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गोमती सरगुजा और लता बस्तर विकास प्राधिकरण की उपाध्यक्ष

रायरपुर| संवाददाताः छत्तीसगढ़ में बहुप्रतीक्षित प्राधिकरणों में नियुक्ति शुरू हो गई है.पत्थलगांव की विधायक गोमती साय को सरगुजा विकास प्राधिकरण की उपाध्यक्ष बनाया गया है. वहीं लता उसेंडी को बस्तर विकास प्राधिकरण उपाध्यक्ष की जिम्मेदारी दी गई है.

सामान्य प्रशासन विभाग ने शुक्रवार को प्राधिकरणों में नियुक्ति के आदेश जारी कर दिए.

सरकार ने आरंग विधायक गुरू खुशवंत साहेब को अनुसूचित जाति प्राधिकरण का उपाध्यक्ष बनाया है.

इसके अलावा मरवाही विधायक प्रणव मरपच्ची को मध्य क्षेत्र का उपाध्यक्ष और दुर्ग ग्रामीण विधायक ललित चंद्राकर को पिछड़ा वर्ग विकास प्राधिकरण का उपाध्यक्ष बनाया गया है.

कौन हैं गोमती साय

गोमती साय भाजपा की तेज़-तर्रार आदिवासी महिला नेता हैं.

उनकी आदिवासी कंवर समाज में अच्छी पकड़ है.

वह पिछली बार लोकसभा सांसद रह चुकी हैं.

पार्टी ने उन्हें इस बार पत्थलगांव से विधानसभा चुनाव लड़वाया था.

वह 12वीं तक पढ़ी हैं.

पूर्व मंत्री हैं लता उसेंडी

लता उसेंडी बस्तर की जानी-मानी आदिवासी नेता हैं.

पूर्व में वह महिला एवं बाल विकास मंत्री रह चुकी हैं.

प्रदेश में भाजपा की सरकार नहीं थी तब भी वह  संगठन में बड़े पदों पर रही हैं.

इस बार भी वह मंत्री बनते-बनते रह गई थीं.

खुशवंत साहेब को क्यों मिली जवाबदारी

खुशवंत साहेब धर्मगुरू बाल दास के बेटे हैं.

इसी साल विधानसभा चुनाव के दौरान ही भाजपा में शामिल हुए थे.

उन्होंने कांग्रेस के पूर्व मंत्री शिवकुमार डहरिया को हराया था.

वर्तमान में उन्हें राज्य मंत्री का दर्जा मिला है.

माना जा रहा है कि सतनामी समाज को प्रतिनिधित्व देने के लिहाज से उन्हें यह जवाबदारी सौंपी है.

ललित संगठन में निभा चुके हैं जिम्मेदारी

ललित चन्द्राकर ने दुर्ग ग्रामीण क्षेत्रों में भाजपा के सक्रिय नेता के रूप में पहचान बनाई है.

वह कुर्मी समाज से आते हैं.

वह पहले युवा मोर्चा के प्रदेश कार्यकारिणी में सदस्य रह चुके हैं.

चुनाव अभियान में संगठन में कई तरह की जिम्मेदारी निभा चुके हैं.

वह अपने कॉलेज के दिनों से ही राजनीति में सक्रिय हैं.

पहली बार विधायक बने हैं प्रणव

प्रणव कुमार पूर्व फौजी हैं.

फौज से रिटायर्ड होने के बाद 2014 में भाजपा में शामिल हुए थे.

उन्हें अनुसूचित जाति मंडल का उपाध्यक्ष बनाया गया था.

वे पहली बार विधायक बने हैं.

प्रणव को अनुसूचित जाति जनजाति मोर्चा में काम करने का भी अनुभव है.

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