उत्तराखंड: भाजपा ने मानी हार
देहरादून | एजेंसी: उत्तराखंड में मंगलवार को कई दिनों से चल रहे राजनीतिक ड्रामे का पटाक्षेप हो गया. सर्वोच्च न्यायालय के निर्देश पर मंगलवार को राज्य विधानसभा में हुए शक्ति परीक्षण में कांग्रेस के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने बाजी मार ली, हालांकि आधिकारिक तौर पर परिणाम बुधवार को जारी किया जाएगा. भारतीय जनता पार्टी ने हार स्वीकार कर ली है. सदन में अपदस्थ मुख्यमंत्री हरीश रावत के पक्ष में 33 वोट पड़े, जबकि 28 वोट उनके खिलाफ पड़े. कांग्रेस के नौ बागी विधायकों की अयोग्यता शीर्ष अदालत द्वारा बरकरार रखने के बाद सदन में सदस्यों की संख्या 72 से घटकर 62 हो गई है.
अध्यक्ष ने मतदान नहीं किया और नौ बागी सदस्यों को पहले ही मतदान से वंचित कर दिया गया था. शक्ति परीक्षण के कुछ ही मिनटों बाद कांग्रेस जीत का जश्न मनाने लगी.
नैनीताल विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस की विधायक सरिता आर्य ने एक निजी टेलीविजन चैनल से कहा कि “कांग्रेस ने विश्वास मत हासिल कर लिया है.”
हरीश रावत ने मतदान के परिणाम पर कोई टिप्पणी नहीं की, लेकिन सर्वोच्च न्यायालय, लोकतांत्रिक ताकतों और समर्थन के लिए उत्तराखंड के लोगों को धन्यवाद दिया.
रावत ने संवाददाताओं से कहा, “उत्तराखंड कल विजेता बनेगा.”
उन्होंने कहा, “मैं आशा करता हूं कि राज्य पर से अनिश्चितता के बादल छंट जाएंगे और चीजें स्पष्ट हो जाएंगी.”
कांग्रेस के कई नेताओं ने निजी बातचीत में कहा कि उन्होंने विश्वास मत हासिल कर लिया है और जब सर्वोच्च न्यायालय परिणाम की घोषणा करेगा, तो उनकी बात सही साबित हो जाएगी.
शक्ति परीक्षण के बाद सदन से बाहर आते हुए कांग्रेस के विधायकों ने विश्वास मत के परिणाम पर टिप्पणी करने से मना कर दिया. हालांकि कुछ ने विजय चिन्ह दिखाए और नारे लगाए, “कांग्रेस जिंदाबाद, हरीश रावत जिंदाबाद.”
भाजपा के सदस्य गणेश जोशी ने भी माना कि उनकी पार्टी विश्वास मत के दौरान पराजित हो गई है.
सर्वोच्च न्यायालय के आदेश पर विधानसभा की कार्यवाही की वीडियोग्राफी होने के बाद जोशी ने संवाददाताओं से कहा, “संख्या के खेल में भाजपा, कांग्रेस को पराजित नहीं कर सकी.”
जोशी ने कांग्रेस पर अपने विधायकों का समर्थन हासिल करने के लिए बाहुबल और धनबल के प्रयोग का आरोप लगाया.
कांग्रेस के पास 27 विधायक हैं, जबकि भारतीय जनता पार्टी के पास 28 विधायक. प्रगतिशील लोकतांत्रिक मोर्चा के 4 और बहुजन समाज पार्टी के 2 विधायक हैं. इन सभी 6 विधायकों ने खुले तौर पर रावत के पक्ष में मतदान किया.
उत्तराखंड सरकार को 27 मार्च को बर्खास्त कर दिया गया था. इसके बाद हरीश रावत के पास विधायकों की संख्या का पता लगाने के लिए सदन में मतदान कराया गया. केंद्र की भाजपानीत सरकार ने इस पहाड़ी राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू करने के लिए कुशासन का उल्लेख किया था.
कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने कहा, “उत्तराखंड में लोकतंत्र की विजय और षड्यंत्रकारियों की हार हुई है. पैसे और बाहुबल पर सच की हमेशा विजय होती है.”
उन्होंने कहा कि हरीश रावत की सरकार को उखाड़ फेंकने के लिए भाजपा ने कांग्रेस के बागियों के साथ साठगांठ की. उसे देश से माफी मांगनी चाहिए.
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद ने कहा, “लोकतंत्र की विजय हुई. उत्तराखंड में सर्वोच्च न्यायालय के बूते ही शक्ति परीक्षण संभव हो सका. भाजपा ने लोकतंत्र का गला घोंटने की कोशिश की.”
शक्ति परीक्षण के बाद भी हरीश रावत की मुश्किलें कम नहीं होने वाली. उन्हें कांग्रेस के बागी विधायकों को अपने पक्ष में करने के लिए रिश्वत देने के मामले में नई दिल्ली में केंद्रीय जांच ब्यूरो के समक्ष पेश होना बाकी है.
पूरे राजनीतिक घटनाक्रम पर सबसे पहले दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने प्रतिक्रिया दी.
उन्होंने ट्वीट किया, “उत्तराखंड का परिणाम मोदी सरकार के लिए गहरा आघात है. आशा है कि वे अब सरकारों को अस्थिर करने का काम नहीं करेंगे.”
इससे पहले मंगलवार को बसपा नेता मायावती ने अपनी पार्टी का समर्थन कांग्रेस को देने की घोषणा की थी. उन्होंने कहा, “हमने सांप्रदायिक ताकतों का हमेशा विरोध किया. हमारे दो विधायक कांग्रेस के पक्ष में मतदान करेंगे.”