पाक को F-16 अमरीकी हित में: US प्रवक्ता
वाशिंगटन | समाचार डेस्क: अमरीकी गृहविभाग के प्रवक्ता ने कहा है पाकिस्तान को एफ-16 लड़ाकू विमान देना अमरीकी विदेश नीति के हित में है. उनका इशारा इस ओर है कि पाकिस्तान पर आतंकवादियों को बढ़ावा देने के बावजूद उसे अमरीकी लड़ाकू विमान दिया जा सकता है. उधर, सीनेट की विदेशी मामलों के अध्यक्ष ने कहा है कि पाकिस्तान को अमरीकी कर दाताओं के पैसे से लड़ाकू विमान नहीं देना चाहिये. अभी तक यह साफ नहीं हुआ है कि वास्तव में अमरीका पाक को एफ-16 विमान देगा कि नहीं परन्तु जानकारों का मानना है कि अमरीका की विदेश नीति की दिशा तय करने में वहां के हथियार उद्योग का प्रत्यक्ष हस्तक्षेप रहता है. आतंकवादी संगठनों को प्रश्रय देने के कथित आरोपों के कारण अमरीकी सीनेट की विदेश मामलों की समिति के अध्यक्ष ने चेतावनी दी है कि वह पाकिस्तान को प्रस्तावित एफ-16 लड़ाकू विमानों की बिक्री के प्रस्ताव पर रोक लगाएंगे. इसके बावजूद, अमरीका ने कहा कि वह अपने प्रमुख सहयोगी को सुरक्षा सहायता जारी रखने के लिए प्रतिबद्ध है.
अमरीकी गृह विभाग के प्रवक्ता मार्क सी. टोनर ने गुरुवार को इसकी पुष्टि करने से मना कर दिया कि सीनेट की विदेश मामलों की समिति के अध्यक्ष बॉब कोरकर की ओर से पाकिस्तान को प्रस्तावित एफ-16 लड़ाकू विमान की रियायती बिक्री के संबंध में विदेश मंत्री जॉन कैरी को पत्र मिला है.
उन्होंने कहा, “यह हमारी नीति है कि अमरीकी कांग्रेस की औपचारिक अधिसूचना जारी होने से पहले हम लोग हथियार की प्रस्तावित बिक्री या हस्तान्तरण या यहां तक कि इस बारे में कैपिटल हिल से प्राथमिक विमर्श पर कोई टिप्पणी नहीं करते हैं.”
उन्होंने कहा, “अपने सहयोगियों को सुरक्षा सहायता जारी रखने के लिए हम लोग अमरीकी कांग्रेस के साथ मिलकर काम करने को प्रतिबद्ध हैं. हमारा मानना है कि साझी सुरक्षा चुनौतियों का सामना करने के लिए सहयोगियों की क्षमता बढ़ाना अमरीकी विदेश नीति के हित में है.”
अफगानिस्तान में अस्थिरता फैलाने वाले आतंकी संगठन हक्कानी ग्रुप से इस्लामाबाद के संबंधों के मद्देनजर कोरकर ने गत 9 फरवरी को विदेश मंत्री कैरी को लिखकर पाकिस्तान को प्रस्तावित एफ-16 लड़ाकू विमानों की बिक्री पर रोक लगाने की अपनी मंशा से ओबामा प्रशासन को अवगत कराया था.
पत्र में उन्होंने कहा, “इस मुद्दे पर वर्षो से दबाव बनाने के बावजूद हक्कानी आतंकी पाकिस्तान में आजाद घूम रहे हैं और इसकी भी संभावना है कि पाकिस्तान सरकार उनका समर्थन करती हो. यह सबसे बड़ी समस्या है, खासकर यह देखते हुए कि हक्कानी ग्रुप अफगानी सेना के जवानों और पुलिसकर्मियों की हत्या में स्पष्ट तौर पर संलिप्त है.”
कोरकर के आरोपों के बारे में जब टोनर से पूछा गया तो उन्होंने कहा, “हमारा मानना है कि अमरीकी सुरक्षा सहायता मिलने से पाकिस्तान को आतंकवाद और विद्रोहियों से निपटने और उनके खिलाफ अभियान चलाने में मदद मिलेगी.”
उन्होंने कहा,”इन अभियानों से आतंकवादी हमलों के लिए पाकिस्तानी जमीन के उपयोग में कमी आएगी और वे अफगानिस्तान में विद्रोह के लिए भी पाकिस्तान को अड्डे के रूप में इस्तेमाल नहीं कर पाएंगे. इसलिए हमारा मानना है कि इस तरह के अभियान पाकिस्तान, अमरीका और क्षेत्र विशेष के हित में है.”
जब उनसे पूछा गया कि पाकिस्तानी सेना को मिली अमरीकी सुरक्षा सहायता के चलते अफगानिस्तान में कितने अमरीकी सैनिक मारे गए तो उन्होंने कहा,”मेरे पास आंकड़े उपलब्ध नहीं हैं.”
लेकिन, उन्होंने दावा किया, “उस क्षेत्र में पाकिस्तान जितना आतंकवाद का दंश झेल रहा है उतना कोई भी देश नहीं झेल रहा है. हमारा मानना है कि पाकिस्तान का समर्थन करना हमारी राष्ट्रीय सुरक्षा के हित में होने के साथ-साथ पाकिस्तान में आतंकी नेटवर्क को ध्वस्त करने के लिए भी जरूरी है.”
प्रवक्ता ने कहा,”अफगानिस्तान में स्थिरता लाने और उसे सुरक्षित रखने के लिए पाकिस्तान उस क्षेत्र में हमारा महत्वपूर्ण साझीदार है. उदाहरण के तौर पर अफगानियों के नेतृत्व में समझौता वार्ता के लिए पाकिस्तान अगर प्रयास करता है तो हम उसका स्वागत करेंगे.”
उन्होंने कहा,”पाकिस्तान ने कुछ आतंकवादी संगठनों के नेटवर्क को ध्वस्त करने के लिए कई अभियान चलाए गए हैं. इन आतंकी नेटवर्को को ध्वस्त करना और उन्हें अलग-थलग करना हमारी राष्ट्रीय सुरक्षा और उस क्षेत्र के हित में है.”
इस बीच, वाशिंगटन स्थित पाकिस्तानी दूतावास ने गुरुवार को कोरकर के आरोपों का खंडन करते हुए इसे बेबुनियाद और दुर्भावनापूर्ण बताया. पाकिस्तान दूतावास के प्रवक्ता नदीम होतियाना ने ‘फॉरेन पॉलिसी’ पत्रिका से कहा, “अफगानिस्तान में अस्थिरता उत्पन्न करने वाले हक्कानी नेटवर्क की मदद के बारे परोक्ष रूप से इशारे करना बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है.”
हाल में अफगानिस्तान की यात्रा से लौटे कोरकर ने कहा कि वह एफ-16 की बिक्री के लिए जरूरी धन को जारी नहीं होने देंगे.
लेकिन, पाकिस्तान को लड़ाकू विमानों की बिक्री पर लगी रोक हटाने की उन्होंने सशर्त वकालत जरूर की. पत्र में उन्होंने कहा,”अगर वे सैन्य उपकरण चाहते हैं तो अमरीकी करदाताओं के अनुदान के बिना खरीद सकते हैं. दूसरी तरफ पाकिस्तान को अमरीकी लड़ाकू विमान एफ-16 देने की खबरों से भारत की भौंहे तन गई है.