SC का आदेश मानूंगा: रंजीत सिन्हा
नई दिल्ली | एजेंसी: सीबीआई के निदेशक रंजीत सिन्हा ने कहा कि न्यायालय का फैसला मानने में उन्हें कोई शर्मिंदगी नहीं है. उल्लेखनीय है कि गुरुवार को सर्वोच्य न्यायालय ने अपने आदेश में 2-जी केस से सीबीआई के निदेशक रंजीत सिन्हा को दूर रहने के लिये कहा. सर्वोच्य न्यायालय ने एक गैर सरकारी संगठन द्वारा सीबीआई के निदेशक रंजीत सिन्हा पर लगाये गये आरोपों को प्रथम दृष्टया सही मानते हुए यह निर्णय दिया. न्यायालय ने कहा कि ऐसा इसलिए करना पड़ा, क्योंकि इससे प्रतिष्ठित जांच एजेंसी की छवि पर बुरा प्रभाव पड़ता. सर्वोच्य न्यायालय के आदेश पर रंजीत सिन्हा ने प्रतिक्रिया देते हुए एक टेलीविजन चैनल से कहा, “कोई शर्मिदगी नहीं है. खुद को जांच से अलग रखने के सर्वोच्च न्यायलय के आदेश का पालन करूंगा.”
सर्वोच्च न्यायलाय के प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति एच.एल.दत्तू की अध्यक्षता वाली न्यायमूर्ति मदन बी.लोकुर तथा न्यायमूर्ति ए.के.सीकरी की पीठ ने कहा कि 2-जी मामले की जांच कर रही टीम के शीर्ष अधिकारी अब पूरी जांच की जिम्मेदारी संभालेंगे.
गौरतलब है कि न्यायालय ने 15 सितंबर को गैर सरकारी संगठन सीपीआईएल को निर्दिष्ट आदेश को दोहराते हुए 2-जी स्पेक्ट्रम जांच में सिन्हा पर हस्तक्षेप के लगे आरोप को ‘विश्वसनीय’ करार दिया.
न्यायालय ने अपने निर्देश में सीपीआईएल को व्हिस्लब्लोअर की पहचान जाहिर करने को कहा था, जिसने सिन्हा के कथित हस्तक्षेप की जानकारी दी थी.
न्यायालय ने हालांकि, इस आदेश को लेकर पूरी वजह नहीं बताई और कहा इससे शीर्ष जांच एजेंसी की छवि धूमिल होगी.
न्यायालय ने कहा, “एक विस्तृत आदेश पारित करने की हमारी इच्छा नहीं है. प्रथम दृष्टया इसमें सच्चाई लगती है और इसे स्वीकार करने की जरूरत है. विस्तृत आदेश पारित कर हमारा इरादा एजेंसी की प्रतिष्ठा को धूमिल करने का नहीं है.”
सुनवाई के दौरान न्यायालय ने कहा, “हमें आपकी कार्रवाई पर संदेह है. सरकारी वकील आनंद ग्रोवर द्वारा सौंपे गए रिकॉर्ड को देखकर प्रथम दृष्टया लगता है कि चीजें सही नहीं हैं. झूठा तथा दुर्भावनापूर्ण कहकर आप उनके बयानों से किनारा नहीं कर सकते.”
2-जी मामले से सिन्हा को अलग हो जाने के लिए कहते हुए न्यायालय ने सिन्हा की तरफ से पेश हुए वरिष्ठ वकील विकास सिंह से कहा, “जब हमें लगा कि चीजें सही नहीं चल रहीं, तो किसी को इसका भार लेकर आगे बढ़ना होगा. हम कोई आदेश पारित नहीं करना चाहते हैं.”
न्यायालय को अदालत कक्ष में बड़ी संख्या में सीबीआई अधिकारियों की मौजूदगी पसंद नहीं आई और इसने उनकी मौजूदगी की वजह पूछी.
सिन्हा के वकील विकास सिंह ने कहा कि वह फाइल पर स्पष्टीकरण के लिए न्यायालय का सहयोग कर रहे हैं, तो न्यायमूर्ति दत्तू ने कहा, “हमने उन्हें नहीं बुलाया. अगर हमें किसी तरह के स्पष्टीकरण की आवश्यकता होगी, हम उन्हें बुलाएंगे.”
इसके बाद प्रधान न्यायाधीश ने सभी अधिकारियों से सुनवाई कक्ष से बाहर चले जाने को कहा. उल्लेखनीय है कि इससे पहले सर्वोच्य न्यायालय ने कभी भी सीबीआई के किसी निदेशक को ऐसे किसी मामले से दूर रहने के लिये नहीं कहा था जिसकी जांच का जिम्मा सीबीआई को दिया गया है. ज्ञात रहे कि एक गैर सरकारी संगठन ने सीबीआई के निदेशक रंजीत सिन्हा पर आरोप लगाया था कि वह कोयला घोटालों के कथित आरोपियों से मिलते रहें हैं. इसके समर्थन में सीबीआई निदेशक रंजीत सिन्हा के आवास के विजीटिंग रजिस्टर को पेश किया गया था.