मेरी ब्रा से आप क्यों परेशान हैं
नई दिल्ली | डेस्क: सलोनी चोपड़ा द्वारा ब्रा पर दिये बयान के बाद वह सोशल मीडिया में छा गई है. सलोनी चोपड़ा ने महिला मुक्ति का एक अलग ही नजरिया पेश किया है. कई इससे सहमत नहीं हो सकते हैं परन्तु सलोनी का पोस्ट नये सवालों के साथ पेश हुआ है. जिसे ऩज़रअंदाज नहीं किया जा सकता है. टीवी अभिनेत्री और मॉडल सलोनी चोपड़ा की ब्रा से संबंधित एक इंस्टाग्राम पोस्ट की आजकल ख़ूब चर्चा हो रही है. इस पोस्ट ने सोशल मीडिया पर एक नई बहस छेड़ दी है. भूख, बेरोजगारी, गरीबी, अकाल जैसी समस्याओं से जूझते इस देश में सलोनी का यह पोस्ट कई लोगों को बेहद गैरजरुरी लग सकता है. लेकिन खाये-पीये-अघाये हुये लोगों की एक दुनिया से इतर भी हिंदुस्तान का एक बड़ा वर्ग है, जिसे इस पोस्ट को पढ़ने की ज़रुरत है. ये रहा सलोनी का पूरा पोस्ट-
जिंदगी एक ब्रा की तरह है. और महिलाओं को अपनी सेक्शुअलिटी को लेकर और ज्यादा खुलने की जरूरत है. जिस भी बेतुके शख्स का ये फैसला है कि पुरुष बिना शर्ट के या अपने बॉक्सर्स में इधर-उधर घूम सकते हैं, लेकिन लड़कियां अपनी ब्रा में भी नहीं नजर आ सकतीं, ऐसे लोगों ने यकीनन समाज को नुकसान पहुंचाया है. क्या आपको पता है कि अब भी ऐसे कुछ लोग हैं जिन्हें महिलाओं की ब्रा की स्ट्रैप दिखाई देने से परेशानी है. वो स्ट्रैप है!! अगर आपके पहने कपड़ों से आपकी ब्रा की शेप नजर आती है तो लोगों को ये जरा भी पसंद नहीं आता.
मैं ऐसे कुछ बीमार लोगों से मिली हूं. और आप उन्हें ये बता भी नहीं सकते कि वो इस तरह की ओछी सोच वाली बीमारी से ग्रसित हैं. वो सामान्य ही नजर आते हैं. शुरुआत में तो वो आपको बहुत अच्छा महसूस कराते हैं. ये वही लोग हैं जो इंस्टाग्राम पर बोल्ड मॉडल्स को फॉलो करते हैं और फोन में पोर्न रखते हैं. ये लोग बेहद खुले विचारों वाले लोगों की तरह पेश आते हैं. ये आपसे फेमिनिज्म और ग्लोबल वॉर्मिंग की बातें करते हैं. और यकीन करें कि वो सबसे पहले ‘ब्रा की स्ट्रैप’ देखकर ही उत्तेजित हो जाते हैं..और फिर भड़क उठते हैं. ‘आपको पब्लिक के सामने ‘सलीके’ से कपड़े पहनना चाहिए’. अगर आप ऐसे बीमार लोगों से मिलें तो पहले तो उन्हें डॉक्टर के पास भेजें और फिर उन्हें कहें तुम्हारी ऐसी की तैसी.
मुझे सच में समझ नहीं आता कि इनरवियर में प्रोब्लम क्या है? मैं पहनती हूं. हां. क्या मुझे इन्हें पूरी तरह छुपाकर ऐसा अभिनय करना चाहिए कि मैंने इनरवियर पहने ही नहीं हैं? ये सिर्फ एक कपड़े का टुकड़ा है जो मेरे ब्रेस्ट को ढकता है. जैसे कि एक स्कर्ट मेरे पैरों को ढकती है, और बाजू मेरे कंधों को. तो इसमें परेशानी क्या है? सिर्फ एक शब्द ब्रेस्ट? क्या ये महिलाओं के ब्रेस्ट हैं जो इस दुनिया को असहज कर देते हैं? क्या पुरुष इतने कमजोर होते हैं?
मेरा यकीन करें, हमारे ब्रेस्ट धार्मिक या पवित्र नहीं हैं, वो केवल हमारे शरीर का हिस्सा हैं. महिलाओं से कहना बंद करो कि वो इसको लेकर असहज महसूस करें. हमारे ब्रेस्ट हमारी ‘गरिमा और सम्मान’ नहीं हैं. पुरुष अपनी छातियों का दिखावा करते हैं, जबकि महिलाएं किसी के सामने हाथों में अपनी ब्रा भी नहीं पकड़ सकतीं. लेकिन मैं करूंगी. क्योंकि मैं इसको लेकर शर्मिंदा नहीं हूं. मेरे पास कुछ भी छुपाने को नहीं है. इनरवियर कोई ऐसी चीज नहीं है जिसे छुपा कर रखा जाए. बल्कि ये तो बहुत प्यारी है..है न? मुझे खीज होती है उन महिलाओं से जो हमेशा महसूस करती हैं कि उन्हें हर चीज पर शर्मिंदा होना चाहिए जैसे कि पैड्स, टैम्पून, इनरवियर, हमारा शरीर, हमारी इच्छाएं और सेक्स पर भी. अब इसे खत्म करना चाहिए. अपने विचारों को जरा खोल दो.