छत्तीसगढ़

छत्तीसगढ़ में मैनुअल गिरदावरी होगी बंद, अगले साल से डिजिटल सर्वे

रायपुर| संवाददाताः छत्तसीगढ़ में इन दिनों खरीफ फसलों का गिरदावरी का काम चल रहा है.

पटवारी इसके लिए खेतों का चक्कर लगा रहे हैं. एक-एक खेत का सर्वे कर रिपोर्ट तैयार कर रहे हैं.

राज्य के तीन जिलों धमतरी, महासमुंद और कबीरधाम में डिजिटल तरीके से फसलों का सर्वेक्षण किय़ा जा रहा है. बाकी जिलों में मैनुअल सर्वे किया जा रहा है.

राजस्व विभाग का कहना है मैनुअल तरीके से गिरदावरी का यह आखरी साल है. इसके बाद आने वाले साल से राज्य में जियो रेफरेंस के माध्यम से डिजिटल क्रॉप सर्वे किया जाएगा.

विभाग का कहना है कि राज्य में गिरदावरी का काम आधे से ज्यादा पूर्ण हो गया है. इसको पूरा करने के लिए 30 सितंबर तक का समय है.

प्रदेश में गिरदावरी का काम 9 सितम्बर से प्रारंभ किया गया है. लक्ष्य पूरा करने के लिए पटवारियों के पास अब 13 दिन ही शेष बचे हैं.

इस अवधि के अंदर बचे काम को पूरा करना होगा. इसके बाद राजस्व विभाग सभी पंचायतों में गिरदावरी का प्रकाशन कर दावा-आपत्ति मंगाएंगे.

किसानों को दावा-आपत्ति करने के लिए 10 दिनों का समय दिया जाएगा. इसका निराकरण होने के बाद अंतिम प्रकाशन किया जाएगा.

इसके बाद भी किसान गिरदावरी रिपोर्ट से असहमत होंगे तो वह तहसीलदार के पास आवेदन कर सकते हैं.

वहां किसान का दावा सही पाया जाएगा तो फसल के रकबे में सुधार किया जाएगा.

गिरदावरी रिपोर्ट के आधार धान खरीदी

गिरदावरी रिपोर्ट के आधार पर ही समर्थन मूल्य पर धान खरीदी की जाती है.

पटवारी फसल के रकबे के आधार पर रिपोर्ट तैयार करते हैं.

इन दिनों पटवारी गांव-गांव जा कर किसान द्वारा कितने रकबे में कौन-कौन सी फसल की बुआई की गई है, जांच कर रहे हैं.

पटवारी रिपोर्ट तैयार कर उसे शासन द्वारा बनाए एप में दर्ज कर रहे हैं.

इस रिपोर्ट को दावा-आपत्ति के बाद तहसील में जमा करेंगे. वहां से गांवों से संबंधित प्रत्येक सहकारी सोसायटियों में रिपोर्ट भेजी जाएगी. जिसे सोसायटियों में चस्पा किया जाता है.

किसान उसी रिपोर्ट में दर्शाए रकबे के आधार पर अपना धान बेच सकेंगे.

गिरदावरी रिपोर्ट में अगर किसान का रकबा छूट जाएगा तो वह धान नहीं बेच पाएगा.

क्या है गिरदावरी

किसानों द्वारा अपने खेत के कितने हिस्से में फसल की बुआई की गई है उसे देखना और रिकार्ड पर दर्ज करने को गिरदावरी कहा जाता है.

गिरदावरी साल में तीन बार रबी, खरीफ और अन्य सीजन में किया जाता है.

इस समय खरीफ फसलों का गिरदावरी किया जा रहा है. राजस्व विभाग द्वारा इस काम को किया जाता है.

पटवारी खेतों में जाकर किसानों के जमीन को मापता है और जमीन के मालिकों के नाम और जमीन में हिस्से को दर्शाता है.

इससे जमीन में त्रुटि का भी पता चलता है. इसी से फसल रकबा की सही जानकारी होती है.

गिरदावरी से फसल की पैदावार और फसल बीमा का आंकलन भी किया जाता है.

तीन जिलों में डिजिटल सर्वेक्षण

राज्य सरकार ने इसी साल से फसलों के सर्वे के लिए एग्रीस्टेक परियोजना के अंतर्गत पायलट प्रोजेक्ट योजना तैयार किया है.

इस परियोजना के तहत इस साल धमतरी, महासमुंद और कबीरधाम जिले का चयन किया गया है.

इन तीनों जिलों के प्रत्येक गांव में डिजिटल फसल सर्वेक्षण किया जा रहा है.

सरकार ने इसके संचालन, निगरानी और विभागों के मध्य समन्वय स्थापित करने के लिए राज्य स्तर पर क्रियान्वयन समिति का गठन भी किया है.

सर्वे के लिए अधिकारी सहित सर्वेक्षणकर्ताओं को प्रशिक्षण दिया गया है.

इसके लिए प्रत्येक ग्राम से अधिकतम 20 सर्वेक्षणकर्ताओं का चयन किया गया है.

प्रत्येक सेर्वेक्षणकर्ताओं को 25-25 खसरों का आबंटन किया गया है. इसके लिए एक खसरे का 10 रुपए मानदेय भी निर्धारित किया गया है.

राजस्व विभाग के अधिकारी इनके कामों पर निगरानी रखे हुए हैं.

अधिकारियों का कहना है कि अगले साल से पूरे छत्तीसगढ़ में डिजिटल सर्वे किया जाएगा.

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