अरविंद केजरीवाल को जमानत
नई दिल्ली | डेस्क : दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को सुप्रीम कोर्ट ने जमानत दे दी है. सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस संजीव खन्ना और दीपांकर दत्ता की पीठ ने अरविंद केजरीवाल को 1 जून तक अंतरिम जमानत दी.
केजरीवाल को 21 मार्च को गिरफ्तार किया गया था और वह न्यायिक हिरासत के तहत तिहाड़ जेल में बंद हैं.
इससे पहले गुरुवार को प्रवर्तन निदेशालय ने कथित आबकारी नीति घोटाले से जुड़े धनशोधन मामले में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की अंतरिम जमानत के मुद्दे पर हलफनामे के जरिये सुप्रीम कोर्ट में विरोध दर्ज कराया.
ईडी का कहना था कि चुनाव में प्रचार करने का अधिकार न तो मौलिक अधिकार है और न ही संवैधानिक.
सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने कहा कि शराब नीति मामला अगस्त 2022 में दर्ज किया गया था और केजरीवाल को लगभग डेढ़ साल प्रवर्तन निदेशालय ने 21 मार्च को गिरफ्तार किया था और तब से वह हिरासत में हैं.
इससे पहले 3 मई को सुनवाई के दौरान बेंच ने लोकसभा चुनाव के मद्देनजर केजरीवाल की अंतरिम जमानत के सवाल पर विचार करने की बात कही थी.
बाद की तारीखों में, सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता और अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू द्वारा अंतरिम जमानत देने का कड़ा विरोध किया गया.
उन्होंने तर्क दिया कि ईडी के पास केजरीवाल के खिलाफ “सबूत” थे और चुनाव प्रचार जमानत देने पर विचार करने का मानदंड नहीं होना चाहिए.
हालांकि पीठ ने कहा था कि वह एक निर्वाचित मुख्यमंत्री का मामला देख रही है, न कि कोई आदतन अपराधी और आम चुनाव 5 साल में केवल एक बार होते हैं.
7 मई को सुनवाई के दौरान, पीठ ने मौखिक रूप से सुझाव दिया कि यदि वास्तव में अंतरिम रिहाई का निर्देश दिया गया, तो केजरीवाल को आधिकारिक कर्तव्यों का पालन करने की अनुमति नहीं दी जाएगी, क्योंकि इसका व्यापक प्रभाव होगा.
इधर ईडी ने कल सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दायर कर केजरीवाल को अंतरिम जमानत देने का विरोध किया था.
आज, सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने तर्क दिया कि खालिस्तानी गतिविधियों पर राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम के तहत हिरासत में लिए गए अमृत पाल सिंह ने भी चुनाव लड़ने के लिए जमानत के लिए अदालत का दरवाजा खटखटाया है.
तुषार मेहता ने कहा कि चुनाव के आधार पर केजरीवाल को जमानत देने से व्यापक प्रभाव पड़ेगा.
इस पर न्यायमूर्ति खन्ना ने कहा, “वह (अमृत पाल सिंह मामला) कुछ अलग है.”
इसके बाद तुषार मेहता ने कहा कि जब कोई व्यक्ति खुद उम्मीदवार नहीं हो तो उसे प्रचार के लिए रिहा करने का कोई उदाहरण हमारे सामने नहीं है.
अदालत ने इस तरह की बात नहीं करने के लिए कहा.
अदालत ने कहा-“अगस्त 2022, ईडी ने ईसीआईआर दर्ज की. उन्हें मार्च 2024 में गिरफ्तार किया गया था। डेढ़ साल तक वह वहां थे. गिरफ्तारी बाद या पहले भी हो सकती थी. फिर, 21 दिन इधर या उधर से कोई फर्क नहीं पड़ना चाहिए.”
सॉलिसिटर जनरल ने आग्रह किया कि पीठ को जमानत के लिए शर्तें लगानी चाहिए जैसे कि उन्हें प्रेस से बात नहीं करनी चाहिए और आखिरी तारीख पर आत्मसमर्पण करना चाहिए.
पीठ ने कहा कि अरविंद केजरीवाल को दो जून को आत्मसमर्पण करना होगा.
ममता ने किया स्वागत
अरविंद केजरीवाल को सुप्रीम कोर्ट से अंतरिम ज़मानत मिलने पर पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने ख़ुशी ज़ाहिर की है.
ममता बनर्जी ने एक्स पर पोस्ट करते हुए कहा, “मुझे ये देखकर बहुत ख़ुशी मिली है कि अरविंद केजरीवाल को अंतरिम ज़मानत मिल गई है. मौजूदा चुनावों के संदर्भ में ये बहुत मददगार होगी.”
वहीं, महाराष्ट्र के पूर्व सीएम उद्धव ठाकरे के बेटे आदित्य ठाकरे ने कहा है कि अरविंद केजरीवाल को देश में तानाशाही शासन के ख़िलाफ़ राहत मिलना बदलाव की हवा का बड़ा संकेत है.
उन्होंने कहा कि केजरीवाल सच बोल रहे थे और बीजेपी को यही पसंद नहीं है.
आदित्य ठाकरे ने कहा, “भारत के लिए इंडिया गठबंधन और अरविंद केजरीवाल को इससे और शक्ति मिलेगी. हम अपने लोकतंत्र और संविधान की रक्षा करके रहेंगे.”