छत्तीसगढ़ में सीआरपीएफ के एक और जवान ने की खुदकुशी
रायपुर|संवाददाताः छत्तीसगढ़ में एक और सीआरपीएफ जवान ने आत्महत्या कर ली.
जवान ने शनिवार को अपनी सर्विस राइफल से बाथरूम में जाकर खुद को गोली मार ली.
खुदकुशी के कारणों का अभी पता नहीं चल पाया है.
छत्तीसगढ़ में पिछले 20 दिनों में पांच जवानों के खुद को गोली मारने का मामला सामने आ चुका है.
इनमें से चार की मौत हो गई है. एक जवान गंभीर रूप से घायल है, उसका उपचार रायपुर के अस्पताल में चल रहा है.
बताया गया कि जवान विपुल भूयान असम का रहने वाला था और दो दिन पहले ही छुट्टी से वापस आया था.
वह सीआरपीएफ के 226 बटालियन में पदस्थ था और गादीराम कैंप में तैनात था.
शनिवार की सुबह वह बाथरूम गया और खुद को गोली मार ली.
गोली की आवाज सुनकर अन्य जवान पहुंचे मौके पर पहुंचे और उसे तत्काल उस्पताल ले जाया गया. लेकिन अस्पताल पहुंचने से पहले की उसने दम तोड़ दिया.
छत्तीसगढ़ में 20 दिनों में 4 ने की खुदकुशी
छत्तीसगढ़ में पिछले 20 दिनों में चार जवानों ने आत्महत्या कर ली है. जवानों की आत्महत्या के आंकड़े बताते हैं कि मोर्चे पर तैनात जवानों के भीतर तनाव गहराता जा रहा है. हालांकि सुरक्षाबलों में लगातार इस बात की कोशिश हो रही है कि जवान ऐसी स्थितियों तक पहुंचे ही ना. लेकिन ऐसी कोशिशें परवान नहीं चढ़ पा रही हैं.
26 अगस्त को दंतेवाड़ा में सीआरपीएफ के प्राधान आरक्षक ने अपने सर्विस राइफल एकके-47 से अपने आप को गोली मारकर आत्महत्या कर ली थी.
वे उत्तरराखंड के रहने वाले थे और 2000 में सीआरपीएफ में भर्ती हुए थे.
जवान का नाम विपिन्द्र चन्द्र था. वह सीआरपीएफ 195 बटालियन मुख्यालय बारसूर में पदस्थ थे.
बताया गया कि मृतक जवान जून में छुट्टी से लौटा था. जवान के माता-पिता और भाई का परिवार खटीमा के भूड़ महोलिया में रहता है. वहीं पत्नी और बच्चे हल्द्वानी में रहते हैं.
बताया गया कि घटना के एक दिन पहले ही जवान ने अपनी पत्नी से बात कर हालचाल पूछा था.
इस घटना को हुए सिर्फ एक रात गुजरा था कि 27 अगस्त को छत्तीसगढ़ के दुर्ग जिले में सशस्त्र सीमा बल के जवान ने अपने इंसास राइफल से गोली मारकर आत्महत्या कर ली थी.
जवान मनोज कुमार 28वीं बटालियन में पदस्थ थे. वह अंतागढ़ से जनरल ड्यूटी कर एसएसबी मुख्यालय भिलाई आये थे.
भिलाई में ड्यूटी के दौरान उन्होंने अपनी कनपटी पर गोली मार ली थी. मनोज हरियाणा के महेन्द्रगढ़ जिले के रहने वाले थे.
इन दोनों घटना के सप्ताह भर बाद 3 सितंबर को सशस्त्र सीमा बल के ही एक और जवान ने खुदकुशी कर ली.
उत्तर प्रदेश के मेरठ निवासी राकेश कुमार छत्तीसगढ़ के कांकेर में पदस्थ थे. उनकी ड्यूटी कोसरोंडा कैंप में लगी थी.
