SC में चिदंबरम के खिलाफ PIL मंजूर
नई दिल्ली | समाचार डेस्क: सर्वोच्य न्यायालय पूर्व गृहमंत्री चिदंबरम के खिलाफ दायर पीआईएल पर सुनवाई करेगा. इस पीआईएल में कहा गया है कि पी चिदंबरम ने गृहमंत्री रहते इशरत जहां मामले में शीर्ष न्यायालय को गुमराह किया था. उल्लेखनीय है कि पूर्व गृहमंत्री पी चिदंबरम के खिलाफ पीआईएल डेविड हेडली के गवाही के आधार पर सुनवाई के लिये लगाई गई है. जाहिर है कि आने वाले समय में पी चिदंबरम की मुश्किले बढ़ सकती हैं. सर्वोच्च न्यायालय उस जनहित याचिका पर सुनवाई करेगा, जिसमें पूर्व गृहमंत्री पी. चिदंबरम पर इशरत जहां मामले में शीर्ष अदालत और गुजरात उच्च न्यायालय में झूठी गवाही देने और गुमराह करने का आरोप लगाते हुए अदालत से स्वत: उनके खिलाफ अवमानना की कार्रवाई करने की मांग की गई है. इस जनहित याचिका में तत्कालीन केंद्रीय जांच ब्यूरो के निदेशक पर भी गुमराह करने और इशरत जहां के लश्कर से रिश्ते को शीर्ष अदालत से छुपाने के आरोप में अवमानना की कार्रवाई करने की मांग की गई है.
सर्वोच्च न्यायालय के प्रधान न्यायाधीश टी.एस. ठाकुर और न्यायमूर्ति उदय उमेश ललित की पीठ ने याचिकाकर्ता अधिवक्ता एम.एल. शर्मा से पूछा कि क्या आपने याचिका दाखिल की है. याचिका को सामान्य प्रक्रिया के तहत सूचीबद्ध होने दीजिए.
शर्मा ने पाकिस्तानी-अमरीकी आतंकवादी डेविड कोलमैन हेडली की गवाही के आधार पर अपनी जनहित याचिका में कहा कि इशरत जहां एलईटी की सदस्य थी. उन्होंने इशरत जहां की हत्या के आरोप में मुकदमा झेलने वाले गुजरात पुलिस के अधिकारियों के लिए ‘उचित मुआवजे’ की भी मांग की.
चिदंबरम के खिलाफ अवमानना की कार्रवाई की मांग करते हुए शर्मा ने गृह मंत्रालय द्वारा गुजरात उच्च न्यायालय में दाखिल हलफनामे का हवाला देते हुए कहा कि इसमें कहा गया था कि इशरत जहां लश्कर की सदस्य नहीं है. इसमें पहले दाखिल किए गए हलफनामे को भी हल्का कर दिया गया, जिसमें उसके लश्कर से रिश्तों की बात कही गई थी.
गृह मंत्रालय ने अपने पहले के हलफनामे में इशरत जहां और उसके सहयोगियों जावेद शेख, जीशान जोहर और अमजद अली राना के लश्कर से जुड़े होने की बात कही थी.
सीबीआई के तत्कालीन निदेशक के खिलाफ कार्रवाई की मांग करते हुए शर्मा ने याचिका में कहा है कि सीबीआई ने भी शीर्ष अदालत में दाखिल अपने हलफनामे में फेरबदल करते हुए तथ्यों से छेड़छाड़ की. सीबीआई ने अदालत में आरोपपत्र और पूरक आरोपपत्र दाखिल कर इशरत जहां को एक मासूम मुस्लिम लड़की बताया था.
कानून पर सवाल उठाते हुए शर्मा ने अपनी जनहित याचिका में कहा है कि भारतीय नागरिकों को संविधान की धारा 21 के तहत जो जीवन का अधिकार और व्यक्तिगत स्वंत्रतता प्राप्त है, अगर वह लश्कर के सदस्यों को भी है. अगर किसी भी तरीके से आतंकवादी को मारना दंड संहिता के तहत एक अपराध है तो इसमें शामिल पुलिसवालों को सजा दी जानी चाहिए.
इशरत जहां को गुजरात पुलिस ने 2005 में एक ‘मुठभेड़’ में मार गिराया था. इशरत पर आतंकवादी संगठन लश्कर-ए-तैयबा की सदस्य होने का आरोप है.