बढ़ रहे स्वाइन फ्लू के मरीज़ लेकिन इलाज के लिए इक्मो मशीन ही नहीं
बिलासपुर | संवाददाता : बिलासपुर में स्वाइन फ्लू मरीज़ों की संख्या बढ़ती जा रही है लेकिन गंभीर मरीजों के इलाज के लिए जरुरी इक्मो मशीन ही अस्पताल में नहीं है.
भयावह तो यह है कि राज्य के किसी भी सरकारी अस्पताल में यह सुविधा उपलब्ध नहीं है.
बिलासपुर में अब तक स्वाइन फ़्लू से तीन लोगों की मौत हो चुकी है.
इसके अलावा आज की तारीख़ में स्वाइन फ़्लू के 23 मरीज़ अस्पताल में भर्ती हैं.
ज़िले के सबसे बड़े अस्पताल छत्तीसगढ़ आयुर्विज्ञान संस्थान यानी सिम्स में स्वाइन फ्लू या एच १ एन १ के इलाज के लिए वायरोलॉजी डिपार्टमेंट तो है, मगर फ्लू के गंभीर होने पर इलाज के लिए इक्मो मशीन नहीं है.
एक्स्ट्राकोर्पोरियल मेम्ब्रेन ऑक्सीजनेशन (ECMO) में, रक्त को शरीर से बाहर हार्ट-लंग मशीन में पंप किया जाता है.
इस प्रक्रिया में मरीज़ के खून से कार्बन डाइऑक्साइड निकाल कर ऑक्सीजन मिश्रित कर ब्लड उसके शरीर में पहुंचाया जाता है.
यह मशीन प्रदेश के किसी भी सरकारी हॉस्पिटल में में नहीं पाया जाता है.
हाल ही में बिलासपुर के एक मरीज़ की तबियत गंभीर होने पर उन्हें रायपुर के निजी हॉस्पिटल रेफर किया गया था, जहां इक्मो मशीन से इलाज के लिए 50 लाख का एस्टीमेट दिया गया था.
अस्पताल प्रबंधन का कहना था कि इलाज के दौरान यह खर्च और अधिक भी हो सकता है.
स्वाइन फ्लू से निपटने के लिए अगर ये मशीन सरकारी अस्पताल में होता, तो मरीज़ों का इलाज कम खर्च में हो सकता था.
केवल प्रदेश के निजी अस्पताल में इसकी उपलब्धता के कारण साधारण लोगों के लिए संभव नहीं कि वह इसका खर्च वहन कर सकें.
बढ़ते जा रहे मरीज, वैक्सीन भी नहीं
स्वाइन फ़्लू इन्फ्लूएंजा टाइप-ए वायरस के कारण होने वाली श्वसन संबंधी बीमारी है.
यह विषाणुजनित बीमारी है, जो हवा के माध्यम से भी फैलती है.
जिले में अभी कुल 23 मरीज हैं जिनका इलाज चल रहा है. संभाग के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल सिम्स में 4 बिस्तरों वाला स्वाइन फ्लू वार्ड बनाया गया है लेकिन वेंटीलेटर के अलावा दूसरी कोई बड़ी सुविधा यहाँ उपलब्ध नहीं है.
यहाँ केवल टेमीफ्लू टेबलेट के भरोसे इलाज की कोशिश जारी है.
निजी अस्पताल भी इस दवा के लिए सिम्स पर ही निर्भर हैं.
यह एक वायरस से फैलने वाली बीमारी है लेकिन इसके बचाव के लिए सिम्स में वैक्सीन उपलब्ध नहीं है.
हालाँकि इसका उपयोग मरीजों पर नहीं किया जाता है. फ़्लू फैलने की स्थिति में रोकने के लिए इसका उपयोग किया जाता है.
आम तौर पर फ़्लू की आशंका के मद्देनज़र पहले से ही टीकाकरण को बेहतर विकल्प माना जाता है.