धरी रह गई घुरवा बाड़ी योजना, जैविक खेती में पिछड़ा छत्तीसगढ़
रायपुर | संवाददाता: छत्तीसगढ़ में जैविक फसलों के क्षेत्रफल और उत्पादन, दोनों में गिरावट का सिलसिला जारी है. भूपेश बघेल सरकार की जैविक खेती को बढ़ावा देने की योजनाएं धरी रह गईं.
राज्य सरकार ने अरबों रुपये गोबर और जैविक खाद के नाम पर खर्च किए. राज्य को जल्दी ही जैविक खेती का हब बनाने की घोषणाएं भी हुईं लेकिन धरातल के आंकड़े बताते हैं कि छत्तीसगढ़ इस मामले में और पीछे चला गया.
राज्य में न केवल जैविक खेती के क्षेत्रफल में गिरावट आई है, बल्कि जैविक उत्पादन भी कम हुआ है.
केंद्र सरकार के ताज़ा आंकड़ों के अनुसार 2022-23 में राज्य में शुद्ध बोए क्षेत्र में से कुल जैविक खेती का क्षेत्रफल 2.7 फ़ीसदी था.
2022-23 में राज्य में जैविक प्रमाणीकरण के अंतर्गत कुल क्षेत्रफल 16,900 हेक्टेयर था.
आंकड़ों के अनुसार 2021-22 के मुकाबले इसमें 27.2 फ़ीसदी की कमी आई.
छत्तीसगढ़ में 2021-22 के मुकाबले 2022-23 में कुल जैविक उत्पादन में 14.2 फ़ीसदी की कमी आई है.
2022-23 में कुल जैविक उत्पादन 17,704 टन था.
यह तब है, जब पड़ोसी राज्य मध्यप्रदेश में इसी दौरान जैविक प्रमाणीकरण के तहत खेती के क्षेत्र में 48.8 फ़ीसदी की बढ़ोत्तरी हुई.
यही हाल पड़ोसी राज्य ओडिशा में रहा, जहां जैविक प्रमाणीकरण के तहत खेती के क्षेत्रफल में 100 फ़ीसदी की बढ़ोत्तरी हुई.
यहां तक कि झारखंड में भी जैविक खेती के रकबे में 1.6 फ़ीसदी की बढोत्तरी हुई.
तेलंगाना में भी जैविक खेती के रकबे में 2021-22 के मुकाबले 100 फ़ीसदी से अधिक की बढोत्तरी दर्ज की गई.