श्रम वीरों को सुविधा कब मिलेगी?
नई दिल्ली | विशेष संवाददाता: श्रम वीरों को रोजगार गारंटी की सुरक्षा कब मिलेगी. गुरुवार को प्रधानमंत्री मोदी द्वारा श्रम सुविधा पोर्टल की शुरुआत किये जाने के बाद यह सवाल खड़ा होता है. श्रम सुविधा पोर्टल के माध्यम से उद्योगों को कानूनों के जटिलताओं से मुक्ति देने की कोशिश की गई है. उसी के साथ ही कामगारों के लिये यूनिवर्सल खाता संख्या जारी की जा रही है जिससे ऑनलाइन पीएफ की स्थिति की जानकारी मिल जाया करेगी. श्रमेव जयते के नाम पर श्रमिकों को कम बल्कि उनके नियोक्ताओं को ज्यादा सुविधा प्रदान की जा रही है. यदि पीएफ ऑनलाइन हुआ है तो इससे भी इंकार नहीं किया जा सकता कि बर्खास्तगी भी आजकल ऑनलाइन हो गई है. कई उद्योगों में जैसे फार्मा, आईटी में नौकरियां ऑनलाइन ही जाती है.
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, “किस तरह कार्य संस्कृति को बदलेंगे? ये प्रयास बेहतरीन उदाहरण हैं. यही मिनिमम गवर्नमेंट मैक्सिमम गवर्नेस है. ई-गवर्नेस सरल शासन है. यह पारदर्शिता के प्रति विश्वास पैदा करता है.” इंस्पेक्टर राज के मुद्दे पर उन्होंने कहा कि अब एक कंप्यूटर यह तय करेगा कि अगले दिन निरीक्षक किस जगह का निरीक्षण करेंगे. उन्होंने साथ ही कहा कि श्रम बल के बारे में कंपनियों को पहले 16 फॉर्म भरने पड़ते थे, अब सिर्फ एक ही फॉर्म भरने होंगे. उन्होंने कहा कि यह फार्म ऑनलाइन भरा जा सकेगा. श्रम सुविधा पोर्टल 16 श्रम कानूनों को ऑनलाइन फार्म के जरिए सरल बनाता है.
सवाल करने का मन करता है कि क्या श्रमेव जयते के लागू किये जाने से छत्तीसगढ़ के कोरबा के बाल्कों के चिमनी हादसे में मारे गये श्रमिकों के परिजनों को न्याय मिल सकेगा. क्या श्रमेव जयते के माध्यम से छत्तीसगढ़ के मजदूरों को जो दूसरे राज्यों में बंधक बना लिया जाता है उससे मुक्ति मिल पायेगी. सुविधा पोर्ट के माध्यम से नियोक्ताओं को सुविधा देने के साथ ही जरूरी है कि श्रमिकों की इस नवउदारवाद के युग में नौकरी की सुरक्षा सुनिश्चित की जाये.
प्रधानमंत्री मोदी के भाषण से स्पष्ट है कि ‘मेक इन इंडिया’ अभियान की आवश्यकता के अनुसार लिये देश के युवाओं के प्रशिक्षण पर जोर दिया जा रहा है. आईटीआई के 16लाख छात्रों से उम्मीद की जा रही है कि वे विदेशों में जाकर नौकरी करने के योग्य हो सके. इसका दूसरा पक्ष यह है कि आनेवाले समय में देश में नौकरी के मौके कम होते जायेंगे तभी तो उनसे विदेशों में नौकरी करने लायक बनने के लिये अपील की जा रही है.
