आतंकवाद से कैसे लड़ेगा पाकिस्तान?
इस्लामाबाद | समाचार डेस्क: मुंबई हमलों के आरोपी लखवी को जमानत मिलने से पाकिस्तान की आतंकवाद के खिलाफ कथित लड़ाई कमजोर हुई है. जाहिर है कि अभियोजन पक्ष ने भारत के मुंबई में 26/11 को आतंकी हमले करने वाले लश्कर-ए-तैयबा के कमांडर जकीउर रहमान लखवी के खिलाफ ठोस सबूत पेश नहीं किये अन्यथा क्या कारण है कि पड़ोसी देश में जन हत्याए कर आतंक फैलाने वाले लखवी को गुरुवार को जमानत मिल गई. मंगलवार को ही तालिबान के आतंकियों ने पाकिस्तान के पेसावर के सैन्य स्कूल में हमलाकर 132 सहित 166 लोगों को मौत के मुंह में ढकेल दिया था. बुधवार को पाकिस्तान के प्रधानमंत्री ने आतंकवाद से लड़ने की कसम खाई थी.
गुरुवार को पाकिस्तान में राजनीतिक दलों की बैठक में इसी के मद्देनजर रखते हुए फांसी की सजा पर रोक को हटाये जाने पर सहमति बनी. बताया जा रहा है कि आतंकवाद से संबंधित मामलों में फांसी की सजा पर से प्रतिबंध हटाए जाने के बाद पाकिस्तान 55 आतंकवादी कैदियों की फांसी पर अमल करने की तैयारी कर रहा है. न्यूज इंटरनेशनल की रपट के मुताबिक, पाकिस्तान में तकरीबन 522 ऐसे कैदी हैं जिन्हें आतंकवादी गतिविधियों और अन्य गंभीर अपराधों से संबंधित मामलों में मौत की सजा सुनाई गई है. इनमें से 11 वे कैदी भी शामिल हैं जिन्हें सैन्य अदालत ने दोषी ठहराया था. इससेसाबित होता है कि पाकिस्तान सरकार उसकी तथा उसके पड़ोसी देश के जमीन पर आतंक फैलाने वालों में फर्क कर रहा है.
एक तरफ जहां पाक की जेल में बंद आतंकियों को फांसी देने की तैयारी की जा रही है वहीं, भारत में 26/11 की आतंकी घटना को अंजाम देने वाले लखवी को जमानत पर रिहा किया जा रहा है. पाकिस्तान की इस हरकत से संदेह है कि वह आतंकवाद से लड़ सकेगा. लश्कर-ए-तैयबा के कमांडर और 26/11 के मुंबई हमले के एक मुख्य आरोपी जकीउर रहमान लखवी को गुरुवार को पाकिस्तान की आतंकवाद निरोधी अदालत ने जमानत दे दी.
‘डॉन’ की रिपोर्ट के अनुसार, संघीय जांच एजेंसी के वकील जमानत के पक्ष में नहीं थे. लेकिन लखवी के वकील रिजवान अब्बासी अदालत में पेश हुए.
एटीसी ने लखवी को 5,00,000 रुपये के मुचलके पर जमानत दे दी.
लखवी सहित सात लोगों पर 26/11 हमले की साजिश रचने और इसमें मदद करने का आरोप है. इस हमले में 166 लोगों की मौत हो गई थी और कई लोग घायल हो गए थे.
मामले में छह अन्य आरोपियों के खिलाफ सुनवाई चल रही है. यह छह आरोपी हम्मद अमीन सादिक, शाहिद जमील रियाज, युनुस अंजुम, जमील अहमद, मजहर इकबाल और अब्दुल माजिद हैं.
माना जाता है कि 26/11 हमले के वक्त लखवी प्रतिबंधित संस्था एलईटी का संचालन प्रमुख था, जिस संगठन पर मुंबई हमले का आरोप है.
लखवी और एलईटी का एक अन्य कमांडर जरार शाह इस हमले का मुख्य षडयंत्रकारी माने जाते हैं.
लखवी को जमानत ऐसे वक्त में मिली है, जब स्कूली बच्चों की आतंकवादी हमले में हुई मौत के कारण पाकिस्तान शोकग्रस्त है, और भारत ने स्पष्ट रूप से यह दर्शाया है कि वह ऐसे वक्त में पाकिस्तान के साथ खड़ा है.
लखवी को फरवरी 2009 में पाकिस्तान में गिरफ्तार किया गया था और उसके खिलाफ 25 नवंबर 2009 को अभियोग शुरू किया गया.
हालांकि, इसी साल अप्रैल में एटीसी के विशेष न्यायाधीश के सात अन्य के खिलाफ सुरक्षा कारणों से सुनवाई करने में असमर्थता जाहिर करने पर सुनवाई पर थोड़ा विराम लग गया था. न्यायाधीश ने इस्लामाबाद की एक अदालत में मार्च महीने में हुए आतंकवादी हमले के बाद असमर्थता जाहिर की थी. कुल मिलाकर पाकिस्तान का रवैया अच्छे और बुरे तालिबान के समान का है. अफगानिस्तान का तालिबान अच्छा है क्योंकि वह पाक में आतंक नहीं फैलाता तथा तहरीक ए तालिबान पाकिस्तान बुरा है क्योंकि वह पेशावर में निरीह बच्चों का कत्लेआम करता है. जैसे लखवी, भारत में कत्लेआम करता है जबकि पाकिस्तान की जेल में उसे टेलीविजन तथा फोन तक की सुविधा मिली हुई थी.