नेपाल: ‘प्रचंड’ बन सकते हैं प्रधानमंत्री
काठमांडू | समाचार डेस्क: नेपाल में केपी शर्मा ओली के इस्तीफे के बाद पुष्प कुमार दहाल ‘प्रचंड’ वहां के प्रधानमंत्री बन सकते हैं. नेपाल के प्रधानमंत्री के. पी. शर्मा ओली ने रविवार को अपने पद से इस्तीफा दे दिया. इसके साथ ही हिमालय की गोद में बसा यह देश एक बार फिर राजनीतिक अनिश्चितता में फंस गया है.
अधिकारियों ने कहा कि ओली ने यहां राष्ट्रपति बिद्या देवी भंडारी को राष्ट्रपति कार्यालय में इस्तीफा सौंपा. अपनी सरकार के खिलाफ संसद में लाए गए अविश्वास प्रस्ताव पर मतदान से पहले ही उन्होंने यह कदम उठाया.
संसद में अविश्वास प्रस्ताव पर जवाब देते हुए ओली ने कहा, “यहां आने से पहले, मैंने राष्ट्रपति से मुलाकात की और अपना इस्तीफा सौंप दिया.”
ओली अक्टूबर 2015 में नेपाल के 38वें प्रधानमंत्री चुने गए थे.
ओली के इस्तीफे के बाद माना जा रहा है कि नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी सेंटर) के अध्यक्ष पुष्प कुमार दहाल ‘प्रचंड’ के नेपाल का नया प्रधानमंत्री बनने का रास्ता साफ हो गया है.
नेपाल की संसद में शुक्रवार को वार्षिक बजट से जुड़े तीन विधेयकों को बहुमत के जरिए खारिज कर दिए जाने के बाद ओली के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा शुरू हुई थी.
बजट से जुड़े विधेयकों का खारिज हो जाना ओली सरकार के लिए बड़ा झटका था. गठबंधन में प्रमुख सहयोगी कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ नेपाल (माओवादी सेंटर) के समर्थन वापस ले लेने के बाद ओली सरकार अल्पमत में आ गई थी.
माओवादी पार्टी ने ओली कैबिनेट से अपने सभी मंत्रियों को वापस बुला लिया था.
सरकार के अल्पमत में आने के बाद भी ओली ने इस्तीफा देने से मना कर दिया. इसके बाद नेपाली कांग्रेस और माओवादी पार्टी ने उनके खिलाफ संयुक्त रूप से अविश्वास प्रस्ताव पेश किया.
प्रचंड की पार्टी का आरोप है कि ओली सरकार भूकंप के बाद नेपाल के पुनर्निर्माण की जिम्मेदारी निभाने, नए संविधान को ठीक से लागू करने और मधेसी दलों की मांगों को पूरा करने में नाकाम साबित हुई.
अपने इस्तीफे के बाद ओली ने सदन को संबोधित किया और अपनी सरकार के कामकाज को सही बताया. ओली ने कहा कि इस समय उनकी सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पेश किया जाना ‘सहज व स्वाभाविक’ नहीं है. उन्होंने कहा, “देखने में यह प्रस्ताव लोकतांत्रिक लग सकता है, लेकिन वस्तुत: यह एक साजिश है.” उन्होंने इसे ‘रहस्यमयी’ भी बताया.
ओली ने दावा किया कि उन्होंने पड़ोसी भारत और चीन से राष्ट्र की आजादी को बरकरार रखते हुए संबंध बेहतर किए. चीन के साथ व्यापार करार कर एक देश (भारत) पर निर्भरता को खत्म किया.
उन्होंने नई सरकार को बेहतर काम करने की चुनौती दी.