अल्पसंख्यकों को कुरेदने से तनाव: मूडीज
चेन्नई | समाचार डेस्क: भारत में विभिन्न अल्पसंख्यक समुदायों के साथ घट रहीं घटनाओं के कारण देश में जातीय तनाव पैदा हो गया है. यह बात मूडीज एनलिटिक्स ने एक रपट में कही है. रपट में हिंसा में संभावित वृद्धि की चेतावनी दी गई है. मूडीज कॉरपोरेशन की शाखा, मूडीज एनलिटिक्स ने ‘इंडिया आउटलुक : सर्चिग फॉर पोटेंशियल’ शीर्षक वाली एक रपट में कहा है, “हिंसा में संभावित वृद्धि के साथ ही सरकार को ऊपरी सदन में कड़े प्रतिरोध का सामना करना होगा, क्योंकि बहस आर्थिक नीति से भटक रही है.”
आर्थिक अनुसंधान एवं विश्लेषण के एक शीर्ष संस्थान, मूडीज एनलिटिक्स ने कहा कि राजनीति में सुधार की जरूरत है और दीर्घकालिक वृद्धि हासिल करने के लिए सरकार के सुधार एजेंडे की तरफ ध्यान आकर्षित करने की आवश्यकता है.
मूडीज एनलिटिक्स ने कहा कि जहां एक तरफ संसद के उच्च सदन में सरकार को विपक्ष के प्रतिरोध का सामना करना पड़ा है, वहीं सत्ता पक्ष के लोगों की विवादास्पद टिप्पणियों ने भी सरकार को नुकसान पहुंचाया है.
संस्था ने कहा कि इस वर्ष और 2016 में भारतीय अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर 7.6 प्रतिशत रह सकती है, जबकि बाहरी विपरीत परिस्थितियों और सुधार के मोर्चे पर सरकार की विफलता के कारण नकारात्मक उत्पादन वृद्धि दर कठिनाई पैदा करने वाली होगी.
रपट में कहा गया है, “कुल मिलाकर यह अस्पष्ट है कि भारत सुधार संबंधित वादे पूरे कर सकता है या नहीं. निस्संदेह तमाम राजनीतिक घटनाक्रम सफलता की संभावना क्षीण ही करेंगे.”
रपट के अनुसार, भारतीय अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर सितंबर तिमाही में वर्ष दर वर्ष आधार पर लगभग 7.3 प्रतिशत रह सकती है, जो अपेक्षित नौ या 10 प्रतिशत की दर से काफी कम है.
मूडीज एनलिटिक्स ने अनुमान जाहिर किया है कि इस वर्ष सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि दर 7.6 प्रतिशत रह सकती है. संस्था ने कहा है कि वस्तु एवं सेवा कर, श्रम कानूनों में सुधार और भूमि अधिग्रहण विधेयक जैसे प्रमुख सुधारों से भारत की उत्पादकता सुधर सकती है.
रपट के अनुसार, ब्याज दर में कमी से अर्थव्यवस्था को अल्पकालिक लाभ ही मिल सकता है और वित्त बाजार की भावना मंद पड़ गई है. वर्ष 2015 में अब और दर कटौती संभव नहीं है, लेकिन अगले वर्ष दर कटौती हो सकती है.
भारतीय शेयर बाजार और विदेशों से धनागम में मंदी छाई हुई है, जबकि वैश्विक वृद्धि दर में सुस्ती और बाहरी प्रतिकूल परिस्थितियां भारतीय निर्यातकों को आघात पहुंचा रही हैं.
मूडीज एनलिटिक्स को अनुमान है कि भारतीय निर्यात में 2016 में भी गिरावट बनी रहेगी, और यदि वैश्विक वृद्धि में और गिरावट आई तो भारत के चालू खाता संतुलन पर और दबाव बन सकता है.
रपट में कहा गया है, “अभी तक तेल मूल्य में गिरावट के कारण व्यापार संतुलन को सहारा मिला है. लेकिन तेल कीमतों में फिर से आई तेजी के कारण व्यापार संतुलन बिगड़ सकता है.”
मूडीज एनलिटिक्स के अनुसार, इस तरह के संकेत हैं कि भारत की आर्थिक संभावनाओं को लेकर विदेशी निवेशकों की आशाएं क्षीण हो रही हैं.
रपट में कहा गया है, “वर्ष 2014 में इक्विटी में शुद्ध वित्तीय प्रवाह 16 अरब डॉलर था. लेकिन इस वर्ष इतने की संभावना नहीं है. भारतीय ऋण बाजार में वित्तीय प्रवाह के बारे में भी यही बात कही जा सकती है.”