किस्सा उपचुनाव का: जब जोगी हेलीकॉप्टर में ले उड़े
रायपुर | संवाददाता: छत्तीसगढ़ की राजनीति में उपचुनावों के दिलचस्प किस्से रहे हैं. रायपुर दक्षिण में अगले महीने होने वाले उपचुनाव के कारण राजनीतिक गलियारों में यह पुराने किस्से तैरने लगे हैं.
अविभाजित मध्यप्रदेश के ज़माने में, छत्तीसगढ़ के इलाके का सबसे चर्चित उप चुनाव खरसिया का था, जब अर्जुन सिंह यहां से चुनाव मैदान में उतरे थे.
पंजाब के राज्यपाल के पद से इस्तीफ़ा दे कर अर्जुन सिंह को मध्यप्रदेश का मुख्यमंत्री बनाने के लिए गृह राज्य में भेजा गया था. इससे पहले 9 जून 1980 से 10 मार्च 1985 और 11 मार्च 1985 से 12 मार्च 1985 तक वे मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री रह चुके थे.
तीसरी बार के मुख्यमंत्री अर्जुन सिंह के लिए रायगढ़ ज़िले की खरसिया सीट तय की गई.
कांग्रेस की इस परंपरागत सीट से विधायक लक्ष्मी पटेल को इस्तीफ़ा दिलाया गया और अर्जुन सिंह ने सुरक्षित मान कर चल रहे इस सीट से नामांकर भरा. लेकिन उनकी उम्मीद के उलट चुनाव मैदान में उतरे भाजपा के दिलीप सिंह जूदेव ने उनके सामने भारी मुश्किल खड़ी कर दी. किसी को सपने में भी यह उम्मीद नहीं थी.
चुनाव परिणाम आए तो अर्जुन सिंह को 43,912 वोट और राजनीति के नये चेहरे दिलीप सिंह जूदेव को 35,254 वोट मिले थे. जूदेव ने जिस तरह अर्जुन सिंह जैसे कद्दावर को चुनौती दी थी, उसी का असर था कि हारने के बाद भी ज़िला मुख्यालय रायगढ़ में दिलीप सिंह जूदेव का अभूतपूर्व विजय जुलूस निकाला गया.
जब जोगी हेलीकॉप्टर में ले उड़े
छत्तीसगढ़ अलग राज्य बनने के बाद जब अजीत जोगी को मुख्यमंत्री बनाया गया, तब वे विधानसभा के सदस्य नहीं थे. एक दिन जोगी पेंड्रा मरवाही पहुंचे और तब के मरवाही से भाजपा विधायक रामदयाल उइके को अपने साथ हेलिकॉप्टर में ले उड़े.
भाजपा के नेता कुछ समझ पाते, उससे पहले उइके ने अपने पद से इस्तीफ़ा दे दिया. हालांकि जोगी सफ़ाई देते रहे कि उन्होंने इस्तीफ़ा नहीं दिलवाया है. लेकिन कौन मानता?
रामदयाल उइके इस सीट पर जीतने से पहले पटवारी रह चुके थे और जोगी कई ज़िलों के कलेक्टर.
बहरहाल 2001 में जोगी ने इसी मरवाही सीट से 51 हज़ार से भी अधिक वोटों से जीत हासिल की. उइके कांग्रेस पार्टी में शामिल हुए और 2003 के विधानसभा चुनाव में उन्हें पाली-तानाखार से कांग्रेस ने मैदान में उतारा. वे इसी सीट से 2008 और 2013 में भी जीते.
रामदयाल उइके 2018 में भाजपा में शामिल हो गए. भाजपा ने उन्हें उसी पाली-तानाखार सीट से टिकट दी, जिस सीट से वे तीन बार कांग्रेस की टिकट पर जीते थे. लेकिन इस चुनाव में वे कांग्रेस पार्टी से ही हार गए.
रमन सिंह, प्रदीप गांधी और किस्सा स्टिंग ऑपरेशन का
राज्य के दूसरे मुख्यमंत्री रमन सिंह भी मुख्यमंत्री बनते समय विधानसभा के सदस्य नहीं थे. केंद्र में मंत्री रहे रमन सिंह को छत्तीसगढ़ में जोगी से मुकाबले के लिए भेजा गया था. उन्होंने जोगी को शिकस्त भी दी.
इसके बाद विधानसभा का चुनाव लड़ने के लिए उनके साथ प्रदीप गांधी ने राजनांदगांव के डोंगरगांव से इस्तीफ़ा दिया और रमन सिंह उस सीट से जीत कर आए. उनके लिए अपनी सीट छोड़ने वाले प्रदीप गांधी को भाजपा ने लोकसभा चुनाव में मैदान में उतारा और प्रदीप गांधी सांसद बन गए.
लेकिन पैसा लेकर संसद में सवाल पूछने के मामले में प्रदीप गांधी फंस गए. पत्रकार अनिरुद्ध बहल और सुहासिनी राज ने ‘ऑपरेशन दुर्योधन’ नामक एक स्टिंग ऑपरेशन में भंडाफोड़ किया था कि कैसे कई भारतीय सांसद पैसे लेकर, संसद के भीतर सवाल पूछते हैं. ऐसे 11 सांसदों में प्रदीप गांधी भी एक थे. इन सांसदों की सदस्यता ख़त्म कर दी गई थी.
सत्ता रहते हार गई भाजपा
छत्तीसगढ़ विधानसभा के पहले अध्यक्ष राजेंद्र प्रसाद शुक्ल कोटा से विधायक थे. 20 अगस्त 2006 को उनके निधन के बाद कोटा सीट पर उपचुनाव होना था.
सत्ता से बाहर हो चुके पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी ने अपनी पत्नी डॉक्टर रेणु जोगी को चुनाव मैदान में उतारा.
सत्ता की ताक़त के बाद भी भाजपा यहां जीत नहीं पाई और रेणु जोगी 2006 का चुनाव तो जीता ही, 2008, 2013 और 2018 में भी वे विधायक चुनी गईं.
यही हाल वैशालीनगर के उपचुनाव में हुआ, जब सत्ता रहते हुए भी भाजपा जीत नहीं पाई.
नवंबर 2009 में इस सीट पर कांग्रेस के भजन सिंह निरंकारी को 47225 वोट (43.80%) मिले और भाजपा के जागेश्वर साहू को 45,997 वोट (42.66%) . निर्दलीय उम्मीदवार रीति देशलहरा को 11,477 वोट (10.64%) मिले थे. कहा गया कि रीति के कारण भाजपा हार गई.