कलारचना

अमिताभ ने जिंदगी से हार नहीं मानी

मुंबई | मनोरंजन डेस्क: अमिताभ बच्च्न ने अपने वास्तविक जीवन में कभी जिंदगी से हार नहीं मानी है. भले ही फिल्म ‘शोले’ में उन्हें गब्बर की गोलियों से मरना पड़ा था. वर्ष 1982 में वह क्षण आया जब फिल्म ‘कुली’ की शूटिंग के समय बैंगलोर में उनके पेट में पुनीत इस्सर के घूसें से चोट लग गई थी. अमिताभ करीब 6 दिनों तक बैंगलोर के अस्पताल में जीवन मृत्यु से संघर्ष करते रहें जहां पर उनके पेट का ऑपरेशन करना पड़ा था जो सफल नहीं हो सका था.

अमिताभ बच्चन की जान जोखिम में देखकर उनके निर्माता मनमोहन देशाई ने एयर इडिया के एक हवाई जहाज़ को एंबुलेंसे का रूप देकर उन्हें मुंबई लाया गया. मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्पताल में चले इलाज तथा ऑपरेशनों के बाद अमिताभ की जिंदगी बच सकी थी. कई बार उनके डॉक्टोरं को लगता था कि अमिताभ को बचाना असंभव है उसके बाद भी अमिताभ ने मौत को मात दे दी थी. यह सच है कि उनकी जगह पर कोई दूसरा होता तो उसे उतनी सुविधाएं न मिल पाती तथा मृत्यु अवश्यंभावी थी.

अमिताभ को कभी भी मौत से डर नहीं लगा. उन्होंने ठीक होने के बाद सबसे पहले वह सीन मंगाकर देखी जिसमें पुनीत इस्सर का घूंसा खाकर टेबल से टकराने के कारण पेट की अंतड़िया फट गई थी. अमिताभ ने अपने इस पुनर्जन्म के बाद सबसे पहले फिल्म ‘कुली’ की ही शूटिंग शुरु की तथा वहीं दृश्य फिर से दोहराया गया. लेकिन इस बार शूटिंग सफल रही तथा अमिताभ ने पुनीत इस्सर को गले लगा लिया था.

अमिताभ के बैंगलोर में रहते तथा मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्पताल में चिकित्सा के समय कई बार उनके मरने की अफवाह भी उड़ी थी. बताया जाता है कि उस समय देश भर से उनके प्रसंसकों ने उनके लिये तावीज, फूल तथा प्रसाद भेजे. उनमें से अधिकांश को अमिताभ बच्चन के घर का पता तक मालूम नहीं था. उनके प्रशंसकों ने केवल अमिताभ बच्चन, मुंबई लिखकर अपने लिफाफे भेजे जो उनके घर तर पहुंच जाया करता था.

आखिरकार, अमिताभ में कुछ तो ऐसा है जिसने उन्हें बालीवुड का बिग बी बना दिया है तथा उन्हें सदी के महानायक के तौर पर भी जाना जाता है.

error: Content is protected !!