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संघ के 100 साल: भागवत ने कहा-कमजोर होना अपराध

नागपुर| डेस्कः राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ प्रमुख मोहन भागवत ने दशहरे के मौके पर कहा कि कमजोर होना एक अपराध है. अगर हम कमजोर हैं, तो हम अत्याचार को आमंत्रित कर रहे हैं. हम जहां भी हैं हमें एकजुट और सशक्त होने की जरूरत है.उन्होंने कहा कि कट्टरपंथी जब तक हैं, तब तक अल्पसंख्यकों के ऊपर अत्याचार होगा. अगर हम दुर्बल हैं और असंगठित हैं तो यह गलत है.

आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने शनिवार को विजयादशमी के अवसर पर नागपुर में संघ मुख्यालय में शस्त्र पूजा की.

इस अवसर पर उन्होंने स्वंयसेवकों को संबोधित करते हुए देश और दुनिया से जुड़े कई मुद्दों पर बात की.

उन्होंने कहा कि यह वर्ष महत्वपूर्ण है क्योंकि आरएसएस शताब्दी वर्ष में कदम रख रहा है. विजयादशमी के दिन संघ अपना स्थापना दिवस मनाता है. साल 1925 में विजयादशमी के दिन डॉ. बलराम कृष्ण हेडगेवार ने इसकी शुरुआत की थी.
उन्होंने कहा कि कोई देश लोगों के राष्ट्रीय चरित्र के कारण महान बनाता है. भारत इसमें से एक है, इसीलिए भारत हमेशा कहीं किसी की मदद करने के लिए आगे रहता है.

उन्होंने कहा कि परिस्थितियां कभी चुनौतीपूर्ण होती हैं तो कभी अच्छी. मानव जीवन भौतिक रूप से पहले से अधिक खुशहाल हुआ है, लेकिन खुशहाल और विकसित मानव समाज में भी कई संघर्ष जारी है. इजराइल-हमास के बीच जो युद्ध शुरू हुआ है, वह कितना व्यापक होगा इसको लेकर हर कोई चिंतित है कि इसका दूसरों पर क्या प्रभाव पड़ेगा.

बांग्लादेश को लेकर उन्होंने कहा कि वहां हिन्दुओं पर हमला हो रहा है. इस वक्त उन्हें भारत ही नहीं पूरी दुनिया से मदद मिलनी चाहिए. बांग्लादेश में ऐसी चर्चाएं हैं कि भारत से खतरा है. इसलिए पाकिस्तान को साथ लेना है. ऐसी चर्चाएं कौन करा रहा है. यह सब जानते हैं, उनका नाम लेने की जरूरत नहीं. उनकी इच्छा भारत में भी ऐसी हालत पैदा कराने की है.

उन्होंने कोलकाता रेप-मर्डर मामले का जिक्र करते हुए कहा आरजी कर अस्पताल की घटना सारे समाज को कलंकित करने वाली लज्जाजनक घटना है. विरोध कर रहे डॉक्टरों के साथ समाज खड़ा तो हुआ, लेकिन उसके बाद जिस तरह से अपराधियों को बचाने की कोशिश की गई, यह अपराध और राजनीति के बीच गठजोड़ का परिणाम है.

उन्होंने सोशल मीडिया को लेकर कहा कि इसका उपयोग समाज को जोड़ने के लिए हो, तोड़ने के लिए नहीं. मोबाइल बहुत सी चीजों के लिए अच्छा है तो इसके कुपरिणाम भी हैं.

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