देश के नंबर 2 इन्क्यूबेशन सेंटर को बंद करने की तैयारी ?
रायपुर। संवाददाताः छत्तीसगढ़ में एक ओर जहां युवाओं को उद्यम से जोड़ने आईटी हब, शी-हब जैसे नए-नए प्रोजेक्ट बनाए जा रहे हैं, वहीं दूसरी ओर इन्हीं युवाओं के लिए बनाए गए राज्य के पहले इन्क्यूबेशन सेंटर 36 आईएनसी को बंद करने की तैयारी है. इसे रमन सिंह सरकार के कार्यकाल में शुरु किया गया था.
राजधानी के पंडरी सिटी सेंटर मॉल स्थित इस पहले इन्क्यूबेशन सेंटर में न तो फुल टाइम सीईओ हैं, न फैकल्टी और न ही किसी अन्य प्रकार की जरूरी सुविधाएं. इसके कारण कई पंजीकृत स्टार्टअप्स इंक्यूबेशन सेंटर को छोड़कर चले गए, वहीं बचे हुए स्टार्टअप को भी सेंटर छोड़ने पर मजबूर किया जा रहा है.
36 आईएनसी की दिक्कतों को लेकर काम कर रहे स्टार्टअप के लोग चिप्स के सीईओ से लेकर मुख्यमंत्री तक गुहार लगा चुके हैं, लेकिन उनकी कहीं सुनवाई नहीं हो रही है.
राज्य का पहला और देश का दूसरा सबसे बड़ा सेंटर
36 आईएनसी राज्य का पहला और देश का दूसरा सबसे बड़ा इन्क्यूबेशन सेंटर है. इसे अप्रैल 2018 में शुरू किया गया था.
पंडरी के सिटी सेंटर मॉल में लगभग 30 हजार वर्ग फीट में इसे स्थापित किया गया है. इसे बनाने में करीब 20 करोड़ रुपए खर्च किए गए हैं.
इस सेंटर को स्टार्टअप उद्यमियों के लिए नई टेक्नोलॉजी वाले नवीनतम उपकरणों से लैश किया गया था.
सेंटर में थ्री-डी प्रिंटर्स, लेज़र कटर, इलेक्ट्रॉनिक्स टेस्टिंग और मल्टीमीडिया प्रोडक्शन जैसी सुविधाएं उपलब्ध कराई गई थीं.
सेंटर के लोकार्पण के बाद यहां 125 स्टार्टअप उद्यमियों ने अपना काम शुरू किया था, जिनमें से कई अब भी काम कर रहे हैं.
इस तरह का इन्क्यूबेशन सेंटर बेंगलुरू में भी बनाया गया है.
36 आईएनसी इन्क्यूबेशन सेंटर को केंद्र सरकार द्वारा अटल अभिनव केंद्र बनाने के लिए 3 गैर शैक्षणिक इन्क्यूबेटरों में से एक के रूप में चुना गया था.
पूरे देश से प्राप्त लगभग 2,000 आवेदनों में से राज्य 36 आईएनसी इन्क्यूबेशन सेंटर का चयन हुआ था.
भाजपा कार्यकाल में शुरु हुआ था
राज्य के इस पहले इन्क्यूबेशन सेंटर को लेकर किसी में कोई दिलचस्पी दिखाई नहीं दे रही है. इससे अंदेशा जताया जा रहा है कि इस सेंटर को बंद करने की पूरी तैयारी कर ली गई है.
उद्यम के क्षेत्र में अपना भविष्य बनाने वाले प्रतिभावान युवाओं को संसाधन की कमी से कहीं भटकना न पड़े, इसके लिए भाजपा शासनकाल में ही, अप्रैल 2018 में राज्य के इस पहले इन्क्यूबेशन सेंटर की शुरूआत की गई थी. इसका शुभारंभ तत्कालीन मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने किया था.
इसका शुभारंभ जितनी जोर-शोर से किया गया था, बाद में उतनी तेजी से इसको लेकर अधिकारियों में उदासीनता भी देखने को मिली.
कांग्रेस के पांच साल के शासनकाल में यह इन्क्यूबेशन सेंटर पूरी तरह से उपेक्षित रहा. उम्मीद की जा रही थी कि भाजपा की सरकार आने के बाद इस ओर फिर से ध्यान दिया जाएगा.
लेकिन इस सरकार में स्टार्टअप को लेकर नए-नए प्लान जरूर तैयार किए जा रहे हैं, परंतु राज्य के इस पहले इन्क्यूबेशन सेंटर की ओर किसी का ध्यान नहीं है.
अंदेशा जताया जा रहा है कि इस सेंटर को नया रायपुर ले जाने की तैयारी है. इसलिए इस इन्क्यूबेशन सेंटर की ओर ध्यान नहीं दिया जा रहा है.
जून 2019 से फुल टाइम सीईओ नहीं
इन्क्यूबेशन सेंटर 36 आईएनसी में जून 2019 के बाद फुल टाइम सीईओ की नियुक्ति नहीं हुई है.
इसके पहले सीईओ राजीव राय थे. उनके बाद सौरभ चौबे को सीईओ बनाया गया.
फिर अजितेश पांडेय सीईओ बने, लेकिन उनके पास चिप्स की भी जिम्मेदारी थी. बताया जा रहा है कि इसके कारण 36 आईएनसी को वे समय नहीं दे पाते थे.
इतना ही नहीं, इन्क्यूबेशन सेंटर में फैकल्टी और अन्य स्टॉफ की भी नियुक्ति नहीं की गई.
