पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों की हालत खराब
इस्लामाबाद | समाचार डेस्क: पाकिस्तान के अखबार डेली टाइम्स ने गुरुवार को लिखा कि पाकिस्तान में कानून के अभाव में अल्पसंख्यक बेहद खतरनाक हालात में जी रहे हैं. सिध में पारित किए गए एक विधेयक के संबंध में अखबार ने कहा कि सिंध में दशकों से हिंसा और अभाव झेल रहे हिन्दू समुदाय को इस विधेयक के पारित होने से संस्थागत सुरक्षा मिली है. डेली टाइम्स नाम के इस दैनिक ने ‘माइनॉरिटी राइट्स’ शीर्षक के संपादकीय में गुरुवार को कहा कि यह विधेयक एक मील का पत्थर है. सिध ऐसा पहला राज्य बन गया है जहां हिन्दू समुदाय को शादी को आधिकारिक रूप से पंजीकृत कराने का अधिकार मिल गया है.
सिंध विधानसभा द्वारा पारित किए गए इस कानून के मुताबिक शादी के लिए वर-वधू की उम्र 18 साल या उससे अधिक होनी चाहिए, उन्हें शादी के लिए दो गवाहों के समक्ष सहमति देनी होगी. यह कानून भूतकाल से लागू होगा.
अखबार ने बताया कि इस कानून के तहत शादीशुदा हिंदू जोड़ों के लिए शादी का पंजीकरण कराना अनिवार्य किया गया है. ऐसा नहीं करने पर जुर्माना लगेगा. साथ ही सिख और पारसी भी इस कानून के तहत अपनी शादी का पंजीकरण करा सकते हैं.
इस दैनिक ने कहा कि यह चौंकानेवाला है कि पाकिस्तान को ऐसा कानून बनाने में 70 साल लग गए. सिंध ने तो ऐसा कानून बना दिया लेकिन पंजाब प्रांत में अभी तक ऐसी कोई पहल हुई नहीं है.
अखबार ने लिखा है, ” पाकिस्तान में अक्सर हिन्दू औरतों का बलात्कार और शोषण किया जाता है. इसके बाद उनकी शादी जबरदस्ती बलात्कारियों से कर दी जाती है. अगर वे पहले से शादीशुदा हों तो भी उनकी दूसरी शादी कर दी जाती है और उनका धर्म परिवर्तन कर दिया जाता है. वे किसी अदालत में अपनी पहले से हुई शादी को साबित भी नहीं कर पातीं. लेकिन, इस कानून के पारित होने से उन्हें थोड़ी मदद मिलेगी क्योंकि पाकिस्तान का प्रशासन हमेशा मुस्लिम अपराधियों का साथ देता है.”
अखबार ने यह भी लिखा है कि ऐसे किसी कानून के अभाव में हिंदू विधवा अपने मरहूम पति की संपत्ति पर दावा नहीं कर पाती थी. इससे यह उम्मीद जगी है कि हिन्दू समुदाय भी अब कानून से मिलने वाली सुरक्षा पर भरोसा कर सकता है.
अ्रखबार का कहना है, “जहां तक संघीय सरकार का सवाल है तो वह भी ऐसे ही एक विधेयक के मसौदे पर विचार कर रही है. लेकिन, इस मसौदे के एक अनुबंध पर विवाद पैदा हो गया है कि जिसमें कहा गया है कि अगर एक पक्ष धर्म परिवर्तन कर लेता है तो शादी अपने आप अमान्य हो जाएगी. यह उपबंध हिन्दू औरतों के जबरन अपहरण और धर्म परिवर्तन के लिए एक दरवाजा खुला रखने जैसा है. इसलिए इसे मसौदे से हटाना चाहिए.”