नेपाल में नया संविधान बन पायेगा?
काठमांडू | एजेंसी: नेपाल का नया संविधान बनाने की कोशिश दूसरी बार विफल हो गई है. इससे पहले साल 2008 में संविधान सभा निर्वाचित हुई थी जो मई 2012 में बिना संविधान बनाये भंग कर दी गई थी. इस बार जो संविधान सभा बनी है उसका कार्यकाल भी 22 जनवरी 2015 को समाप्त हो गया है. इसी से काठमांडू के राजनीतिक गलियारों में संदेह प्रकट किया जा रहा है कि क्या नेपाल का नया संविधान बन पायेगा. उल्लेखनीय है कि नेपाल में इससे पहले राजशाही थी तथा उसी के अनुसार कानून व संविधान बना था. साल 2008 से नेपाल में राजशाही खत्म हो गई है. नेपाल के संविधान सभा में दक्षिणपंथी नेपाली कांग्रेस के अलावा माओवादी नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी जैसे दो विपरीत ध्रुव के राजनीतिक दल शामिल हैं. जाहिर सी बात है कि उनके बीच में संघवाद तथा न्यायपालिका पर एक राय नहीं बन पा रही है. इसके अलावा जिन मुद्दों पर एक राय नहीं बन पा रही है उस पर मतदान का भी विरोध किया जा रहा है. उल्लेखनीय है कि नेपाल की राजनीतिक पार्टियां एक बार फिर तय समय सीमा के भीतर देश के संविधान का मसौदा तैयार कर पाने में विफल रही हैं. यह समय सीमा एक साल पहले निर्धारित की गई थी, जो 22 जनवरी को समाप्त हो गई. शुक्रवार को जारी रपट के मुताबिक, बार-बार के प्रयत्नों के बावजूद सत्ताधारी नेपाली कांग्रेस और उसकी गठबंधन सहयोगी सीपीएन-यूएमएल और मुख्य विपक्ष नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी माओवादी और कुछ मधेशी दलों के बीच संघवाद, सरकार के रूप, न्यायपालिका और चुनाव प्रणाली जैसे मुद्दों पर सहमति नहीं बन पाई, जिसकी वजह से संविधान का मसौदा अंतिम रूप नहीं ले पाया.
सत्तारूढ़ और विपक्षी दलों ने इस असफलता के लिए एक-दूसरे पर आरोप लगाए.
समय सीमा से पहले नेपाल के राजनीति दलों के बीच संबंध उस समय बिगड़ गए, जब मंगलवार को विधानसभा अध्यक्ष सुभाष नेमबांग ने विवादास्पद मुद्दों के निपटारे के लिए नेपाली कांग्रेस के मुख्य सचेतक चिंकाजी श्रेष्ठा से कहा कि विवादास्पद मुद्दों के समाधान के लिए एक मतदान प्रक्रिया शुरू करने हेतु समिति गठित किया जाए. इसके बाद विपक्षी सदस्य संविधान सभा में हंगामे पर उतर आए.
संविधान सभा में इस हाथापाई के दौरान दर्जन भर सुरक्षाकर्मी घायल हो गए.
नेमबांग ने चेतावनी दी कि यदि पार्टियां इसी तरह संसद की कार्रवाई में बाधा पहुंचाती रहेंगी तो नए संविधान निर्माण की संभावनाएं समाप्त हो जाएंगी. उन्होंने कहा कि सहमति न बन पाने की वजह से मतदान के जरिए विवादास्पद मुद्दों को सुलझाने के अलावा कोई अन्य विकल्प नहीं है.
नेपाली कांग्रेस के वरिष्ठ नेता शेर बहादुर देउबा ने इस बात की पुष्टि कि राजनीतिक दल विपक्ष के साथ नए संविधान का मसौदा तैयार करने के लिए किसी तरह की सहमति पर पहुंचने में असफल रहे हैं.
नेपाल के राजनीतिक दल दूसरी बार नए संविधान का मसौदा तैयार करने में असफल रहे हैं. इसके पहले 2008 में निर्वाचित संविधान सभा, बगैर नया संविधान निर्माण किए ही मई 2012 में भंग कर दी गई थी.
नेपाल के राजनीतिक दल 2006 में व्यापक शांति समझौते पर हस्ताक्षर कर नए संविधान का मसौदा तैयार करने पर सहमत थे, जिससे 10 साल लंबे विद्रोह का अंत हुआ था.