नान पर सभी याचिकायें निराकृत
नई दिल्ली | संवाददाता: सुप्रीम कोर्ट ने छत्तीसगढ़ के बहुचर्चित नागरिक आपूर्ति निगम घोटाले में याचिका पर सुनवाई के बाद याचिकाकर्ताओं को हाईकोर्ट में याचिका लगाने के निर्देश दिए हैं.
नागरिक आपूर्ति निगम में कथित तौर पर 36 हज़ार करोड़ रुपये के भ्रष्टाचार के आरोप लगाये गये हैं. इस मामले में छत्तीसगढ़ वित्त आयोग के पूर्व अध्यक्ष वीरेंद्र पांडेय, अधिवक्ता सुदीप श्रीवास्तव, सामाजिक कार्यकर्ता राकेश चौबे और संजय ग्रोवर ने सुप्रीम कोर्ट में चार अलग-अलग याचिकायें दायर की थीं. इन याचिकाओं में इस पूरे मामले की जांच एसआईटी या सीबीआई से करवाने की मांग की गई थी.
छत्तीसगढ़ के इस बहुचर्चित मामले में वीरेंद्र पाण्डेय की ओर से कपिल सिब्बल और विवेक तन्खा पैरवी कर रहे थे. वहीं अधिवक्ता सुदीप श्रीवास्तव की ओर से प्रशांत भूषण ने इस मामले में पक्ष रखा था. इसी तरह राकेश चौबे की तरफ से आरके धवन और संजय ग्रोवर की तरफ से सलमान खुर्शीद ने पैरवी की थी.
गौरतलब है कि इसी साल 12 फरवरी को एंटी करप्शन ब्यूरो ने राज्य में 28 स्थानों पर छापा मारा था और करोड़ों रुपए की नकदी समेत कई महत्वपूर्ण दस्तावेज़ ज़ब्त किए थे. छापेमारी की इस कार्रवाई के बाद 18 अधिकारियों को निलंबित किया गया था.
राज्य में कांग्रेस अध्यक्ष भूपेश बघेल औऱ नेता प्रतिपक्ष टीएस सिंहदेव ने आरोप लगाया था कि छापेमारी के दौरान एंटी करप्शन ब्यूरो ने एक डायरी ज़ब्त की थी, जिसमें कथित तौर पर मुख्यमंत्री, उनकी पत्नी, उनकी साली के अलावा मुख्यमंत्री निवास के कर्मचारी, मुख्य सचिव, प्रमुख सचिव सहित अन्य वरिष्ठ अफ़सरों के नामों का उल्लेख है.
एंटी करप्शन ब्यूरो ने इस मामले में स्थानीय अदालत में जो चालान प्रस्तुत किया, उसमें भी इस डायरी के पन्ने को प्रस्तुत किया है. इसके अलावा एंटी करप्शन ब्यूरो के मुखिया मुकेश गुप्ता साफ तौर पर कह चुके थे कि एंटी करप्शन ब्यूरो का जो अधिकार क्षेत्र है, उसमें सारे पहलुओं की जांच संभव नहीं है.
इसके बाद से ही राज्य में एंटी करप्शन ब्यूरो की जांच पर सवाल शुरु हो गये थे. विपक्षी दलों का कहना था कि एंटी करप्शन ब्यूरो और आर्थिक अपराध शाखा मुख्यमंत्री के ही अधीन है, इसलिए मामले की निष्पक्ष जांच संभव नहीं है. इसी को आधार बना कर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई थी.