छत्तीसगढ़

छग में 9500 cr का घोटाला: कांग्रेस

रायपुर | संवाददाता: छत्तीसगढ़ कांग्रेस ने आरोप लगाया है कि राज्य में 9500 करोड़ की अनियमितता पाई गई है. छत्तीसगढ़ विधानसभा के बजट सत्र के अंतिम दिन सीएजी की रिपोर्ट पेश की गई. जिसके आधार पर कांग्रेस ने यह आरोप लगाया है. प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष भूपेश बघेल और कांग्रेस विधायक दल के नेता टी.एस. सिंहदेव ने कहा है कि सरकार सीएजी रिपोर्ट पर चर्चा से बचना चाहती है इसलिये सत्र के अंतिम दिन इसे सदन में पेश किया गया. उन्होंने छत्तीसगढ़ विधानसभा का विशेष सत्र बुलाकर इस पर चर्चा करने की मांग की है. विधानसभा के पटल में रखी गयी सीएजी रिपोर्ट पर त्वरित प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुये प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष भूपेश बघेल और कांग्रेस विधायक दल के नेता टी.एस. सिंहदेव ने कहा है कि 31 मार्च 2015 को समाप्त होने वाले वित्तीय वर्ष की सीएजी रिपोर्ट में छत्तीसगढ़ में जमकर वित्तीय गड़बडि़या उजागर हुयी है.

सीएजी रिपोर्ट में उजागर हुये 9500 करोड़ की वित्तीय गड़बडि़यों और घोटालों पर त्वरित प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुये प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष भूपेश बघेल और कांग्रेस विधायक दल के नेता टी.एस. सिंहदेव ने कहा है कि छत्तीसगढ़ महालेखाकार की रिपोर्ट पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुये कहा कि छत्तीसगढ़ सरकार की अनियमितताओं की पोल महालेखाकार की रिपोर्ट से खुल कर सामने आ गयी है.

रिपोर्ट के अनुसार छत्तीसगढ़ का वित्तीय घाटा 1573 करोड़ जा पहुंचा है. अतः कुल वित्तीय घाटा 3.81 प्रतिशत हो जाता है जबकि 3 प्रतिशत से अधिक घाटा नहीं होना चाहिये. छत्तीसगढ़ में प्रति व्यक्ति ऋण जो 2009-10 में 6632 रू. प्रति व्यक्ति था. वह 2014-15 में 11500 रू. प्रति व्यक्ति तक जा पहुंचा है. 2010-11 से अभी तक 5 सालों में 167 खातों में शासन का 4826 करोड़ फंसा है. 2014-15 में 833 करोड़ बजट से ज्यादा की राशि खर्च कर दी गयी और इसका नियमितीकरण ही विधायिका से नहीं कराया है. अभी तक 2313 करोड़ को अब तक रेग्युलर नहीं किया गया है जो राज्य में संवैधानिक व्यवस्था पर सवाल खड़ा करता है.

छत्तीसगढ़ कांग्रेस ने एक प्रेस विज्ञप्ति के माध्यम से आरोप लगाया कि पृथक-पृथक जांचों में 9500 करोड़ से अधिक की अनियमितता सरकार के ध्यान नहीं देने से अनियमितता बन गयी है. सीएजी रिपोर्ट में विपणन संघ में अकेले 270 करोड़ का नुकसान उजागर किया है. उद्योग में गड़बड़ी, रेवेन्यू में गड़बड़ी 300 करोड़ से कम मिली. मार्कफेड बैंक से पैसा लेता है और 844 करोड़ अतिरिक्त ब्याज देता है. 844 करोड़ अतिरिक्त ब्याज लापरवाही के परिणाम स्वरूप बैंको को देना पड़ा. उद्योगों को कम कीमत पर भूमि दिये जाने से ही राजकोश को 344 करोड़ की क्षति हुयी है. अपने चहेते उद्योगपतियों को लाभ पहुंचाने के लिये राजकोश को 344 करोड़ का नुकसान रमन सिंह सरकार ने पहुंचाया है.

मिड डे मिल की जांच में पाया गया कि 30 स्कूलों में 210 दिन से कम खाना दिया गया. 8000 स्कूलों में किचन शेड ही नहीं बना है. शराब के ठेकेदारों को भाजपा सरकार की मिलीभगत का तो यह हाल है कि वैट की राशि ठेकेदरों से लेने के बजाय सरकार ने खुद पटा दी है.

