छग: खांसी-सर्दी की दवा से मरते लोग!
बिलासपुर | उस्मान कुरैशी: छत्तीसगढ़ में नसबंदी के अलावा भी लोग सिप्रोसीन दवा के सेवन से मारे जा रहें हैं. छत्तीसगढ़ के बिलासपुर में गनियारी के रिटायर्ड आयुर्वेदिक चिकित्सा अधिकारी डाक्टर डीसी जैन ने सिप्रोसीन दवा के रूप में मौत बांट दी है. समीप के गांव घुटकू पंड़ीपार के मदन, पोड़ी गांव की 55 वर्शीय कमला कौशिक भरनी के युवक जगदीश वस्त्रकार भरारी के शेखर दुबे पेंड्री की कनौजिया सूर्यवंशी और पेण्डारी के अंजोरी सूर्यवंशी ने उन्ही से जांच कराके दवाएं ली थी. ये सब इस दुनिया में नहीं है. इस इलाके के कई गांवों में और भी ऐसे कुछ नाम होंगे जो इस दवा के कारण जान गवाने के बाद भी हमारी या प्रशासन की नजरों से अब भी दूर है.
पास के गांव पोड़ी के करीब 50 साल के नर्मदा कौशिक उन खुश नसीबों में से एक है जो आयुर्वेदिक डा. डी.सी.जैन द्वारा दी गई सिप्रोसीन 500 दवा की एक स्ट्रीप में से एक गोली खाकर अब तक ठीक है. वे कहते है कि, ” बीते रविवार 9 नवम्बर की शाम तबियत ठीक नहीं लगने पर स्वास्थ्य की जांच कराने वह डा. जैन के पास गया था. जहां उसे डाक्टर ने सिप्रोसीन के साथ एक अन्य दवा दी गई थी. रात में दवा लेने के बाद उसे बड़ी बेचैनी महसूस होने लगी और पेट फूलने लगा . उसने खूब पानी पी तब कुछ राहत मिली. इस घटना के बाद उसने इस दवा का दुबारा सेवन नही किया.” उसके पास वो मौत की दवा अब भी मौजूद है.
इस घटना को सुनने के बाद पास ही में खड़े सौपत राम भरारी के अपने दोस्त शेखर दुबे और पेंड्री की कनौजिया सूर्यवंशी की मौत की वजह इसी दवा को मानते है. वे कहते है कि सप्ताह भर पहले इन्होंने भी इसी डाक्टर से जांच कराई थी जिन्हे यही दवाईयां खाने को दी गई थी. जिसके बाद मामूली स्वास्थ्य की खराबी के बाद इनकी जान चली गई.
पोड़ी की कमला बाई भी उन बदनसीब महिलाओं में शामिल है जिसकी मौत इस दवा के खाने से हुई है. 55 साल की कमला कौशिक के पैर में मामूली चोंट थी. जिसे लेकर डा. जैन के पास उनको संतोश कौशिक ले गया था. संतोष कहते है कि, ” बीते रविवार 9 नवम्बर को उसने मां को टिटनस की सुई लगवाई. जहां डाक्टर ने कुछ दवाएं भी थी जिसमें सिप्रोसीन शामिल थी. दवा लेने के बाद दूसरे दिन से मां की तबियत बिगड़ने लगी.” हालत गंभीर होने पर उसे बिलासपुर के निजी चिकित्सालयों में भर्ती कराया गया. जहां डाक्टरों ने उसे रायपुर ले जाने की सलाह दी . शुक्रवार को रायपुर ले जाते समय रास्ते में उसने दम तोड़ दिया. शनिवार को इसकी सूचना मृतक के परिजनों ने गांव के पटवारी को दी. गांव में प्रशासनिक अमले का इंतजार होता रहा. किसी के नहीं पहुंचने पर बिना पोस्ट मार्टम के शव का अंतिम संस्कार कर दिया गया.
प्रशासन के तमाम आला अफसर नसबंदी के बाद दवा खाने से बीमार महिलाओं की तीमारदारी में जुटे है. वहीं कई ग्रामीण इलाके जहां ये मौत की दवा नीम हकीमों के हाथों लोगों तक पहुंच चुके है. जिनको सामान्य सर्दी खांसी के मरीज खाकर मौत के मुंह में समाते जा रहे है. इनकी चिंता करने वाला कोई नही है. क्योकि इन तक न तो मीडिया तक पहुंच रही है और ना ही ये अखबारों की सुर्खिया बन पा रही है. लोगों की भी समझ में नहीं आ रहा कि सर्दी खांसी की मामूली दवा खाने से भला कोई कैसे मर सकता है.