ख़बर ख़ासताज़ा खबरविविध

दूध को A-1, A-2 बता कर बेचना भ्रामक-एफएसएसएआई

नई दिल्ली | डेस्क: दूध, दही, घी जैसे उत्पादों को ‘A1’और ‘A2’ बता कर बेचने को एफएसएसएआई ने भ्रामक करार दिया है.

भारतीय खाद्य संरक्षा एवं मानक प्राधिकरण यानी एफएसएसएआई ने ई-कॉमर्स और फूड कारोबार कंपनियों को कहा है कि वो दूध, दही और घी जैसे दूध से बने उत्पादों की पैकेट पर ‘A1’और ‘A2’ की लेबलिंग करना बंद कर दें.

एफएसएसआई ने कहा है कि इस तरह की लेबलिंग एक किस्म की ‘मार्केटिंग चालाकी’है. इसे बंद होना चाहिए.

प्राधिकरण ने कहा कि ये दावे खाद्य सुरक्षा और मानक अधिनियम, 2006 के मुताबिक़ नहीं हैं.

एफएसएआई ने कहा कि उसने इस मुद्दे की जांच की है और पाया है कि A1 और A2 का अंतर दूध में बीटा-केसीन प्रोटीन की संरचना से जुड़ा हुआ है.

कंपनियों से कहा गया है कि अगर उनके पास पहले से छपे लेबल बच गए हैं तो इसे छह महीने में खत्म कर दें. इसके बाद इसके लिए और समय नहीं दिया जाएगा.

गौरतलब है कि ‘A1’और ‘A2’ दूध में बीटा-कैसीन प्रोटीन की संरचना अलग-अलग होती है, यह गाय की नस्ल के आधार पर अलग-अलग होती है.

गाय के दूध के 95% से अधिक प्रोटीन, कैसिइन और मट्ठा प्रोटीन से बने होते हैं. कैसिइन में, बीटा कैसिइन दूसरा सबसे प्रचुर मात्रा में पाया जाने वाला प्रोटीन है और इसमें अमीनो एसिड का उत्कृष्ट पोषण संतुलन होता है.

गोजातीय बीटा कैसिइन जीन में विभिन्न उत्परिवर्तन के कारण 12 आनुवंशिक वैरिएंट उत्पन्न हुए हैं और इनमें से A1 और A2 सबसे आम हैं.

देशी गाय (ज़ेबू प्रकार), भैंस और विदेशी गायों (टॉरिन प्रकार) पर प्रारंभिक अध्ययनों से पता चला है कि A1एलील, विदेशी मवेशियों में अधिक होता है. जबकि भारतीय देशी डेयरी गाय और भैंस में केवल A2 एलील होता है.

error: Content is protected !!