छत्तीसगढ़ के स्वास्थ्य मंत्री झोला छाप डॉक्टरों पर कार्रवाई के नाम पर भड़के
रायपुर | संवाददाता: एक तरफ़ जहां छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने झोला छाप डॉक्टरों के ख़िलाफ़ कार्रवाई के निर्देश दिए हैं, वहीं राज्य के स्वास्थ्य मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल इन झोला छाप डॉक्टरों को आयुर्वेदिक डॉक्टर बता कर, पत्रकारों पर ही भड़क गए.
यह सब तब हो रहा है, जब राज्य में झोला छाप डॉक्टरों के गलत इलाज के कारण लोगों की जान जा रही है. लोग असमय इन झोला छाप डॉक्टरों के कारण मारे जा रहे हैं. इससे पहले 15 अगस्त को स्वास्थ्य मंत्री ने ही झोला छाप डॉक्टरों पर कार्रवाई की बात कही थी.
बलौदा बाज़ार में पत्रकारों से बातचीत में जब झोलाछाप डॉक्टरों पर कार्रवाई को लेकर श्याम बिहारी जायसवाल से सवाल पूछा गया और उन्हें बताया गया कि हर डॉक्टर से 4 हज़ार रुपये वसूल कर किसी अधिकारी को देने संबंधी चर्चा के बारे में सवाल पूछा तो उन्होंने इस बात पर सख़्त आपत्ति जताई. उन्होंने झोला छाप डॉक्टरों को आयुर्वेदिक डॉक्टर बताते हुए कहा कि आयुर्वेदिक डॉक्टरों को झोला छाप नहीं कहा जा सकता.
उन्होंने कहा-“ऐसी कोई बात नहीं है. कुछ आपके पास सबूत हो तो ला के बताएं. हम अनावश्यक किसी के ऊपर कार्रवाई नहीं कर सकते, जब तक पुख्ता सबूत न हों. किसी भी आयुर्वेदिक डॉक्टरों को झोलाछाप डॉक्टर कह के हम कार्रवाई नहीं कर सकते. अगर ग़लत इलाज होता है, बिना डिग्री लाइसेंस के करते हैं तो हम कार्रवाई उस पर करेंगे.”
बात यहीं नहीं रुकी. इसके बाद उन्होंने सवाल पूछने वाले पत्रकार को ही धमकाना शुरु कर दिया कि आप 4000 रुपये अधिकारियों को देने का सबूत दें, नहीं तो मैं आपके ख़िलाफ़ मानहानि की कार्रवाई करुंगा.
स्वास्थ्य मंत्री द्वारा पत्रकार को धमकाने का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल है.
विपक्षी दल कांग्रेस ने भी X पर इसे साझा करते हुए श्याम बिहारी जायसवाल की आलोचना की है.
सत्ता के नशे में चूर स्वास्थ्य मंत्री पत्रकारों को धमकाकर लोकतंत्र की आवाज को दबाने की कोशिश कर रहे हैं। pic.twitter.com/KPGmVwXm5Y
— INC Chhattisgarh (@INCChhattisgarh) November 6, 2024
स्वास्थ्य मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल भले झोलाछाप डॉक्टरों को आयुर्वेदिक डॉक्टर बता रहे हों लेकिन हक़ीकत ये है कि झोलाछाप डॉक्टरों के कारण सैकड़ों लोग अपनी जान गंवा रहे हैं. कोटा ब्लॉक में ऐसे ही झोलाछाप डॉक्टरों के कारण दो महीने पहले 7 लोगों की जान चली गई थी.
कोंटा से रामानुजगंज तक झोला छाप का राज
दस साल पहले, 2014 में राज्य सरकार ने हाईकोर्ट में खुद ही जानकारी दी थी कि राज्य के किस-किस ज़िले में कितने झोला छाप डॉक्टर हैं.
छत्तीसगढ़ में कोंटा से लेकर रामानुजगंज तक में झोला छाप डॉक्टरों की चांदी है. समय-समय पर ज़िला प्रशासन इन पर कार्रवाई भी करता है.
कुछ महीने पहले ही बस्तर में ज़िला प्रशासन ने अवैध रूप से संचालित 8 क्लीनिकों को सील किया था. वहीं बिना पंजीयन क्लीनिक चलाने वाले 10 क्लीनिक संचालकों को कारण बताओ नोटिस भी जारी किया गया था.
अगस्त के महीने में ही अकेले बिलासपुर के मस्तूरी में 13 और बिल्हा में 33 झोलाछाप डॉक्टरों को बीएमओ ने पकड़ा था. इन सभी को चेतावनी दे कर छोड़ा गया था.
मौत ही मौत
छत्तीसगढ़ में साल भर में सैकड़ों लोगों की मौत, ऐसे ही झोला छाप डॉक्टरों के ग़लत इलाज के कारण हुई. पिछले कुछ महीनों में ही ऐसे कई मामले सामने आ चुके हैं. इनमें से कुछ मामले ये रहे-
2 अक्टूबर | दुर्ग
भिलाई 3 के हथखोज में जितेंद्र पांडेय की झोलाछाप डॉक्टर के गलत इलाज से मौत.
7 सितंबर | जांजगीर-चांपा
झोलाछाप के इलाज से नवागढ़ थाने के हीरागढ़ टुरी गांव की, गर्भवती महिला रुखमणी कश्यप की मौत.
16 अगस्त | बिलासपुर
रतनपुर के खैरा गांव के श्रीकुमार आर्मो की झोलाछाप डॉक्टर के गलत इलाज से मौत.
15 अगस्त | बिलासपुर
रतनपुर के कलमीटार गांव की रेखा बिंझवार की झोलाछाप डॉक्टर के गलत इलाज से मौत.
24 जुलाई | बिलासपुर
कोटा में इमरान की झोलाछाप डॉक्टर के गलत इलाज से मौत.
24 जुलाई | बिलासपुर
कोटा में इरफान की झोलाछाप डॉक्टर के गलत इलाज से मौत.
24 जुलाई | बिलासपुर
कारीमाटी में अजय ध्रुव की झोलाछाप डॉक्टर के गलत इलाज से मौत.
24 जुलाई | बिलासपुर
कारीमाटी में संजय ध्रुव की झोलाछाप डॉक्टर के गलत इलाज से मौत.
20 जुलाई | गौरेला पेंड्रा मरवाही
मरवाही के बहरीझोरखी गांव की बच्ची उमा गोंड़ की झोलाछाप डॉक्टर के गलत इलाज से मौत.
25 जून | जशपुर
बगीचा के सरडीह गांव में नइहर साय की झोलाछाप डॉक्टर के गलत इलाज से मौत.