जंगली हाथी के हमले में 7 की मौत
जशपुर | संवाददाता: छत्तीसगढ़ में पिछले दो दिनों में हाथियों के हमले में सात लोग मारे गए हैं. शुक्रवार की देर रात जशपुर में एक जंगली हाथी के हमले में चार लोग मारे गए.
इससे पहले कोरबा ज़िले में हाथी ने तीन महिलाओं को कुचल कर मार डाला था.
जशपुर में मारे जाने वालों में तीन लोग एक ही परिवार के थे.
ग्रामीणों के अनुसार नगर पंचायत बगीचा के गम्हरिया में डीएवी स्कूल मार्ग में रामकेश्वर सोनी का घर है.
हाथी ने सबसे पहले उनके घर पर हमला बोला.
घर के भीतर सो रहे रामकेश्वर सोनी (35 वर्ष), उनकी पुत्री रवीता सोनी (9 वर्ष) और रामकेश्वर सोनी के छोटे भाई अजय सोनी (25 वर्ष) इस हमले में मौके पर ही मारे गए.
हाथी के हमले की आवाज़ सुन कर घर से बाहर निकले पड़ोसी अश्विनी कुजूर (28 वर्ष) को भी हाथी ने पटक कर मार डाला.
जिस समय हाथी ने हमला किया, इलाके में बिजली नहीं थी.
जशपुर, छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय का गृह ज़िला है.
तीन महिलाओं को मार डाला
इससे एक दिन पहले कोरबा ज़िले में एक दंतैल हाथी ने तीन महिलाओं को कुचल कर मार डाला.
पुलिस के अनुसार जांजगीर-चांपा जिले के पंतोरा जंगल से एक हाथी, सुबह-सुबह कोरबा के नराईबोध गांव की ओर पहुंचा था.
उसने गांव में घूमने के लिए निकली बुजुर्ग महिला गायत्री बाई को सूंढ़ से उठा कर पटक दिया.
महिला की बाद में अस्पताल में मौत हो गई.
इसके बाद रात को खैरभावना गांव के रहने वाले मंत्र राम चौहान की पत्नी और बहन को हाथी ने कुचल कर मार डाला.
खदान के कारण भटक रहे हैं हाथी
छत्तीसगढ़ में मानव-हाथी द्वंद्व की घटनाएं लगातार बढ़ती चली गई हैं.
विशेषज्ञों का कहना है कि हसदेव अरण्य समेत राज्य के घने जंगल के इलाके में कोयला खनन के कारण हाथियों का रहवास प्रभावित हुआ है.
इससे पहले सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर भारत सरकार के वाइल्ड लाइफ इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया ने हसदेव में एक अध्ययन किया था.
वाइल्ड लाइफ इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया ने चेतावनी दी थी कि हसदेव में एक भी नया कोयला खदान शुरु होने पर राज्य में यह द्वंद्व इतना भयावह तरीके से बढ़ेगा कि उसे रोक पाना असंभव होगा.
लेकिन इस चेतावनी के बाद भी अडानी के एमडीओ वाले नये खदानों के हसदेव अरण्य में मंजूरी देने का सिलसिला जारी है.