार्टी हुर्रियत कांफ्रेंस भी कूद पड़ी है. हुर्रियत कांफ्रेंस के अध्यक्ष और कश्मीर के 14वें मीरवाइज, उमर फारूक ने छत्तीसगढ़ वक्फ बोर्ड के उस निर्देश की निंदा की, जिसमें मुतवल्लियों को शुक्रवार के उपदेश देने से पहले अनुमति लेने की आवश्यकता बताई गई है.

उमर फारूक ने इसे धार्मिक अधिकारों और स्वतंत्रता पर सीधा हमला बताया है.

उन्होंने X पर लिखा- “बीजेपी शासित राज्य द्वारा मुतवल्लियों को शुक्रवार के उपदेश देने से पहले राज्य द्वारा नियुक्त वक्फ प्रमुख से सहमति लेने के लिए कहना, मुस्लिम समुदाय के धार्मिक अधिकारों और स्वतंत्रता पर सीधा हमला है, साथ ही यह किसी भी वक्फ बोर्ड के अधिकार क्षेत्र से बाहर है. यह बीजेपी द्वारा संसद में लाए गए वक्फ संशोधन विधेयक के पीछे की असली मंशा को उजागर करता है. धार्मिक अधिकारों और मामलों पर राज्य का नियंत्रण पूरी तरह से अस्वीकार्य है और मुसलमान इसका कड़ा विरोध करेंगे.”

उमर फारूक ने इस संबंध में असदुद्दीन ओवैसी के प्रयासों का समर्थन करने की घोषणा करते हुए, दूसरों से भी समर्थन की मांग की है.

क्या कहा था ओवैसी ने

छत्तीसगढ़ में वक्फ बोर्ड द्वारा मस्जिदों से दिए जाने वाले धार्मिक उपदेशों की जांच के लिए, सभी मुतवल्लियों को एक निर्देश जारी किया गया था.

ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन के नेता और सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने इस पर ऐतराज जताया था.

हैदराबाद के सांसद ओवैसी ने X पर लिखा था-“छत्तीसगढ़ की भाजपा सरकार का वक़्फ़ बोर्ड चाहता है के जुम्माह का खुतबा देने से पहले खतीब अपने खुतबे की जाँच वक़्फ़ बोर्ड से करवायें और बोर्ड की इजाज़त के बिना खुतबा ना दें. अब भाजपाई हमें बतायेंगे के दीन क्या है? अब अपने दीन पर चलने के लिए इनसे इजाज़त लेनी होगी? वक़्फ़ बोर्ड के पास ऐसी कोई क़ानूनी ताक़त नहीं, अगर होती भी तो भी वो संविधान के दफा 25 के ख़िलाफ़ होती.”


छत्तीसगढ़ राज्य वक्फ बोर्ड ने सभी मस्जिदों के मुतवल्लियों को एक निर्देश जारी किया है, जिसमें उनसे कहा गया है कि वे हर शुक्रवार की दोपहर को नमाज से पहले दिए जाने वाले उपदेशों की, वक्फ बोर्ड से जांच करा लें.

छत्तीसगढ़ वक्फ बोर्ड के चेयरमैन सलीम राज के अनुसार हर शुक्रवार को जुम्मा की नमाज से पहले दिए जाने वाले भाषणों में कोई राजनीतिक रंग नहीं होना चाहिए. कई बार मस्जिदों से फतवे जारी किए जाते हैं या किसी राजनीतिक पार्टी को समर्थन दिया जाता है.

सलीम राज ने कहा था कि मस्जिदों को खुद को धार्मिक उपदेशों या प्रथाओं तक ही सीमित रखना चाहिए और सियासी अड्डा नहीं बनना चाहिए. इसलिए, मैंने सभी मुतवल्लियों को निर्देश दिया है कि वे अपने उपदेशों की सामग्री के बारे में वक्फ बोर्ड को अवगत कराएं और हमारी सहमति लें. उन्होंने कहा था कि मस्जिदें और दरगाहें वक्फ बोर्ड के दायरे में आती हैं.

error: Content is protected !!