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महाराष्ट्र में असमंजस में भाजपा

मुंबई | एजेंसी: महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के नतीजे से भाजपा असमंजस की स्थिति में है. राज्य में किसी भी पार्टी को बहुमत नहीं मिला है, जिससे यहां राजनीतिक अस्थिरता का संकट छा सकता है. शिवसेना और भाजपा के बीच व्यावहारिक गठबंधन के लिए राजनीतिक घटनाक्रम तेजी से बदल रहे हैं. दोनों पार्टियों का 25 साल पुराना गठबंधन चुनाव से ठीक पहले सीट बंटवारे के मुद्दे पर टूट गया था.

राज्य विधानसभा में 123 सीटों (भाजपा-122+सहयोगी 1) के साथ सबसे बड़ी पार्टी (123) के रूप में उभरने के बावजूद भाजपा राज्य में सरकार नहीं बना सकती और न ही यह विपक्ष में बैठना चाहती है.

राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी ने बिना शर्त समर्थन का वादा कर कुछ राहत दी, लेकिन इसके पीछे इसकी कई छिपी हुई आकांक्षाएं होंगी और यदि भाजपा राकांपा से समर्थन लेती है तो उसे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की नाराजगी भी झेलनी पड़ेगी.

एक विकल्प शिवसेना से संपर्क करना हो सकता है, लेकिन रविवार शाम उद्धव ठाकरे के जो हाव-भाव दिखने को मिले, वह भाजपा को हतोत्साहित करने वाली है.

भाजपा ने पहले ही कहा है कि मुख्यमंत्री के पद को लेकर किसी तरह का समझौता नहीं किया जा सकता और उनकी सरकार में उपमुख्यमंत्री का पद भी नहीं होगा. हालांकि इस तरह के अनुमान भी लगाए जा रहे हैं कि भाजपा शिवसेना को पांच प्रमुख मंत्रालयों की जिम्मेदारी दे सकता है.

शिवसेना के वरिष्ठ नेता ने कहा, “ऐसी स्थिति में उनको समर्थन देने या उनके साथ जुड़ने में हमारा क्या हित रह जाता है.”

उद्धव ने भी यह स्पष्ट किया है कि भाजपा सरकार बनाने के लिए किसी से भी मदद ले सकती है, लेकिन शिवसेना किसी भी परिस्थिति में अकारण समर्थन नहीं देगी.

हालांकि, इसने अपना दरवाजा खुला रखा है और इसका कहना है कि अगर भाजपा राज्य की अखंडता को बरकरार रखने की गारंटी देती है, तो शिवसेना किसी अनुकूल प्रस्ताव पर विचार करेगी.

चुनाव के परिणाम ने यह दर्शाया है कि आंकड़े का खेल हर मोर्चे पर मुश्किल हो गया है.

भाजपा को साधारण बहुमत के लिए 22 अतिरिक्त सीट की जरूरत है, राकांपा के पास 41 सीट है और इसका समर्थन लेकर यह आसानी से सरकार बना सकती है.

एक अन्य संभावित स्थिति यह हो सकती है कि कांग्रेस (42), राकापा (41) गठबंधन कर शिवसेना (63) से बाहर से समर्थन की मांग करे.

छोटी पार्टियां और निर्दलीय, जो भाजपा को सत्ता से बाहर देखना चाहती हैं, वह भी इस गठबंधन को समर्थन कर सकती है.

इस तरह की राजनीति कांग्रेस के लिए कोई नई बात नहीं है. इसने समय-समय पर छोटी-छोटी अवधि के लिए केंद्र में चरण सिंह, वी.पी.सिंह, चंद्रशेखर, एच.डी.देवगौड़ा, आई.के.गुजराल सरकार को बाहर से समर्थन दिया है.

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