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जीवनशैली से बढ़ रहा दमा

लखनऊ | एजेंसी: बदलती जीवनशैली और खानपान का परिवर्तन पर युवाओं को भी अस्थमा का शिकार बना रहा है. युवाओं में तेजी से बढ़ती ब्रोंकाइटिस यानी दमा से चिकित्सक भी हैरान हैं. पिछले कुछ सालों में दमा रोगियों की संख्या में तेजी से इजाफा हुआ है. इन रोगियों में युवा वर्ग भी शामिल हैं. चिकित्सक इस बीमारी के लिए परिस्थितियों को जिम्मेदार मान रहे हैं.

वरिष्ठ फिजीशियन डॉ. अरुण कुमार उपाध्याय का कहना है कि ब्रोंकाइटिस श्वसन तंत्र से संबंधित समस्या है. वर्तमान समय में युवाओं के खान पान में बदलाव आ रहा है. पोषण खाद्य पदार्थो के अलावा युवा स्नैक्स, तली हुई चीजें और ज्यादा चिकनाई युक्त खाद्य पदार्थ पसंद कर रहे हैं. बाजार की खाद्य सामग्रियों में ज्यादातर रसायनिक पदार्थ भी मिले होते हैं. जो सीधे स्वास्थ्य पर विपरीत प्रभाव डालते हैं.

वहीं, डॉ. जे.जे. राम का कहना है कि दमा ऐसी बीमारी है, जिसमें श्वासनली या इससे जुड़े हिस्सों में सूजन आ जाती है. इस कारण फेफड़ों में हवा जाने में रुकावट आ जाती है, जिससे सांस लेने में दिक्कत होती है. लगातार धूल के संपर्क में आने से भी व्यक्ति इस बीमारी का शिकार हो सकता है. ट्रैफिक जाम में गाड़ियों के धुएं से निकलने वाले हानिकारक कण भी मरीज को गंभीर हालत में पहुंचा सकते हैं. आदतों में परिवर्तन कर इस बीमारी से बचा जा सकता है.

आयुर्वेदाचार्य डॉ. संजीव मिश्रा का कहना है कि यह बीमारी दूषित जीवन शैली से पैदा होती है. युवाओं में खासकर तेजी से रोग बढ़ रहा है. स्वर्ण बसंत मालती दवा और अन्य प्राणायाम क्रियाओं के जरिए बीमारी को दूर किया जा सकता है. इसके अलावा आयुर्वेद में इस बीमारी का उचित उपचार भी है. ऐसी बीमारी से पीड़ित व्यक्ति को शंख या बांसुरी बजाने की सलाह ज्यादा दी जाती है, क्योंकि जितनी ज्यादा फेफड़ों में हवा जाएगी, उतनी ही जल्दी असरकारक परिणाम भी देखने को मिलेंगे.

इन चीजों से करें परहेज :

*बहुत ज्यादा ठंडी और गर्म चीजों को खाने से बचें

*धूल वाले स्थान पर जाने से पहले चेहरे को अच्छी तरह से ढंक लें

*बाजार की अथवा तली व चिकनाई युक्त खाद्य सामग्री से परहेज रखें

*रात के समय में एसी की हवा की बजाय खुली हवा में लेटें

*किसान गेहूं की कटाई करते समय चेहरे को ढंककर रखें, ताकि भूसे में मिली धूल श्वसन तंत्र पर प्रभाव न डाले.

इनसे मिल सकता है लाभ :

*सुबह के समय टहलने से लाभ मिलता है

*प्राणायाम और व्यायाम से रोग दूर हो सकता है

*खान पान और जीवनशैली में बदलाव से भी राहत मिलती है

*दूषित खाद्य सामग्री व ठंडा-गर्म खाने से परहेज रखें.

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