बिहार: राजनीतिक दल ‘चुनावी मोड’ में
पटना | एजेंसी: चुनाव आयोग द्वारा बिहार विधानसभा चुनाव कराने के संकेत दिए जाने के साथ ही बिहार के सभी राजनीतिक दल ‘चुनावी मोड’ में नजर आने लगे हैं. सभी राजनीतिक दल विधानसभा चुनाव के लिए तैयार रहने की बात कर रहे हैं. वैसे बिहार में होने वाले विधानसभा चुनाव में तय है कि पिछले चुनाव के दोस्त दुश्मन नजर आएंगे और पिछले चुनाव के दुश्मन हाथ थामे रहेंगे.
पिछले विधानसभा चुनाव में भाजपा और जनता दल युनाइटेड जहां साथ चुनाव लड़े थे, इस चुनाव में तय है कि ये दोनों दल आमने-सामने होंगे, वहीं 20 वर्ष से अलग-अलग राजनीति कर रहे बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और राष्ट्रीय जनता दल के अध्यक्ष लालू प्रसाद गले मिल चुके हैं. दलों में विलय में तकनीकी अड़चन आने के बाद सीटों का तालमेल कर चुनाव लड़ने की तैयारी में लगे हैं. वैसे, अब तक सीटों के बंटवारे को लेकर तस्वीर साफ नहीं हो पाई है.
पिछले चुनाव में लोक जनशक्ति पार्टी राजद के साथ चुनाव मैदान में उतरी थी परंतु लोकसभा चुनाव में लोजपा ने राजग का दामन थाम लिया था. तय माना जा रह है कि लोजपा अगले चुनाव में भाजपा के ही साथ चुनाव मैदान उतरेगी. कांग्रेस के नेता अभी तक कोई स्पष्ट संकेत नहीं दे रहे हैं, परंतु कांग्रेस अगर राजद और जदयू के साथ चुनाव मैदान में नजर आए तो कोई आश्चर्य नहीं होगा.
गौरतलब है कि कांग्रेस ने पिछले विधानसभा चुनाव में सभी 243 सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारे थे.
इधर, आगामी विधानसभा चुनाव में नीतीश के कभी करीबी रहे जीतन राम मांझी और राजद से निष्कासित सांसद पप्पू यादव भी मुख्य भूमिका में नजर आएंगे. मांझी जहां हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा, हम बनाकर सभी 243 सीटों पर लड़ने का ऐलान कर चुके हैं, वहीं पप्पू यादव ने ‘जनक्रांति अधिकार मोर्चा’ बनाकर खुद को राजद का असली वारिस बताकर राजद के लिए परेशानी उत्पन्न कर दी है.
गौरतलब है कि मांझी ने ऐसे किसी भी दल या गठबंधन में शामिल होने से इनकार कर दिया है, जिसमें नीतीश कुमार होंगे, वहीं पप्पू ने भी यह स्पष्ट कर दिया है कि नीतीश और लालू के गठबंधन से किसी प्रकार का चुनावी तालमेल नहीं होगा. ऐसे में यह तय है कि विधानसभा चुनाव में मांझी, नीतीश के जदयू के सामने होंगे, वहीं पप्पू राजद को हराने के लिए कोई कोर-कसर नहीं छोड़ना चाहेंगे.
इधर, दिल्ली विधानसभा चुनाव में हार के बाद भारतीय जनता पार्टी के लिए बिहार विधानसभा चुनाव काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है, वहीं भाजपा से अलग अन्य दल एका करने में जुटे हैं. भाजपा के लिए यह चुनाव कितना महत्वपूर्ण है, इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह पिछले माह ही पटना पहुंचकर चुनावी बिगुल फूंक चुके हैं.
बिहार में सत्तारूढ़ जनता दल युनाइटेड के प्रदेश अध्यक्ष वशिष्ठ नारायण सिंह कहते हैं, “जदयू की कोशिश है कि राष्ट्रीय जनता दल के साथ ही राज्य सरकार समर्थक सभी दल यानी कांग्रेस और वामदल भी मिलकर चुनाव लड़ें. जदयू-राजद में वार्ता चल भी रही है.”
वैसे राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन में शामिल लोजपा और राष्ट्रीय लोक समता पार्टी ने साफ कर दिया है कि राजग पूरी तरह एक है. वैसे अब तक गठबंधन और तालमेल को लेकर किसी दल ने भी औपचारिक तौर पर कोई घोषणा नहीं की है.
पिछले विधानसभा चुनाव के परिणाम पर नजर डालें तो जदयू ने 141 सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारे थे, जिसमें 115 उम्मीदवार विधानसभा पहुंच सके थे, जबकि भाजपा ने 102 सीटों में से 91 सीटों पर विजय पताका फहराया था.
राजद ने 168 प्रत्याशी उतारे थे, जिनमें से 22 जीते, जबकि लोजपा के 75 उम्मीदवारों में से तीन ही विजयी हो सके थे. कांग्रेस ने सभी 243 सीटों पर प्रत्याशी उतारे थे, परंतु उसकी झोली में मात्र चार सीटें ही आई थीं. वामदलों ने 56 सीटों पर प्रत्याशी उतारे थे, लेकिन एक प्रत्याशी ही जीत सका.
इधर, भाजपा के वरिष्ठ नेता सुशील कुमार मोदी कहते हैं कि राजग विधानसभा चुनाव को लेकर पूरी तरह तैयार है. राजद-जदयू विलय कर ले या गठबंधन, राजग मुकाबले को तैयार है.