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सेबी चेयरपर्सन की अडानी की कंपनियों में हिस्सेदारी थी-हिंडनबर्ग रिसर्च

नई दिल्ली | डेस्क: हिंडनबर्ग रिसर्च ने एक सनसनीखेज रिपोर्ट में आरोप लगाया है कि बाज़ार नियामक सेबी की चेयरपर्सन माधबी पुरी बुच और उनके पति धवल बुच की उन ऑफ़शोर कंपनियों में हिस्सेदारी रही है, जो अदानी समूह की वित्तीय अनियमितताओं से जुड़ी हुई थीं.

हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट में कहा गया है कि सेबी के चेयरपर्सन की उन ऑफ़शोर कंपनियों में हिस्सेदारी रही है, जिनका इस्तेमाल अदानी ग्रुप की कथित वित्तीय अनियमतताओं में हुआ था.

इस रिपोर्ट के बाद राजनीतिक हलचल तेज़ हो गई है.

कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने एक्स पर लिखा, ”ये सेबी चेयरपर्सन बनने के तुरंत बाद बुच के साथ गौतम अदानी की 2022 में दो बैठकों के बारे में सवाल पैदा करता है. याद करें सेबी उस समय अदानी लेनदेन की जांच कर रहा था.”

कांग्रेस ने हिंडनबर्ग रिसर्च की इस नई रिपोर्ट के बाद कहा है कि “अदानी मेगा स्कैम की व्यापकता की जांच के लिए संयुक्त संसदीय समिति बननी चाहिए.”


वहीं टीएमसी प्रवक्ता ने कहा, ”सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में लंबित जांच को देखते हुए सेबी चेयरमैन को तुरंत निलंबित किया जाना चाहिए और उन्हें और उनके पति को देश छोड़ने से रोकने के लिए सभी हवाई अड्डों और इंटरपोल पर लुकआउट नोटिस जारी किया जाना चाहिए.”

अडानी समूह और माधबी बुच ने इस रिपोर्ट का खंडन किया है.

क्या है हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट में

हिंडनबर्ग की रिसर्च रिपोर्ट में कहा गया है,” माधबी बुच के निजी ईमेल को एड्रेस किए गए 26 फरवरी 2018 के अकाउंट में उनके फंड का पूरा स्ट्रक्चर बताया गया है. फंड का नाम है “जीडीओएफ सेल 90 (आईपीईप्लस फंड 1)”. ये माॉरीशस में रजिस्टर्ड फंड ‘सेल’ है जो विनोद अदानी की ओर से इस्तेमाल किए गए फंड की जटिल संरचना में शामिल था.”

हिंडनबर्ग ने बताया है कि उस समय उस फंड में बुच की कुल हिस्सेदारी 872762.65 डॉलर की थी.

रिपोर्ट के अनुसार आज तक सेबी ने अदानी की दूसरी संदिग्ध शेयरहोल्डर कंपनियों पर कोई कार्रवाई नहीं की है, जो इंडिया इन्फोलाइन की ईएम रिसर्जेंट फंड और इंडिया फोकस फंड की ओर से संचालित की जाती है.

रिपोर्ट में कहा गया है कि सेबी चेयरपर्सन के हितों के इस संघर्ष की वजह से बाज़ार नियामक की पारदर्शिता संदिग्ध हो गई है.

सेबी की लीडरशिप को लेकर रिपोर्ट में चिंता जताई जा रही है.

अदानी समूह की वित्तीय अनियमितताओं में जिन ऑफशोर फंड्स की संलिप्तता रही है वो काफी अस्पष्ट और जटिल स्ट्रक्चर वाले हैं.

रिपोर्ट में माधबी पुरी बुच के निजी हितों और बाजार नियामक प्रमुख के तौर पर उनकी भूमिका पर सवाल उठाए गए हैं. हिंडनबर्ग रिसर्च ने कहा है अदानी ग्रुप को लेकर सेबी ने जो जांच की है उसकी व्यापक जांच होनी चाहिए.

हिंडनबर्ग रिसर्च ने कहा है कि व्हिसलब्लोअर से उसे जो दस्तावेज़ हासिल हुए हैं उनके मुताबिक़ सेबी में नियुक्ति से कुछ सप्ताह पहले माधबी पुरी बुच के पति धवल बुच ने मॉरीशस के फंड प्रशासक ट्रिडेंट ट्रस्ट को ईमेल किया था. इसमें उनके और उनकी पत्नी के ग्लोबल डायनेमिक ऑप्चर्यूनिटीज फंड में निवेश का ज़िक्र था.

हिंडनबर्ग की रिपोर्ट में कहा गया है माधबी बुच के सेबी अध्यक्ष बनने से पहले उनके पति ने अनुरोध किया था कि संयुक्त खाते को वही ऑपरेट करेंगे. इसका मतलब ये कि वो माधबी बुच के सेबी अध्यक्ष बनने से पहले पत्नी के खाते से सभी एसेट्स हटा देना चाहते थे.

चूंकि सेबी अध्यक्ष का पद राजनीतिक तौर पर काफी संवेदनशील होता है इसलिए उनके पति ने ये कदम उठाया होगा.

बुच और अडानी ने किया खंडन

माधबी बुच और उनके पति ने इस रिसर्च रिपोर्ट का खंडन किया है.

उन्होंने कहा है, ”हमारी ज़िंदगी और हमारा वित्तीय लेखा-जोखा खुली किताब की तरह है और पिछले कुछ वर्षों में सेबी को सभी आवश्यक जानकारियां दी गई हैं.”

माधबी पुरी बुच और उनके पति ने कहा है, “हमें किसी भी और वित्तीय दस्तावेज़ों का खुलासा करने में कोई झिझक नहीं है, इनमें वो दस्तावेज़ भी शामिल हैं जो उस समय के हैं जब हम एक आम नागरिक हुआ करते थे.”

इधर अडानी समूह की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि हिंडनबर्ग की ओर से लगाए गए ताजा आरोप में दुर्भावना और शरारत पूर्ण तरीके से सार्वजनिक रूप से उपलब्ध जानकारी का चयन किया गया है.

बयान में कहा गया है, ” हम अदानी समूह पर लगाए गए आरापों को पूर्ण रूप से खारिज करते हैं. यह आरोप उन बेबुनियाद दावों की री-साइकलिंग है जिनकी पूरी तरह से जांच की जा चुकी है. इन आरोपों को जनवरी 2024 में सुप्रीम कोर्ट की ओर से पहले ही खारिज़ किया जा चुका है.”

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