इतिहास

रामकथा वाचक दाऊद खान

रायपुर | संवाददाता: छत्तीसगढ़ के सुप्रसिद्ध रामकथा वाचक दाऊद खान का 8 सितंबर रात को उनके निवास पर निधन हो गया. दाऊद खान वास्तव में हमारे देश की गंगा-जमुनी संस्कृति पर आधारित राष्ट्रीय एकता और सामाजिक समरसता के प्रेरणास्त्रोत थे. राष्ट्रपति पुरस्कार प्राप्त वयोवृद्ध शिक्षक श्री दाऊद खान ने गोस्वामी तुलसी दास रचित महाकाव्य रामचरित मानस के प्रवचनों के जरिये मर्यादा पुरूषोत्तम श्रीराम के ऊंचे आदर्शों को जन-जन तक पहुंचाने के लिए अपना सम्पूर्ण जीवन समर्पित कर दिया.

उन्होंने छत्तीसगढ़ में ही नहीं बल्कि पूरे देश में लगभग 70 वर्षों से अपने मानस प्रवचनों के जरिए जनमानस में एक अमिट छाप छोड़ी.

उल्लेखनीय है कि धमतरी जिले के निवासी 93 वर्षीय दाऊद खान की पहचान और ख्याति रामकथा वाचक के रूप में छत्तीसगढ़ सहित देश के अनेक राज्यों में रही. गोस्वामी तुलसीदास रचित महाकाव्य ’रामचरित मानस’ की गहन व्याख्या करते हुए उन्होंने लोगों को सामाजिक समरसता का संदेश दिया.

मर्यादा पुरूषोत्तम भगवान श्रीराम के प्रति उनकी भक्ति और श्रद्धा उनके मानस प्रवचन से प्रकट होती थी. दाऊद खान वर्ष 1949 से 1960 तक लगातार ग्यारह साल रायपुर शहर में मानस प्रवचन कर चुके थे. उन्हें देश के अन्य शहरों में भी रामकथा वाचन के लिये आमंत्रित किया जाता था.

दाऊद खान हिन्दी, संस्कृत और छत्तीसगढ़ी भाषाओं के विद्वान मानस प्रवचनकार थे. वर्ष 1947 में जब उन्होंने रामचरित मानस पर प्रवचन करने का निर्णय लिया, जब उनके माता-पिता और भाई ने विरोध किया, लेकिन उनका प्रवचन सुनकर वे भी धीरे-धीरे रामचरित मानस की ओर आकर्षित होते गए. दाऊद खान वर्ष 1970 में राष्ट्रपति भवन नई दिल्ली, वर्ष 1972 में मुख्यमंत्री निवास भोपाल और मानस समारोह के अंतर्गत वर्ष 1974 में राजभवन भोपाल में भी मानस प्रवचन कर चुके थे.

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