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नवा रायपुर के ज़मीन अधिग्रहण में छत्तीसगढ़ सरकार को झटका

बिलासपुर | संवाददाता: नवा रायपुर के किसानों की ज़मीन अधिग्रहण के मामले में छत्तीसगढ़ सरकार को बड़ा झटका लगा है. हाईकोर्ट में जस्टिस रमेश सिन्हा और जस्टिस रविंद्र कुमार अग्रवाल की पीठ ने एकल पीठ के फ़ैसले को बरकरार रखते हुए, 350 एकड़ जमीन अधिग्रहण केस में एनआरडीए की अपील को खारिज कर दिया.

नया रायपुर विकास प्राधिकरण यानी एनआरडीए ने नवा रायपुर के लिए आरंग तहसील के रीको गांव के किसानों की करीब 350 एकड़ जमीन का अधिग्रहण किया था. किसानों का आरोप है कि ज़मीन अधिग्रहण के लिए 2013 के भूमि अधिग्रहण क़ानून का पालन नहीं किया गया. मुआवज़ा नियमों का भी पालन नहीं किया गया.

किसानों का कहना था कि 1894 के भूमि अधिग्रहण क़ानून के आधार पर 2014 में मुआवजा तय करना अनुचित है. इसके लिए 2013 के क़ानून का पालन किया जाना चाहिए.

इसके बाद हाईकोर्ट में जस्टिस प्रशांत कुमार मिश्रा की एकल पीठ ने 27 नवंबर 2018 को 74 किसानों की याचिका पर सुनवाई करते हुए ज़मीन अधिग्रहण को रद्द करने का आदेश दिया था. अदालत का कहना था कि भूमि अधिग्रहण क़ानून के अनुसार, भूमि अधिग्रहण की सूचना का धारा-6 के अंतर्गत प्रकाशन के एक साल के भीतर मुआवज़े की प्रक्रिया पूरी कर लेनी चाहिए थी. लेकिन इस मामले में ऐसा नहीं किया गया.

इस फ़ैसले के ख़िलाफ राज्य सरकार ने हाईकोर्ट में अपील दायर की थी.

इस अपील पर सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायाधीश की युगल पीठ ने कहा कि विद्वान एकल न्यायाधीश ने नए अधिनियम 2013 की धारा 25 पर सही ढंग से विचार किया है कि यदि मुआवज़ा 12 महीने के भीतर पारित नहीं किया गया है, तो भूमि अधिग्रहण की पूरी कार्यवाही रद्द हो जाएगी और प्रतिवादियों को भूमि अधिग्रहण की नई कार्यवाही करने की स्वतंत्रता दी गई है.

अदालत ने कहा कि यदि नया रायपुर विकास प्राधिकरण को अभी भी सार्वजनिक उद्देश्य के लिए किसी भूमि की आवश्यकता है और इस प्रकार, भले ही पुरानी भूमि अधिग्रहण की कार्यवाही समाप्त हो गई हो / रद्द कर दी गई हो, प्रतिवादियों / राज्य को नए अधिनियम 2013 के तहत नए भूमि अधिग्रहण की कार्यवाही शुरू करने का पूरा अधिकार है.

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