पशु वध पर मोदी के मंत्रियों में ठनी
नई दिल्ली | समाचार डेस्क: बिहार में नीलगाय को मारनें को लेकर मोदी के दो मंत्रियों में ठन गई है. तरफ पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने बिहार में फसलों को बर्बाद करने वालें नील गायों को मारने के पक्ष में हैं तो महिला एवं बाल विकास मंत्री मेनका गांधी उऩका विरोध कर रही है. उल्लेखनीय है कि बिहार में अब तक 250 के करीब नील गायों को गोली मार दी गई है. जिसके बाद से यह बखेड़ा खड़ा हो गया है. पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर का कहना है कि राज्यों के अनुरोध पर उनके मंत्रालय को इसकी अनुमति देनी पड़ती है वहीं मेनका ने कहा है कि देशभर में विभिन्न राज्यों में हाथी, बंदर और मोरों को मारने की अनुमति दी गई है.
When state govts write to us about farmers suffering due to crop damage by animals, then such permissions are given: Prakash Javadekar
— ANI (@ANI_news) 9 जून 2016
केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री मेनका गांधी ने गुरुवार को पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर पर देशभर में पशुओं की हत्या की व्यवस्था को बढ़ावा देने का आरोप लगाया. जवाब में जावड़ेकर ने अपने मंत्रालय का बचाव करते हुए कहा कि ‘ऐसी अनुमतियां राज्य सरकार की सिफारिशों पर दी जाती हैं.’
मेनका ने यह भी कहा कि पर्यावरण मंत्रालय की ‘पशुओं की हत्या की हवस’ उनकी समझ से बाहर है.
मशहूर पशु अधिकार कार्यकर्ता मेनका ने कहा, “पर्यावरण मंत्रालय हर राज्य को लिख कर पूछ रहा है कि किस पशु की हत्या की जानी चाहिए और वे इसके लिए अनुमति दे देंगे.”
मेनका ने कहा, “बंगाल में उन्होंने (पर्यावरण मंत्रालय ने) हाथियों की हत्या की अनुमति दे दी है, हिमाचल प्रदेश में बंदरों को मारने का आदेश दिया है और गोवा में मोरों को मारने की इजाजत दे दी है.”
मेनका ने संवाददाताओं से, “चंद्रपुर में उन्होंने 53 जंगली भालुओं को मार डाला है और 50 और भालुओं को मारने की अनुमति दे दी है. यहां तक कि उनके अपने वन्यजीव विभाग ने भी कहा है कि वे पशुओं की हत्या नहीं करना चाहते. पशुओं को मारने की उनकी हवस मेरी समझ से बाहर है.”
उन्होंने पशुओं की हत्या के लिए पर्यावरण मंत्री को भी जिम्मेदार ठहराया.
इसमें प्रकाश जावड़ेकर की भूमिका के बारे में उन्होंने कहा, “अब आप मुझे बताइए कि क्या भूमिका हो सकती है? उन्हें केवल अनुमति देनी है. यह पहली बार है जब पर्यावरण मंत्रालय पशुओं की हत्या की अनुमति दे रहा है.”
मेनका के आरोपों का जवाब देते हुए जावड़ेकर ने कहा, “जब राज्य सरकारें फसलों को पशुओं द्वारा पहुंचे नुकसान के कारण किसानों की परेशानियों के बारे में हमें लिखती हैं, तो हमें ऐसी अनुमति देनी पड़ती है. यह राज्य सरकारों की सिफारिश पर ही किया जाता है. यह केंद्र सरकार का कार्यक्रम नहीं है, यह एक मौजूदा कानून है.”