सरकार ने माना 5वीं-8वीं बोर्ड जरूरी
रायपुर | संवाददाता: छत्तीसगढ़ में 5वीं व 8वीं की बोर्ड परीक्षायें फिर से होंगी. स्कूली शिक्षा के गिरते स्तर को रोकने के लिये 5वीं व 8वीं की बोर्ड पराक्षा इसी सत्र से ली जायेंगी. उल्लेखनीय है कि शिक्षा के अधिकार के तहत पिछले 6 साल से इन दोनों कक्षाओं में बोर्ड परीक्षा बंद कर दी गई थी. जिसके तहत कोई फेल नहीं होता था तथा 8वीं तक पढ़ भी लेता था. उल्लेखनीय है कि छत्तीसगढ़ में 6वीं के विद्यार्थी को 3री कक्षा का का भी ज्ञान नहीं और 8वीं कक्षा का विद्यार्थी 5वीं की किताब भी नहीं पढ़ सकता. पिछले साल पंचायतों और वार्डों के जरिए जो सर्वे करवाये गये, उनमें भी ज्यादातर स्कूल ‘सी’ और ‘डी’ ग्रेड के निकले. यह सरकार द्वारा ही कराये गये सर्वे का नतीजा है. 43 हजार 529 स्कूलों में सर्वे कराया गया, जिनमें करीब 16 हजार स्कूल ‘सी’ और ‘डी’ ग्रेड के निकले.
इतने दिनों तक 5वीं तथा 8वीं की बोर्ड परीक्षी नहीं होती थी परन्तु सतत मूल्यांकन होता रहता था. इस सत्र से इन दोनों कक्षाओं में भी बोर्ड की परीक्षा होगी, ग्रेडिग दी जायेगी, हां किसी को फेल नहीं किया जायेगा.
छत्तीसगढ़ के स्कूल शिक्षा मंत्री ने बुधवार को इसका निर्णय लेने के बाद कहा कि राज्य में चलाये जा रहे शिक्षा गुणवत्ता अभियान के तहत 5वीं व 8वीं की बोर्ड परीक्षा फिर से लेने का निर्णय लिया गया है. इससे बच्चों में प्रतियोगिता की भावना बढ़ेगी.
5वीं तथा 8वीं की परीक्षा के बाद अंकसूची जारी की जायेगी. अंकसूची के आधार पर ‘ए’ से ‘डी’ तक का ग्रेड दिया जायेगा.
ग्रेडिंग इस तरह से होगी-
‘ए’ ग्रेड- 100-80 अंक मिलने पर.
‘बी’ ग्रेड- 79-60 अंक मिलने पर.
‘सी’ ग्रेड- 59-40 अंक मिलने पर.
‘डी’ ग्रेड- 40 से कम अंक मिलने पर.
स्कूल शेड्यूल में बदलाव-
* स्कूल का पीरियड 40 के बजाये 50 मिनट का होगा.
* शनिवार को प्राइमरी कक्षायें दोपहर को तथा मिडिल कक्षायें सुबह.
* शनिवार को योग तथा खेलकूद कराना अनिवार्य.
छत्तीसगढ़ के शिक्षा का विश्लेषण-
राष्ट्रीय स्तर पर 5 साल तक के बच्चों के स्कूल जाने की संख्या 26.29 फीसदी है जबकि इसकी तुलना में छत्तीसगढ़ में इसी उम्र के 27 फीसदी बच्चे स्कूल जाते हैं. राष्ट्रीय स्तर पर 10 साल के बच्चों के स्कूल जाने की संख्या 87.84 फीसदी है जबकि छत्तीसगढ़ में इसी उम्र के 94.34 फीसदी बच्चे स्कूल जाते हैं. जहां तक 17 साल के युवक-युवतियों के स्कूल जाने का आकड़ा है तो यह छत्तीसगढ़ के लिये राष्ट्रीय स्तर से कम है.
राष्ट्रीय स्तर पर 17 साल के युवक-युवतियों के स्कूल जाने की संख्या 62.27 फीसदी है परन्तु छत्तीसगढ़ में यह संख्या 58.42 फीसदी है. जिसका अर्थ होता है कि छत्तीसगढ़ में 17 साल के युवक-युवतियों के हाई स्कूल जाने की संख्या राष्ट्रीय स्तर से 3.85 फीसदी कम है. जाहिर है कि 8वीं तक जब बच्चों की उम्र 14-15 साल की होती है अगली कक्षाओं में चले जाते हैं परन्तु परन्तु 10वीं बोर्ड तक पहुंचते-पहुंचते रुक जाते हैं. आगे बढ़ने पर पता चलता है कि राष्ट्रीय स्तर पर 20-24 साल के युवक-युवतियों के शिक्षण संस्थानों में जाने की संख्या 24.08 फीसदी है जबकि छत्तीसगढ़ में यह 17.32 फीसदी ही है.
भारत की जनसंख्या 1,21,08,54,977
भारत में स्कूल जाने वालों की संख्या निम्नानुसार है:
5 साल तक के बच्चों की कुल संख्या- 2,60,54,230
इनमें से स्कूल जाने वालों की संख्या- 68,49,778 (26.29%)
10 साल तक के बच्चों की कुल संख्या- 3,05,52,107
इनमें से स्कूल जाने वालों की संख्या- 2,68,38,039 (87.84%)
17 साल तक के बच्चों की कुल संख्या- 2,12,17,467
इनमें से स्कूल जाने वालों की संख्या- 1,32,14,008 (62.27%)
20-24 साल तक के लोगों की कुल संख्या- 11,14,24,222
इनमें से शिक्षण संस्थानों में जाने वालों की संख्या- 2,68,34,218 (24.08%)
छत्तीसगढ़ की जनसंख्या 2,55.45,198
छत्तीसगढ़ स्कूल जाने वालों की संख्या निम्नानुसार है:
5 साल तक के बच्चों की कुल संख्या- 5,63,788
इनमें से स्कूल जाने वालों की संख्या- 1,56,379 (27%)
10 साल तक के बच्चों की कुल संख्या- 6,23.376
इनमें से स्कूल जाने वालों की संख्या- 5,88,120 (94.34%)
17 साल तक के बच्चों की कुल संख्या- 4,73,687
इनमें से स्कूल जाने वालों की संख्या- 2,76,767 (58.42%)
20-24 साल तक के लोगों की कुल संख्या- 23,89,947
इनमें से शिक्षण संस्थानों में जाने वालों की संख्या- 4,14,087 (17.32%).