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हमारा महायुति नहीं टूटेगा-अजित पवार

मुंबई| डेस्कः महाराष्ट्र में डिप्टी सीएम अजित पवार को लेकर काफी दिनों से चर्चा थी कि वह सत्ताधारी गठबंधन महायुति में अपने आप को सहज महसूस नहीं कर रहे हैं. वह गठबंधन से अलग होना चाहते हैं और इसके लिए कोई बहाना खोज रहे हैं.

इन अटकलों पर बुधवार को उस समय विराम लग गया, जब अजित पवार ने कहा कि वह महायुति में हैं और महायुति नहीं टूटेगा.

उन्होंने ये भी कहा कि आगामी महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव बीजेपी व शिंदे गुट के साथ मिलकर ही लड़ेंगे.

अजित पवार पिछले काफी दिनों से किसी यात्रा के बहाने तो कभी किसी कार्यक्रम में शामिल होने के कारण लागातार जनता के बीच पहुंच रहे थे.

बीच-बीच में ऐसे बयान भी दे रहे थे, जिससे भाजपा पर दबाव बढ़ाया जा सके. इन्हीं सब बातों के चलते उनके पार्टी छोड़ने के कयास लगाए जा रहे थे.

सीएम बनना है लेकिन…

महाराष्ट्र के पांच बार के डिप्टी सीएम अजित पवार ने एक सवाल के जवाब में कहा कि वह मुख्यमंत्री बनना चाहते हैं लेकिन उनकी गाड़ी डिप्टी सीएम पर ही अटक जा रही है तो क्या किया जा सकता है. मैं आगे जाने की कोशिश करता हूं पर मौका नहीं मिलता.

उन्होंने कहा कि एक बार 2004 में एनसीपी को जरूर मौका मिला था, लेकिन पार्टी नेतृत्व ने इसे गंवा दिया.

उन्होंने कहा कि सीएम की कुर्सी तो एक ही है. इसलिए जो कोई भी उस कुर्सी पर बैठता है उनकों वो कुर्सी अच्छी लगती है. उसी हिसाब से कोशिश करना हर एक का काम है.

उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र में जो 145 सीटों का आंकड़ा हासिल करेगा, वही सीएम बनेगा.

उन्होंने यह भी कहा कि मेरी महत्वाकांक्षा क्या है, मैं अभी नहीं बोलूंगा. हमारा लक्ष्य महायुति के रूप में फिर से सत्ता में आना है.

सीट शेयरिंग फॉर्मूला तय

सीट शेयरिंग पर अजित पवार ने कहा कि 200 सीटों पर सीट शेयरिंग फॉर्मूला स्पष्ट है. फॉर्मूला 2019 के चुनावों में प्रत्येक पार्टी द्वारा जीती गई सीटों पर आधारित होगा. भाजपा 2019 में जीती गई सीटों पर चुनाव लड़ेगी. यही एनसीपी और शिवसेना के लिए भी समान है. बाकी 88 सीटें सहयोगियों के बीच विभाजित की जाएगी.

उन्होंने कहा कि 2029 विधानसभा चुनाव में अविभाजित एनसीपी ने कांग्रेस के साथ गठबंधन कर चुनाव लड़ा था. जिसमें एनसीपी 54 सीटें और कांग्रेस 44 सीटें जीतीं थीं।

इसी तरह भाजपा अविभाजित शिवसेना के साथ गठबंधन में थी, जिसमें भाजपा ने 164 सीटों पर चुनाव लड़कर 105 सीटें जीतीं थीं. जबकि शिवसेना 126 सीटों में से 56 सीटें जीतीं थीं.

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