उसी दौरान उन्होंने अपनी सर्विस राइफल से सिर पर गोली मारकर जान दे दी थी.
इस घटना के बाद तीन सितंबर को कांकेर जिले में एक एसएसबी जवान ने खुद को अपने सर्विस राइफल से गोली मारकर खुदकुशी कर ली थी.
जवान राकेश कुमार नक्सल प्रभावित कोसरोंडा 33 बटालियन कैम्प में पदस्थ था.
वह उत्तर प्रदेश के मेरठ का रहने वाला था.
इसके बाद पांच सितंबर को कांकेर में पुलिस जवान ने अपने सर्विस राइफल से खुद को गोली मार ली थी.
जवान जागृत भंडारी लोहत्तर थाने में पदस्थ था.
उसने थाने में ही अपनी कनपटी पर राइफल रख कर गोली चला दी थी.
गोली जवान के सिर के आरपार निकल गई थी. जवान को गंभीर हालत में रायपुर भेजा गया था.
दस साल में 1139 जवानों ने की खुदकुशी
देश के अलग-अलग राज्यों में पिछले 10 सालों में, जवानों की आत्महत्या के आंकड़े चिंताजनक हैं.
केन्द्र सरकार ने 2024 के लोकसभा सत्र में जानकारी देते हुए जो आंकड़े प्रस्तुत किए हैं उसके अनुसार पिछले दस साल में 1139 जवानों ने आत्महत्या की है.
इसमें केन्द्रीय सशस्त्र पुलिस बल (सीएपीएफ), असम राइफल्स (एआर) और राष्ट्रीय सुरक्षा गारद (एनएसजी) के जवान शामिल है.
इसमें सबसे ज्यादा 2021 में 214 जवानों ने खुदकुशी की है.
दस साल के आंकड़े
केन्द्र सरकार के अनुसार 2014 में 125, 2015 में 108, 2016 में 92, 2017 में 125, 2018 में 96, 2019 में 129, 2020 में 143, 2021 में 157, 2022 में 136, 2023 में 71 जवानों ने आत्महत्या की है.
इसी प्रकार केन्द्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) के पिछले तीन साल के जो आंकड़े हैं, उसके अनुसार 157 जवानों ने खुदकुशी की है.
जिसमें साल 2021 में 57, 2022 में 43 और 2023 में 57 जवानों ने अपनी जान दे दी.
इसमें छत्तीसगढ़ में पिछले तीन साल में 6 जवानों ने खुदकुशी की है, इसमें वर्ष 2024 के आंकड़ों को शामिल नहीं किया गया है.
आत्महत्या रोकने केन्द्र सरकार के दावे
सरकार का कहना है कि जवानों के रहने के लिए कैंपों में गुणात्मक सुधार किया गया है. इसके साथ ही किसी भी शिकायत के लिए 24 घंटे टोल फ्री नंबर जारी किया गया है.
इस नंबर से जवान अपनी शिकायत दर्ज करा सकते हैं.
जवानों में मानसिक परेशानी की शिकायत को देखते हुए नई दिल्ली के मनोचिकित्सक के नंबर और व्हाट्सएप नंबर बांटे गए हैं, जिससे संपर्क कर सुझाव लेने का नियम बनाया गया है.
शिकायतों के निराकरण के लिए मजबूत शिकायत प्रणाली शुरू की गई है. इसके साथ ही कमांडरों को जवानों से लगातार बातचीत करने कहा गया है.
छुट्टी के नियम को भी सरल कर दिया गया है. इसके लिए ई-लीव ऐप शुरू किया गया है.
इसी तरह स्थानांतरण के लिए संतोष ऐप शुरू किया गया है. इसके जरिए जवानों को उनकी पसंदीदा जगह पर तबादला किया जा रहा है.
इसके अलावा जवानों के तनाव को दूर करने कई सांस्कृतिक व मनोरंजन के कार्यक्रम शुरू किए गए हैं.