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चर्चा आतंकवाद पर होगी: सुषमा

नई दिल्ली | समाचार डेस्क: सुषमा स्वराज ने स्पष्ट कर दिया है कि एएसए स्तर की वार्ता आतंकवाद पर होगी. उन्होंने यह भी साफ कर दिया है कि कश्मीर पर बात नहीं होगी. भारतीय विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने याद दिलाया कि उफा, रूस में दोनों देशों के प्रधानमंत्रियों के बीच आतंकवाद पर चर्चा के लिये सहमति बनी थी. उल्लेखनीय है कि पाकिस्तान इस वार्ता में कश्मीर के अलगाववादियों को भी शामिल करना चाहता है. विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने शनिवार को यहां कहा कि यदि पाकिस्तान हुर्रियत को तीसरा पक्ष बनाने या फिर कश्मीर पर चर्चा करने पर जोर देता है तो उसके साथ कोई बातचीत नहीं होगी. उन्होंने जोर देकर कहा कि दोनों देशों के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों के बीच बातचीत सिर्फ आतंकवाद पर केंद्रित होनी चाहिए. सुषमा ने कहा कि शिमला समझौते के अनुसार, हमारे बीच तीसरा पक्ष नहीं हो सकता और उफा बयान के अनुसार एनएसए स्तर की वार्ता सिर्फ आतंकवाद तक सीमित होगी.

सुषमा ने कहा, “शिमला समझौते को ध्यान में रखते हुए बातचीत में हुर्रियत को तीसरा पक्ष मत बनाइए, और उफा की भावना को ध्यान में रखते हुए बातचीत के विषय को आतंकवाद के अलावा विस्तार मत दीजिए.”

विदेश मंत्री ने कहा, “पाकिस्तान कह रहा है कि कश्मीर प्रमुख मुद्दा है लेकिन उफा में उन्होंने ऐसा नहीं कहा था. पहले आतंकवाद पर बातचीत कीजिए, कश्मीर पर हम बाद में बातचीत कर सकते हैं.”

पाकिस्तान के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार सरताज अजीज 23-24 अगस्त को बातचीत के लिए भारतीय राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल से मिलने वाले हैं.

यह पूछे जाने पर कि यदि पाकिस्तान ने कश्मीर को बातचीत में शामिल करने पर जोर दिया तो भारत का रुख क्या होगा, सुषमा ने कहा, “ऐसी स्थिति में बातचीत नहीं होगी.”

उन्होंने कहा कि यदि बातचीत का विषय आतंकवाद तक सीमित रहता है तो पाकिस्तान के एनएसए सरताज अजीज का भारत में स्वागत है. “आइए और आतंकवाद पर बातचीत कीजिए, आपका स्वागत है.”

सुषमा ने यह भी कहा कि पाकिस्तानी नेतृत्व घरेलू दबाव में है और बातचीत रद्द करने की कोशिश कर रहा है.

विदेश मंत्री ने कहा कि पाकिस्तानी प्रधनमंत्री नवाज शरीफ के स्वदेश लौटने पर उफा बयान को लेकर उनकी आलोचना हुई थी और उसके बाद से ही इस बात की कोशिश की जा रही है कि एनएसए वार्ता न होने पाए.

सुषमा ने कहा, “उफा बयान में सभी मुद्दे स्पष्ट थे और दोनों पक्ष सहमत थे लेकिन क्या हुआ? नवाज शरीफ के लौटते ही बयान को लेकर उनकी आलोचना हुई. फिर उन्होंने तय किया कि कुछ ऐसा किया जाए, जिससे एनएसए स्तर की बातचीत न होने पाए.”

उन्होंने कहा, “हमने नई दिल्ली में 23 अगस्त को एनएसए स्तर की बातचीत के लिए उन्हें 23 जुलाई को एक पत्र भेजा. हमें 14 अगस्त को उसका जवाब मिला. जवाब के साथ उन्होंने एक कार्यसूची भेजी, जिसमें आतंकवाद के अलावा अन्य मुद्दे शामिल थे.” उन्होंने कहा कि उफा वार्ता में स्पष्ट था कि बातचीत सिर्फ आतंकवाद पर केंद्रित होगी.

स्वराज ने यह भी कहा कि पाकिस्तान ने दोनों देशों के सैन्य संचालन महानिदेशकों या सीमा सुरक्षा बल और पाकिस्तानी रेंजर्स के महानिदेशकों के बीच बैठक की कोई तिथि नहीं तय की.

उन्होंने कहा, “उनकी सोच है कि यदि डीजीएमओ की बैठक एनएसए वार्ता से पहले होती है तो इससे एक संवाद पैदा हो जाएगा. उन्होंने ऐसा वातावरण बनाया कि सभी तीनों वार्ताएं न हो पाएं.”

सुषमा ने कहा कि उफा बयान के बाद से पाकिस्तान ने 99 बार संघर्ष विराम उल्लंघन किए हैं. पंजाब के गुरुदासपुर और जम्मू एवं कश्मीर के उधमपुर में हुए हमले का भी उन्होंने जिक्र किया, जहां पाकिस्तानी आतंकवादी को गिरफ्तार किया गया था.

विदेशमंत्री ने कहा, “सरताज अजीज ने कहा कि भारत बातचीत से भागना चाहता है. भारत भागना नहीं चाहता, बल्कि हम एक ऐसा वातावरण चाहते हैं जिसमें बातचीत हो सके.”

उन्होंने कहा, “यदि वे भारत आए तो हम जिंदा आतंकवादी नावेद को उनके सामने पेश करेंगे. इसीलिए वे आना नहीं चाहते. वे दस्तावेजों का एक पुलिंदा देंगे हम उन्हें एक जिंदा आतंकवादी देंगे.”

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