भूकंप की अफवाहों पर ध्यान न दे
नई दिल्ली | समाचार डेस्क: भूकंप के संबंध में सोशल मीडिया और संदेशों के द्वारा जो अफवाहें फैलाई जा रही हैं, लोगों को उन पर विश्वास नहीं करना चाहिए. यह बात दूरसंचार मंत्री रविशंकर प्रसाद ने सोमवार को कही. रविशंकर प्रसाद ने राज्यसभा में कहा, “सोशल मीडिया पर इस तरह के संदेश प्रसारित किए जा रहे हैं कि रात के नौ बजे भूकंप आएगा, या आठ बजे भूकंप आएगा.”
उन्होंने कहा, “इस तरह की अफवाहों को नजरअंदाज किया जाना चाहिए. इनका कोई आधार नहीं है और अगर किसी प्रकार की आधिकारिक सूचना होगी तो सरकार इस पर कार्रवाई करेगी.”
सोशल मीडिया और संदेशों के माध्यम से भूकंप आने की अफवाहें फैलाई जा रही हैं, साथ ही भूकंप के आने का अनुमानित समय भी बताया जा रहा है.
इसी तरह का एक संदेश रविवार को वायरल हो रहा था जिसमें लिखा था, “उत्तर भारत में शाम को 8.06 बजे अगला भूकंप आएगा. नासा से खबर आ रही है कि इस भूकंप की रिक्टर पैमाने पर तीव्रता 8.2 होगी. कृपया इस संदेश को अधिक से अधिक लोगों तक प्रसारित करें.”
भूकंप के कुछ तथ्य इस प्रकार हैं :-
– भूकंप क्या और यह किस वजह से आता है?
भूकंप भूगर्भीय फॉल्टलाइन के अचानक खिसकने से आता है. टेक्टोनिट प्लेट हमेशा धीरे-धीरे सरकती है, लेकिन वे घर्षण के कारण किनारे पर अटक जाते हैं. जब यह दबाव के कारण किनारे से हटते हैं, तब भूकंप आता है और यह तरगों में ऊर्जा का संचार करता है और जो धरती के तह से गुजरता है और हम झटका महसूस करते हैं.
-फोरशॉक और आफ्टरशॉक में क्या फर्क है?
प्रथम झटके और बाद के झटके एक-दूसरे से जुड़े हुए हैं. प्रथम झटके भूकंप होते हैं और जो एक ही स्थान पर कई बड़े भूकंप लाते हैं.
जबकि बाद के झटके छोटे भूकंप होते हैं, जो बड़े भूकंप के बाद उसी स्थान पर आते हैं.
– क्या चांद या फिर ग्रहों की स्थिति भूकंप की वजह बनती है?
चांद, सूरज और अन्य ग्रहों का प्रभाव धरती पर छोटे रूप में होता है. अतीत के कई अध्ययनों ने भूकंप आने की दर और अर्ध-दैनिक ज्वार के बीच कोई विशेष संबंध नहीं बताया है.
कुछ हालिया अध्ययनों से हालांकि, यह बात सामने आई है कि कुछ तरह के भूकंपों और पृथ्वी के ज्वारों के बीच संबंध होता है.
– क्या अधिकांश भूकंप सुबह या शाम में आते हैं?
भूकंप सुबह और शाम समान रूप से आ सकते हैं.
– भूकंप कितनी गहराई में आता है और इस गहराई की क्या विशेषता होती है?
भूकंप पृथ्वी के ऊपरी तह में आता है, जिसका केंद्र धरती से 800 किलोमीटर नीचे तक होता है.