प्रधानमंत्री मोदी के पास देश के लिये स्पष्ट योजनाएं हैं तथा उनके हर कार्यक्रम से इसकी झलक मिलती है. कोई गलती से भी यह न सोच ले कि सभी योजनाएं पृथक-पृथक ढ़ंग से तैयार की गई है. मसलन प्रधानमंत्री का स्वच्छता अभियान अपने आप में विदेशी निवेश को आकर्षित करने का एक जरिया है. जाहिर है कि जब विकसित देश भारत में निवेश करने के लिये आयेंगे तो यह जरूर देखेंगे कि यहां पर स्वच्छता का स्तर क्या है. साफ सड़क पर झाड़ू लगाने से गलियों के बजबजाती नालियों से छुटकारा नहीं मिल सकता है. उसके लिये जरूरत इस बात की है कि शहरों, नगरों तथा गांवों में पीने के साफ पानी, निस्तारी की समुचित सुविधा हो. उल्लेखनीय है कि श्रमिक इन्हीं स्थानों पर रहते हैं तथा बीमार पड़ते हैं.
प्रधानमंत्री मोदी ‘मेक इन इंडिया’ के माध्यम से भारत को मैनुफैक्चरिंग हब बनाना चाहते हैं. इसके लिये आईटीआई से प्रशिक्षित युवाओं की जरूरत पड़ेगी. ‘मेक इन इंडिया’ के माध्यम से देश के धन्ना सेठों की तिजोरी ही भरने जा रही है जो विदेशियों के लिये भारत में मालों के उत्पादन करेंगे. जाहिर सी बात है कि इसके लिये कामगारों की जरूरत पड़ेगी. इस तरह से प्रधानमंत्री को सभी योजनाएं आपस में जुड़ी हुई हैं. एक बार भी श्रमिकों के न्यूनतम वेतन में वृद्धि की बात नहीं कही गई है. श्रमिकों के बच्चों की शिक्षा की बात अब तक सामने नहीं आई है. प्रधानमंत्री ने श्रम मंत्रालय के अपरेंटिसशिप योजना का उल्लेख करते हुए कहा कि कुशल श्रमिकों की जरूरत को पूरा करने में मदद करेगा.
प्रधानमंत्री मोदी ने जापान में कहा था कि भारत में उनके निवेशकों के लिये लाल कॉर्पेट इंतजार कर रहें हैं. इसे कोई भी आसानी से समझ सकता है कि निवेशक वहीं पर निवेश करते हैं जहां पर सस्ते में श्रम तथा ढ़ीले-ढ़ाले श्रम कानून उपलब्ध हों. हाल ही में राजस्थान की सरकार ने श्रम सुधार के नाम पर नियोक्ताओं के अधिकारों में बढ़ोतरी की है जिसका अंजाम श्रमिकों को आने वाले समय में भुगतना पड़ेगा. प्रधानमंत्र के भाषण से परोक्ष रूप से संदेश मिलता है कि व्यापारियों को इंस्पेक्टर राज से छुटकारा दिलवाया जायेगा.
उल्लेखनीय है कि किसी भी श्रम संगठनों ने अब तक प्रधानमंत्री के श्रम सुधारों को साधुवाद नहीं दिया है बल्कि उद्योग संगठन दिल खोलकर इसका स्वागत कर रहें हैं. गौरतलब है कि भारतीय उद्योग परिसंघ के महानिदेशक चंद्रजीत बनर्जी ने एक बयान में कहा, “पोर्टल का सबसे बड़ा लाभ यह है कि इससे इकाइयों का ऑनलाइन पंजीकरण किया जा सकेगा और स्वयं प्रमाणित एकल ऑनलाइन रिटर्न भरा जा सकेगा. इससे उद्योग को कफी राहत मिलेगी और अनुपालन का बोझ घटेगा.” ‘श्रम निरीक्षण योजना’ की सराहना करते हुए बनर्जी ने कहा, “निरीक्षण को तर्कसंगत बनाना पुरानी मांग थी. परिसंघ को खुशी है कि इससे अनुपालन व्यवस्था की स्वेच्छाचारिता पर अंकुश लगेगा.” वहीं, एसोचैम के महासचिव डी.एस. रावत ने कहा, “निरीक्षण तर्कसंगत बनाने और श्रम कानूनों का अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए एकीकृत वेब पार्टल शुरू करने से निरीक्षकों द्वारा की जाने वाली प्रताड़ना रुकेगी.”
दरअसल, श्रम निरीक्षणों से में ढ़ील दिये जाने से यह सभी प्रधानमंत्री मोदी की सराहना कर रहें हैं.