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बांग्लादेश छोड़ने के बाद पहली बार बोलीं शेख़ हसीना-साजिश है ये !

नई दिल्ली | डेस्क: बांग्लादेश से निर्वासित पूर्व प्रधानमंत्री शेख़ हसीना ने बांग्लादेश छोड़ने के बाद पहली बार अपनी प्रतिक्रिया देते हुए देश में हुई हिंसा को साजिश बताया है. उन्होंने दंगों की जांच की मांग की है.

शेख़ हसीना की प्रतिक्रिया को उनके बेटे साजीब वाजिद ने सोशल मीडिया पर पोस्ट की किया है.

साजिब वाजिद के हैंडल से किए गए ट्वीट में शेख़ हसीना के हवाले से कहा गया, “15 अगस्त 1975 को राष्ट्रपिता और उस समय राष्ट्रपति रहे बंगबंधु शेख़ मुजीबुर रहमान की बेरहमी से हत्या की गई. मैं उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करती हूं. उनके साथ-साथ मेरी मां बेगम फजीलतुन नेसा, मेरे तीन भाई- स्वतंत्रता सेनानी कैप्टन शेख़ कमाल, स्वतंत्रता सेनानी लेफ़्टिनेंट शेख़ जमाल और शेख़ कमाल और जमाल की नवविवाहित पत्नियां सुल्ताना कमाल और रोज़ी जमाल की भी निर्मम हत्या कर दी गई थी.”

उन्होंने लिखा कि उनके सबसे छोटे भाई शेख़ रसेल उस समय केवल 10 साल के थे और उनकी भी हत्या कर दी गई.

शेख़ हसीना ने 15 अगस्त 1975 को मारे गए कई स्वतंत्रता सेनानियों, सैन्यकर्मियों और उनके परिवार वालों की सूची दी और इस दिन शहीद होने वाले सभी लोगों को श्रद्धांजलि अर्पित की.

इसके बाद उन्होंने मौजूदा हालात पर लिखा, “बीती जुलाई से लेकर अब तक आंदोलनों के नाम पर तोड़फोड़, आगजनी और हिंसा की घटनाओं में हमारे देश के कई निर्दोष नागरिकों की जान चली गई है. छात्र, शिक्षर, गर्भवती महिलाएं, पुलिस अधिकारी, पत्रकार, कार्यकर्ता, नेता, आवामी लीग के कार्यकर्ता आतंकवादी हमलों का शिकार हुए और अपनी जान गंवा बैठे. मैं उनके प्रति दुख व्यक्त करती हूं और उनकी आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना करती हूं.”

शेख़ हसीना ने कहा कि मेरे जैसे अपने प्यारे लोगों को खोने के दर्द के साथ जीने वालों के प्रति उन्हें गहरी संवेदना है.

उन्होंने लिखा, “मैं इन जघन्य हत्याओं और तोड़फोड़ की घटनाओं के लिए ज़िम्मेदार लोगों की पहचान करने और उनपर क़ानूनी कार्रवाई के लिए गहन जांच की मांग करती हूं. ”

शेख़ हसीना ने बांग्लादेशवासियों को संबोधित करते हुए लिखा कि 15 अगस्त को धनमंडी इलाके के जिस घर में ये जघन्य कत्लेआम हुआ उस घर को उन्होंने और उनकी बहन रेहाना ने बांग्लादेश के लोगों के लिए समर्पित कर दिया.

ये घर अब एक म्यूज़ियम में तब्दील हो चुका है. बांग्लादेश के आम लोग और देश-विदेश के ख़ास लोगों ने इस घर को देखा है, जहां आज़ादी के संघर्ष की यादें अभी भी हैं. यह संग्रहालय स्वतंत्रता की भावना का प्रतीक है.

शेख़ हसीना ने ट्वीट में लिखा है, “हमने अपने प्रियजनों को खोने के दर्द और पीड़ा को सहते हुए जो यादें संजोकर रखी थीं, उसका एकमात्र मकसद बांग्लादेश के पीड़ित लोगों के चेहरों पर मुस्कान लाना था. इन कोशिशों के सकारात्मक नतीजे भी दिखने लगे और अब बांग्लादेश दुनिया के विकासशील देशों के बीच सम्मानजनक स्थिति में है.”

“बेहद दुख के साथ ये कहना पड़ रहा है कि आज वह सबकुछ राख में मिल गया. वो यादें जो हमारी जीवनरेखा थी, उसे जलाकर राख कर दिया गया है. ये राष्ट्रपिता बंगबंधु शेख मुजीबु्र रहमान का घोर निरादर है, जिनके नेतृत्व में हमने अपना स्वाभिमान, अपनी पहचान और अपना आज़ाद देश हासिल किया. ये लाख़ों शहीदों के ख़ून का अपमान है. मैं इस देश के लोगों से न्याय की मांग करती हूं.”

बांग्लादेश में 15 अगस्त को शोक दिवस मनाया जाता है. 1975 में शेख़ मुजीबुर रहमान समेत उनके परिवार के 15 सदस्यों को कत्ल कर दिया गया था. इस दिन वहां अवकाश रहता है. लेकिन ताज़ा घटनाक्रम में कल उस अवकाश को रद्द किए जाने की खबर है.

इस पर प्रतिक्रिया देते हुए शेख़ हसीना ने लिखा- “मैं आप सबसे आग्रह करती हूं कि 15 अगस्त को पूरे मान-सम्मान के साथ राष्ट्रीय शोक दिवस मनाएं. बंगबंधु मेमोरियल में पुष्पांजलि अर्पित करें और दिवंगत आत्माओं की शांति के लिए दुआ करें.”

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