पेंड्रावन जलाशय मामला फिर ‘उफान’ पर
रायपुर। संवाददाताः छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर से लगे सौ साल पुराने पेंड्रावन जलाशय का मामला एक बार फिर उफान पर आ गया है.
पेंड्रावन जलाशय में खनन के लिए दी गई एनओसी निरस्त करने के बाद हाईकोर्ट के एक फैसले ने इस मामले को गरमा दिया है.
छत्तीसगढ़ बचाओ आंदोलन के संयोजक आलोक शुक्ला और पेंड्रावन जलाशय बचाओ किसान संघर्ष समिति के सचिव घनश्याम वर्मा ने राज्य सरकार से पेंड्रावन जलाशय में खनन की अनुमति नहीं देने की अपील की है.
आलोक शुक्ला ने कहा कि “यदि खनन की अनुमति दी गई तो 100 वर्षों से अधिक पुराने ऐतिहासिक बांध, जिससे 3440 किसानों की 2440 हेक्टेयर जमीन सिंचित होती है, उसका अस्तित्व पूरी तरह से ख़त्म हो जाएगा. क्षेत्र के दर्जनों गांव को इस जलाशय से निस्तार का पानी मिलता है और भूमिगत जल स्रोत रिचार्ज होता है. खनन से जलाशय के विनाश के साथ ही सम्पूर्ण खरोरा और सरगांव क्षेत्र में गंभीर जल संकट और खनन से प्रदूषण की स्थिति पैदा हो जाएगी.”
गौरतलब है कि पेंड्रावन जलाशय के केचमेंट में अल्ट्राटेक कम्पनी की 689 हेक्टेयर क्षेत्रफल में लाइम स्टोन माइनिंग प्रस्तावित है. छत्तीसगढ़ शासन जल संसाधन विभाग ने 3 जनवरी 2017 को खनन के पक्ष में एनओसी जारी की थी.
आरटीआई से मामले का खुलासा होने के बाद क्षेत्र के किसानों ने इसे लेकर व्यापक आंदोलन किया था. किसान आंदोलन और स्थानीय विधायक की मुखरता के कारण 20 मार्च 2017 को विभाग द्वारा जारी इस एनओसी को तत्कालीन जल संसाधन मंत्री ने निरस्त कर दिया था.
निरस्तीकरण के इस आदेश को खनन कंपनी ने उच्च न्यायालय में चुनौती दी थी. न्यायालय ने 25 अप्रैल 2024 को विभाग के निरस्तीकरण के आदेश को ख़ारिज करते हुए जल संसाधन विभाग से कहा है कि वह कंपनी को सुनवाई का अवसर देते हुए तीन महीने के अंदर पुनः निर्णय ले.
न्यायालय के फैसले के बाद छत्तीसगढ़ बचाओ आंदोलन, पेंड्रावन जलाशय बचाओ किसान संघर्ष समिति ने एक बार फिर से सरकार पर दबाव बढ़ा दिया है.
छत्तीसगढ़ बचाओ आंदोलन के संयोजक आलोक शुक्ला और पेंड्रावन जलाशय बचाओ किसान संघर्ष समिति के सचिव घनश्याम वर्मा ने न्यायालय के आदेश के बाद कहा कि “हम राज्य सरकार से मांग करते हैं कि वह कम्पनी के दवाब में आए बिना जलाशय और पर्यावरण के संरक्षण व किसान हित में फैसला लेते हुए एनओसी पुनः जारी न करे एवं खनन के पक्ष में किए अनुबंध (माइनिंग लीज) को निरस्त करे.’’
इस संबंध में क्षेत्र के किसान शीघ्र ही मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय से मुलाकात करने वाले हैं.