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धान खरीदी: पिछले साल का चावल जमा नहीं

रायगढ़|संवाददाताः छत्तीसगढ़ के रायगढ़ जिले में गिरदावरी का काम समय पर पूरा नहीं हो पाया है. इसी वजह से अभी तक धान खरीदी का लक्ष्य तय नहीं हो पाया है. जबकि विभाग ने गिरदावरी रिपोर्ट सौंपने की अंतिम तारीख 30 सितंबर तय की थी.

गिरदावरी रिपोर्ट में भूमि का पूरा विवरण, उस पर लगाई गई फसल, सिंचाई समेत कई जानकारियां होती हैं. लेकिन ज़िले में यह काम पूरा ही नहीं हो पाया.

अब एक बार फिर से धान ख़रीदी सिर पर है.

गिरदावरी के अलावा चावल का मसला भी ज़िले में उलझा हुआ है.

हालत ये है कि 2023-24 की धान ख़रीदी का चावल, अब तक भारतीय खाद्य निगम यानी एफसीआई में जमा नहीं हो पाया है.

एफसीआई ने मिलर्स को 31 अक्तूबर तक चावल जमा करने की मोहलत दी है.

लेकिन चावल जमा करने की जो रफ़्तार है, उससे लगता नहीं है कि इस समय सीमा में भी एफसीआई के गोदामों में चावल जमा हो पाएगा.

रकबा बढ़ा पर लक्ष्य तय नहीं

राज्य में इस बार समर्थन मूल्य पर 15 नवंबर से धान की खरीदी शुरू होगी. इसके लिए अब लगभग एक महीने का समय बचा है.

सरकार ने समितियों को धान खरीदी की तैयारी शुरू करने के निर्देश दिए हैं.

रायगढ़ जिले में अभी तक धान खरीदी का लक्ष्य ही तय नहीं हो पाया है. जिस कारण से यहां ठीक से तैयारी भी शुरू नहीं हो पाई है.

इस साल जिले में धान का रकबा लगभग एक हजार हेक्टेयर बढ़ा है.

कृषि विभाग के मुताबिक जिले में पिछले साल धान का रकबा एक लाख 67 हजार हेक्टेयर था.

इस बार एक लाख 68 हजार हेक्टेयर में धान की बोनी की गई है.

अधिकारियों का कहना है कि धान का समर्थन मूल्य 3100 रुपये होने के बाद दूसरी फसल ले रहे किसानों ने भी इस साल धान ही लगाया है.

बारिश अच्छी होने के कारण फसल भी अच्छी है. जिसे देखते हुए अनुमान लगाया जा रहा है कि इस बार उत्पादन भी बेहतर होगा.

विभाग के अधिकारियों ने बताया कि पिछले साल 5.35 लाख टन धान की खरीदी हुई थी.

इस बार जिस हिसाब से रकबा बढ़ा है, उसे देखते हुए खरीदी साढ़े पांच लाख टन के पार जा सकती है.

40 हजार टन चावल जमा होना बाकी

खाद्य विभाग से मिली जानकारी के अनुसार रायगढ़ के एफसीआई गोदामों में रायगढ़, सारंगढ़, बिलाईगढ़ का चावल आता है.

इसके लिए 250 मिलर्स पंजीकृत हैं. अभी 40 हजार टन से अधिक चावल एफसीआई में जमा होना बाकी है. इसके लिए 63 रेक की जरूरत है.

आरोप है कि मिलर्स को इसके लिए कई बार समय दिया गया. उसके बाद भी मिलर्स ने चावल जमा करने में दिलचस्पी नहीं दिखाई.

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