फुल टाइम सीईओ और फैकल्टी की कमी के कारण इन्क्यूबेशन सेंटर के प्रोग्राम कभी भी सुचारू रूप से संचालित नहीं हो पाए.
फैकल्टी की नियुक्ति न होने से नए प्रोग्राम लाने को लेकर भी अधिकारियों में उदासीनता बनी रही.
इन्क्यूबेशन सेंटर में न तो स्टार्टअप संबंधित मेंटर, न स्टार्टअप प्रोग्राम और न ही कोई स्कीम संचालित है, जिससे स्टार्टअप लाभांवित हो सकें.
12 महीने पानी, बिजली और लिफ्ट की समस्या
सिटी सेंटर मॉल के करीब 30 हजार वर्गफीट में बने इस इन्क्यूबेशन सेंटर में 12 महीने पानी, बिजली, लिफ्ट और वाईफाई की समस्या बनी रहती है.
बताया जा रहा है कि इस समस्या का कोई समाधान नहीं निकाला जा रहा है.
सेंटर में पंजीकृत स्टार्टअप से बकायदा प्रति सीट 3000 रुपए किराया लिया जाता है. इसके बावजूद उन्हें जरूरी सुविधाएं मुहैया नहीं कराई जा रही हैं.
स्टार्टअप के टीम मेंबर के साथ एक-दो बार मेडिकल इमरजेंसी के हालात भी बन गए, फिर भी समस्याओं का कोई समाधान नहीं निकाला जा रहा है.
मॉल मैनेजमेंट द्वारा स्टार्टअप के लोगों को सेंटर से निकालने की बार-बार धमकी भी मिलती रहती है.
मॉल मैनेजमेंट, चिप्स, उद्योग विभाग और आरडीए के बीच चल रही रस्साकसी के कारण इन्क्यूबेशन सेंटर में काम करने वाले लोग परेशान हैं.
न सब्सिडी का लाभ, न काम में कोटा निर्धारित
स्टार्टअप पॉलिसी के मुताबिक, स्टार्टअप को सीटिंग चार्जेज में सब्सिडी का प्रावधान था, लेकिन यह सब्सिडी कभी भी स्टार्टअप्स को नहीं मिल पाई.
स्टार्टअप के लोग जब भी सब्सिडी मांगने जाते हैं तो उन्हें एक विभाग से दूसरे विभाग के चक्कर कटवाए जाते हैं. इस मामले में सभी संबंधित विभागों के अधिकारी अपना-अपना पल्ला झाड़ लेते हैं.
राज्य के किसी भी काम में स्टार्टअप के लिए कोटा भी निर्धारित नहीं है.
इतना ही नहीं, बताया जा रहा है कि इन्क्यूबेशन सेंटर में स्टार्टअप्स के फाइनेंशियल सपोर्ट के लिए कोई इन्वेस्टर मीट नहीं कराई जाती है.
टेक्निकल या फील्ड में सपोर्ट के लिए भी कोई कदम नहीं उठाये जा रहे हैं.
लंबे समय से इन्क्यूबेशन सेंटर में स्टार्टअप ट्रेनिंग सेशन प्रोग्राम्स बंद हैं.
कोविड के बाद ब्याजमुक्त लोन पर थमा दी गई नोटिस
इन्क्यूबेशन सेंटर के शुरू होने के बाद कुछ स्टार्टअप्स को अपने इनोवेशन को आगे बढ़ाने के लिए ब्याज मुक्त लोन दिया गया था.
उसके ठीक बाद कोविड महामारी आ गई. इसमें बहुत से स्टार्टअप बंद हो गए, वहीं कुछ आज भी उसके नुकसान से उबर नहीं पाए हैं.
बताया जा रहा है कि ऐसे स्टार्टअप की मदद करने के बजाय नियमों का हवाला देकर उन स्टार्टअप से लोन राशि की एक बड़ी पेनल्टी के साथ वसूल की जा रही है.
इसके लिए बकायदा सभी स्टार्टअप्स को नोटिस थमाई गई है.
स्टार्टअप्स के लोगों का कहना है कि कोविड के दौर में किसी जिम्मेदार अधिकारी ने उनका हाल नहीं पूछा और न ही समस्या को हल करने का प्रयास किया, लेकिन वही लोग अचानक अब नोटिस देकर पेनल्टी सहित राशि वापस करने का दबाव बना रहे हैं.
इससे स्टार्टअप के लोग प्रताड़ित महसूस कर रहे हैं.
उनकी मांग है कि स्टार्टअप्स को दी गई लोन राशि को ग्रांट में परिवर्तित कर दिया जाए.
इससे राज्य सरकार को कोई नुकसान नहीं होगा, वहीं स्टार्टअप्स डूबने से बच जाएंगे.
बंद नहीं, स्थानांतरित करने पर चल रहा विचार
चिप्स के सीईओ रितेश अग्रवाल ने सीजी खबर से बातचीत में कहा कि 36 आईएनसी को बंद करने का कोई विचार नहीं है.
सिटी सेंटर मॉल में सेंटर किराए पर चल रहा है. उन्हें दिक्कतों की जानकारी है.
उसे किसी अन्य स्थान पर स्थानांतरित करने पर विचार चल रहा है, लेकिन इस संबंध में अभी तक कोई निर्णय नहीं हुआ है.
उन्होंने कहा कि इस संबंध में कोई भी निर्णय लिया जाएगा तो उसमें स्टार्टअप्स का पूरा खयाल रखा जाएगा.