धान चांवल उपार्जन एक कस्टम मिलिंग में सीएजी रिपोर्ट में गड़बडि़यों का जखीरा मिला है. छत्तीसगढ़ में बढ़ते प्रदूषण के बावजूद पर्यावरण विभाग के कार्यो में घोर लापरवाही पायी गयी. छत्तीसगढ़ पर्यावरण मंडल ने नकारात्मक जांच परिणाम के बावजूद कोई सुधारात्मक कार्यवाही नहीं की.

31 मार्च 2015 को समाप्त होने वाले वित्तीय वर्ष की सीएजी रिपोर्ट में कहा गया है कि मार्कफेड द्वारा धान का उपार्जन कम था. खरीफ विपणन सीजन में कैश केडिट का भुगतान नहीं होने और क्षतिपूर्ति दावे विलंब से तैयार एवं प्रस्तुत करने से अतिरिक्त ब्याज का भुगतान किया गया. मार्कफेड द्वारा भारतीय खाद्य निगम और सीजीएससीएससी पर बकाया प्राप्ती वसूल के प्रभावी प्रयास नहीं किये गये. भारत सरकार द्वारा निर्धारित शर्त से अधिक मिलिंग दरों के भुगतान के कारण छत्तीसगढ़ शासन को हानि उठानी पड़ी.

31 मार्च 2015 को समाप्त होने वाले वित्तीय वर्ष की सीएजी रिपोर्ट में कहा गया है कि उपार्जित धान के लिये कवर भंडारण सुविधा उपलब्ध न होने और इसकी मिलिंग के एमएस अवधि में न होने के कारण राशि 278.36 करोड़ का धान खराब हुआ. धान की सूखत/कमी के कारण राशि 96.80 करोड़ की हानि हुई.

31 मार्च 2015 को समाप्त होने वाले वित्तीय वर्ष की सीएजी रिपोर्ट में कहा गया है कि बैंक गारंटी के स्थान पर पोस्ट डेटेड चेक द्वारा भुगतान का प्रावधान मिलरों को धान जारी किये जाने के परिणाम स्वरूप पोस्ट डेटेड चेक बैंको से बाउंस होने से राशि 74.53 करोड़ के चांवल की प्राप्ति नहीं हुई. उपलब्धता के बावजूद निकटतम समिति/संग्रहण केन्द्रों से धान का उठाव न होने के परिणामस्वरूप परिवहन षुल्क के रूप में अतिरिक्त व्यय हुआ.

31 मार्च 2015 को समाप्त होने वाले वित्तीय वर्ष की सीएजी रिपोर्ट में कहा गया है कि परिवारों के पहचान के लिये उचित सत्यापन नहीं किये जाने के कारण अत्यधिक मात्रा में बोगस राशनकार्ड जारी किये गये और इन राशनकार्डो पर खाद्यान्न का वितरण किया गया.

31 मार्च 2015 को समाप्त होने वाले वित्तीय वर्ष की सीएजी रिपोर्ट में कहा गया है कि छत्तीसगढ़ में, छत्तीसगढ़ मेडिकल सेवा निगम लिमिटेड की स्थापना (अक्टूबर 2010) में दवाओं एवं उपकरणों की केन्द्रीयकृत क्रय के लिये की गयी, जिसने वर्ष 2013-14 से वाणिज्यिक गतिविधियां शुरू की थी. छत्तीसगढ़ मेडिकल सेवा निगम लिमिटेड एवं मांग विभाग के बीच समन्वय की कमी के कारण समानांतर क्रय सीएजी ने पाया कि निविदा के अंतिम रूप देने में बहुमूल्य उपकरण की स्थापना में एवं अन्य स्वास्थ्य उपकरण में विलंब हुआ.

इसके अतिरिक्त प्रदायकर्ता फर्म को अनुचित लाभ पहुंचाना, दवाओं के मांग, उठाव एवं खरीदी में विसंगतियां, दवाओं की खरीद पर अतिरिक्त व्यय एवं निविदाओं पर अफलदायी व्यय पाया गया.

छत्तीसगढ़ पाठ्यपुस्तक निगम (सीटीबीसी) में सीएजी ने पाया कि 2009-10 से वार्षिक लेखा तैयार नहीं किया था तथा चार्टेड एकाउटेंट द्वारा लेखा परीक्षा नहीं था और इसने स्थापना (2014) के समय से सोसाइटी पंजीयक को लेखा प्रस्तुत नहीं किया था. साधारण सभा के द्वारा वर्ष 2013-14 से बजट का अनुमोदन नहीं किया था.

