राष्ट्र

अदालत ने कन्हैया की बेल रद्द नहीं की

नई दिल्ली | समाचार डेस्क: दिल्ली उच्च न्यायालय ने कन्हैया कुमार की अंतरिम जमानत को रद्द करने से बुधवार को इंकार कर दिया. न्यायाधीश न्यायमूर्ति सुरेश कैत ने दिल्ली पुलिस की दलील के बाद सुनवाई को 28 अप्रैल के लिए स्थगित कर दी. दिल्ली पुलिस ने कहा कि वह इस बात की पुष्टि कर रही है कि कन्हैया ने अंतरिम जमानत का उल्लंघन किया है या नहीं.

दिल्ली पुलिस के वकील शैलेंद्र बब्बर ने न्यायालय से कहा कि पुलिस पहले से ही मामले की जांच कर रही है और अभी तक उसने न्यायालय का रुख नहीं किया है.

उन्होंने कहा, “कन्हैया कुमार ने अपनी जमानत की शर्तो का उल्लंघन किया है या नहीं, एक विवादित तथ्य है. ऐसी अवस्था में हमने अंतरिम जमानत को रद्द करने की सिफारिश का विकल्प नहीं चुना है.”

दिल्ली सरकार ने कहा कि वह कन्हैया की जमानत को रद्द करने के पक्ष में नहीं है. वरिष्ठ सरकारी वकील राहुल मेहरा ने कहा कि याचिकाकर्ता को पहले कन्हैया के खिलाफ तथ्यों को सामने रखना चाहिए.

उन्होंने कहा, “याचिकाकर्ता ने ऐसा एक भी तथ्य सामने नहीं रखा है, जिससे यह साबित हो कि कन्हैया ने जमानत की शर्तो का उल्लंघन किया है.”

दो याचिकाकर्ताओं ने कन्हैया की जमानत रद्द करने की मांग की है. एक अन्य याचिका में अंतरिम जमानत पाने के लिए एक गलत हलफनामा दाखिल करने के लिए कन्हैया कुमार के खिलाफ कार्रवाई शुरू करने की मांग की गई है.

एक याचिकाकर्ता वकील आर.पी.लूथरा ने कहा है कि रिहाई के तत्काल बाद कन्हैया ने जो भाषण दिया, वह राष्ट्र विरोधी है और जमानत की शर्तो का उल्लंघन करता है, जिसके लिए कन्हैया की जमानत को रद्द करना चाहिए.

जेएनयू परिसर में नौ फरवरी को आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान राष्ट्रविरोधी नारे लगाए गए थे, जिसके बाद कन्हैया पर एक मामला दर्ज कर उसे गिरफ्तार कर लिया गया था.

वहीं, न्यायमूर्ति कैत ने कहा कि प्रथम दृष्टया यह अंतरिम जमानत की शर्तो का उल्लंघन है या नहीं, इसका फैसला पुलिस करेगी.

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