अंग प्रत्यारोपण सेंटर खुलेगा
रायपुर | संवाददाता: छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में अंग प्रत्यारोपण केन्द्र खोलने के लिये प्रयास शुरु कर दिये गये हैं. यदि यह संभव हो सका तो पीपीपी मॉडल के इस सेंटर में किडनी, लीवर, पैनक्रियाज, हार्ट जैसे अंगों का प्रत्यारोपण हो सकेगा. इसके लिये पहल अमरीकी डॉक्टर राजिंदर बाली ने की है.
भारतीय मूल के अमरीकी डॉक्टर राजिंदर बाली ने शुक्रवार को अपनी टीम के साथ मिलकर मंत्रालय में इसका प्रेजेंटेशन दिया. अमरीकी डॉक्टर ने छत्तीसगढ़ के स्वास्थ्य विभाग के आला अफसरों के सामने अपना प्रजेंटेशन दिया. राज्य सरकार की तरफ से इस तरह के पहलकदमी को हर संभव सहायता देने का भरोसा दिया गया.
डॉक्टर राजिंदर बाली को मानव अंग प्रत्यारोपण से संबंधित भारतीय कानून के बारें में भी बताया गया. रायपुर मेडिकल कॉलेज में छत्तीसगढ़ की अंग प्रत्यारोपण की अनुमति देने वाली समिति भी है.
उल्लेखनीय है कि छत्तीसगढ़ में मुख्यमंत्री संजीवनी कोष से किडनी के प्रत्यारोपण के लिये तीन लाख रुपये दिये जाते हैं.
डॉक्टर बाली का कहना है कि अंग प्रत्यारोपण के लिये विश्व बैंक से भी अनुदान मिल सकता है.
अंग प्रत्यारोपण
अंग प्रत्यारोपण से अभिप्राय किसी शरीर से एक स्वस्थ और कार्यशील अंग निकाल कर उसे किसी दूसरे शरीर के क्षतिग्रस्त या विफल अंग की जगह प्रत्यारोपित करने से है. अंग दाता जीवित या मृत दोनों हो सकता है. जो अंग प्रत्यारोपित हो सकते हैं उनमे हृदय, गुर्दे, यकृत, फेफड़े, अग्न्याशय, शिश्न, आँखें और आंत शामिल हैं. ऊतक जो प्रत्यारोपित हो सकते हैं उनमे अस्थियाँ, टेंडन, कॉर्निया, हृदय वाल्व, नसें, बाहु और त्वचा शामिल हैं.
उल्लेखनीय है कि हर वर्ष करीब 2.1 लाख भारतीयों को गुर्दा प्रत्यारोपण की आवश्यकता पड़ती है लेकिन केवल 3 से 4 हजार के बीच गुर्दा प्रत्यारोपण हो पाते हैं. हृदय प्रत्यारोपण के मामले में भी स्थिति भिन्न नहीं है. भारत में हर वर्ष करीब 4 से 5 हजार रोगियों को हृदय प्रत्यारोपण की आवश्यकता पड़ती है लेकिन देश में अभी तक केवल 100 हृदय प्रत्यारोपण किए गए हैं.
राष्ट्रीय अंधता नियंत्रण कार्यक्रम की 2012-13 की रिपोर्ट के अनुसार 2012-13 में केवल 4,417 कार्निया उपलब्ध थे जबकि हर वर्ष करीब 80 हजार से एक लाख के बीच लोगों को इनकी आवश्यकता होती है. भारत में फिलहाल 120 प्रत्यारोपण केंद्र हैं जिनमें हर वर्ष करीब 3,500 से 4,000 के बीच गुर्दे प्रत्यारोपित हो पाते हैं. इन केंद्रों में से चार ऐसे केंद्र हैं जिनमें हर वर्ष 150 से 200 के बीच यकृत प्रत्यारोपित किए जाते हैं. इनमें से कुछ केंद्रों में कभी कभार हृदय प्रत्यारोपण भी किए जाते हैं.