31 मार्च 2015 को समाप्त होने वाले वित्तीय वर्ष की सीएजी रिपोर्ट में कहा गया है कि शैक्षणिक सत्र के लिये पुस्तकों के आवश्यकता के आंकलन के लिये मानक तंत्र तैयार नहीं किया था जिसके फलस्वरूप अधिक स्टॉक शेष तथा पाठ्यक्रम से बाहर अनुपयोगी पाठ्यपुस्तकों के कारण हानि हुई. पेपर पर क्रय उच्च दरों पर करने के परिणामस्वरूप सीटीबीसी को हानि हुई. विलंब से पेपर की आपूर्ति तथा मुद्रन के लिये शास्ती का आरोपण नहीं किया था. अवधि 2012-14 के दौरान पाठ्यपुस्तकों के मुद्रण के लिये निविदाओं का अंतिमीकरण समय दर विष्लेशण के अभाव के परिणामस्वरूप सीटीबीसी को हानि हुई. आधे, निविदा के शर्तो के पालन नहीं करने के परिणामस्वरूप मुद्रकों को अधिक भुगतान हुआ.

31 मार्च 2015 को समाप्त होने वाले वित्तीय वर्ष की सीएजी रिपोर्ट में कहा गया है कि छत्तीसगढ़ राज्य एड्स नियंत्रण समिति जो कि राज्य में नोडल एजेंसी के रूप में कार्य करता है, एड्स के बारे में सूचना, शिक्षा एवं संचार के माध्यम से अपने गतिविधियों में जागरूकता लाने में असफल रहा. ये असावधानी पूर्वक वार्षिक योजना तैयार करती है एवं योजना के अंतर्गत किये गये गतिविधियों पर निगरानी नहीं रखती. इस प्रकार कम व्यय क्षमता के परिणामस्वरूप भारत शासन 33.15 करोड़ अप्राप्त रहा.

छत्तीसगढ़ राज्य एड्स नियंत्रण समिति ने वर्ष 2010-15 के दौरान वार्षिक कार्य योजना के अनुसार लक्ष्य को प्राप्त नहीं कर सकी. अनेक एंटी रिट्रोवायरल औषधियां एक से 270 दिनों तक स्टाक से बाहर थी. कुल 1875 एचआईवी पाजिटिव रोगी को एआरटी से जोड़े नहीं गये थे. ब्लड बैंक जगदलपुर में 108 में से 20 यूनिट ब्लड बिना परीक्षण के रोगी का जारी किये गये थे.

31 मार्च 2015 को समाप्त होने वाले वित्तीय वर्ष की सीएजी रिपोर्ट में कहा गया है कि मौसम आधारित फसल बीमा योजना के कार्यान्वयन की अधिसूचना जारी करने में विलंब, खरीफ, 2014 के जोखिम अवधि का कम कवरेज, ऋणी कृषकों का कवरेज नहीं किया जाना, कृषकों को दावा भुगतान में विलंब तथा विभिन्न स्तरों पर योजना की क्रियान्वयन का अनुश्रवण करने में कृषि विभाग विफल रहा.

प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष भूपेश बघेल और कांग्रेस विधायक दल के नेता टी.एस. सिंहदेव ने कहा है कि सीएजी की रिपोर्ट विधानसभा के अंतिम दिवस प्रस्तुत कर सरकार ने इस रिपोर्ट पर चर्चा से भागने के लिये ऐसा किया. होना तो यह चाहिये कि इस पर पूरी चर्चा होती. सीएजी एक संवैधानिक संस्था है. सीएजी के उठाये गये सवालों का परीक्षण अब लोकसेवा समिति करेगी. भाजपा सरकार सीएजी रिपोर्ट में उजागर हुये घोटालों पर कार्यवाही करने के बजाय बचाव कर रही है. सरकार घोटालेबाजों की सरकार है. सरकार में साहस है तो विधानसभा का विशेष सत्र बुलाकर सीएजी की रिपोर्ट पर चर्चा करा लें. सरकार सीएजी रिपोर्ट पर चर्चा से बचने के लिये सत्र के अंतिम दिन रिपोर्टो को रखती है.

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