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भारत की विकास दर बढ़ेगी

संयुक्त राष्ट्र | एजेंसी: विश्व बैंक के मुख्य अर्थशास्त्री कौशिक बसु ने मंगलवार को कहा कि तेल की गिरती कीमतों और विकसित देशों में ब्याज दरों में आ रही गिरावट का लाभ भारत को मिलेगा. जिससे अगले साल भारत की आर्थिक विकास दर सात फीसदी रह सकती है.

बसु ने कहा कि अगर भारत राजकोषीय और ढांचागत सुधारों को लागू करने के अवसर लपक लेता है तो ये दो कारक बड़े बदलाव कर सकते हैं.

यहां मंगलवार को जारी किए गए दो अलग-अलग अनुमानों के मुताबिक इस साल भारत की विकास दर 6.4 फीसदी रहने की संभावना है. पहला अनुमान बैंकॉक स्थित एशिया एवं प्रशांत क्षेत्र के लिए संयुक्त राष्ट्र के आर्थिक एवं सामाजिक आयोग ने जारी किया और दूसरा अनुमान वाशिंगटन स्थित विश्व बैंक ने जारी किया है.

विश्व बैंक ने यह भी अनुमान लगाया है कि 2017 में भारत की विकास दर में सात फीसदी की वृद्धि हो सकती है.

बसु ने कहा कि 2015 में पूरे साल तेल की कीमतें कम रह सकती हैं. तेल मूल्य में गिरावट के कारण पूरे विश्व में महंगाई घट रही है और अमीर देशों में ब्याज दरों में वृद्धि का मामला भी लटक सकता है. इससे चीन और भारत जैसे तेल आयातक देशों के लिए अवसरों का एक द्वार खुलता है. हमारा अनुमान है कि 2016 में भारत की विकास दर सात फीसदी रहेगी.

उन्होंने कहा, “इन देशों के लिए महत्वपूर्ण बात यह है कि वे इस अवसर का उपयोग राजकोषीय और ढांचागत सुधारों के लिए करें, क्योंकि इससे दीर्घकालिक वृद्धि और समावेशी विकास को बढ़ावा मिल सकता.”

एस्केप और विश्व बैंक दोनों ने कहा कि तेल की कीमतों में गिरावट से पेट्रोल पदार्थो पर सब्सिडी घटाने में मदद मिलेगी, जिसका प्रयोग सतत विकास के लिए वित्तपोषण और अर्थव्यवस्था में सुधार के लिए किया जा सकता है.

एस्केप के कार्यकारी सचिव अख्तर ने कहा, “सब्सिडी का बोझ कम करने के लिहाज से यह बहुत ही महत्वपूर्ण और उपयुक्त समय है. सब्सिडी कम कर क्षेत्र में उत्पादक निवेश के लिए महत्वपूर्ण सार्वजनिक वित्तीय संसाधनों को बढ़ा सकते हैं और सतत विकास के वित्तपोषण के लिए धन उपलब्ध करा सकते हैं.”

वैश्विक आर्थिक संभावनाओं वाली रपट के मुताबिक, इस साल वैश्विक अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर तीन फीसदी रहने की संभावना है, 2016 में यह 3.3 फीसदी और 2017 में 3.2 फीसदी रहेगी. पिछले साल इसमें निराशाजनक 2.6 फीसदी की वृद्धि दर्ज की गई थी.

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